यूपी में पेपरलेस होगा विधान परिषद सत्र, हर दिन बचेगा 40 किलो कागज
यूपी की विधान परिषद को जल्द ही पेपरलेस किया जा सकता है। उम्मीद है कि शीतकालीन सत्र के बाद इस पर काम शुरू किया जाएगा। अगर ऐसा होता है तो यहां से हर दिन 40 किलो कागज की बचत होगी।
खबरों के मुताबिक, शुरुआती तौर पर विधान परिषद को पेपरलेस करने पर सहमति बन चुकी है। कुछ समय पहले विधान परिषद के प्रशासन ने कागज के कम इस्तेमाल से जुड़े तौर -तरीकों पर चर्चा की थी, जिसमें सामने आया कि अगर विधान परिषद में होने वाली कार्यवाही को इलेक्ट्रॉनिक करने के साथ ही विधेयक, सूचनाओं, प्रश्नों के उत्तर आदि को डिजिटल रूप में सदस्यों को उपलब्ध कराया जाए तो कागज की काफी बचत हो सकती है।
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शुरुआती तौर पर इस बात पर सहमति बन चुकी है। अब शीतकाली सत्र के बाद विधान परिषद के सुंदरीकरण व बाकी व्यवस्थाओं के लिए बनाई गई समिति इस बात को लेकर बैठक करेगी। यह समिति इस बात की जानकारी भी जुटाएगी कि जिन जगहों पर पेपरलेस सिस्टम को लागू किया गया है, वहां किस तरह का फायदा हुआ और क्या समस्याएं आईं। इसके लिए समिति उन राज्यों का दौरा करेगी जहां विधान परिषद को पेपरलेस किया जा चुका है। एक अनुमान के मुताबिक, विधान परिषद में हर दिन लगभग 40 किलो कागज इस्तेमाल होता है।

विधान परिषद में हर दिन इतना कागज इसलिए इस्तेमाल होता है क्योंकि यहां रोज लगभग 150 सवालों के जवाब दिए जाते हैं और इसकी प्रतियां हर सदस्य को दी जाती हैं। विधान परिषद में फिलहाल 99 सदस्य हैं। इन सवाल-जवाब की 25 प्रतियों को बांटा जाता है और 10 प्रतियां कार्यालय में काम के लिए रखी जाती हैं। इसके अलावा काम की सूची बनाने के लिए और बाकी सूचनाओं के लिए भी लगभग इतनी ही प्रतियां इस्तेमाल होती हैं। इसमें इस्तेमाल होने वाले कागज को अगर तोला जाए तो इसका वजन लगभग 35 से 40 किलो तक होता है। अगर विधान परिषद को पेपरलेस कर दिया गया तो इस कागज की बचत हो सकती है।
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