इस बार महाकुंभ इतिहास रचने को तैयार है। वो इतिहास जो किसी ने सोचा भी नहीं होगा। महाकुंभ में हर तरीके की सुरक्षा व्यवस्था श्रद्धालुओं के लिए हर तरीके की सुविधायेँ। रेलवे से लेकर सड़क परिवहन तक सब अपने ज़ोरों पर हैं। इस बार प्रयागराज ऐसा सज रहा है जैसा कभी नहीं सजा। देश विदेश से करीब 40 करोड़ लोग इस अत्भुत नजारे को देखने के लिए आने वाले हैं। 13 जनवरी से शुरू हो रहे महाकुभ का समापन 26 फरवरी के महा शिवरात्रि के अंतिम स्नान तक चलेगा।
श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर सरकार ने पुख्ता इंतजाम किए हैं। सरकार ने पुलिस – पीएसी और पैरामिलिट्री फोर्स के साथ ही एनडीआरएफ की बीस टीमों को भी लगाया गया है। एनडीआरएफ की टीम लगातार महाकुंभ क्षेत्र में मॉक ड्रिल करते हुए अपनी तैयारियों को परख रही है और क्विक रिस्पांस टाइम को मिनिमम करने में जुटी हुई है।
एनडीआरएफ ने इसी कड़ी में महाकुंभ क्षेत्र में गंगा और यमुना नदियों में भी मॉक ड्रिल किया है। मेले के दौरान अगर गंगा और यमुना नदियों में कोई घटना – दुर्घटना होती है। श्रद्धालुओं से भरी हुई कोई नाव पलटती है या फिर डुबकी लगाते वक्त पांव फिसलने से कोई श्रद्धालु गहरे पानी में समाने लगता है तो मुस्तैदी दिखाते हुए कैसे लोगों की जिंदगी को बचाना है, इसका मॉक ड्रिल किया जा रहा है। अलग-अलग तरह के हादसे होने पर कौन सी परिस्थितियां सामने आ सकती हैं, उनकी लिस्ट बनाकर तैयारिया की जा रही है।
हादसे कैसे होते हैं। किस तरह चौकन्ने रहकर निगहबानी करनी है। हादसा होते ही किस तरह से एक पल भी गवाए बिना रेस्क्यू शुरू करना है। टीम में किस सदस्य की क्या जिम्मेदारी रहेगी, इसे लेकर तैयारियों को परखा और पुख्ता किया जा रहा है। बिल्कुल उसी तरह से रिहर्सल किया जा रहा है, जैसा क्विक रिस्पांस मेला शुरू होने पर किया जाना है।