कुम्भ में यह अनोखा कैफेटेरिया दे रहा स्वच्छता का संदेश

प्रयागराज में चल रहे कुम्भ के महापर्व में रोजाना लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। जहां वह गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य की प्राप्ति कर रहे हैं। कुम्भ में बड़ी संख्या में विदेशी भी आए हुए हैं, जो लोगों के आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। इन्हीं सबके बीच कुम्भ में एक टॉयलेट कैफेटेरिया भी है, जो लोगों का ध्यान खींच रहा है। इस टॉयलेट कैफेटेरिया के जरिए लोगों को स्वच्छता का संदेश भी दिया जा रहा है। सबसे खास बात यह है कि इसे स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की ग्रेजुएट अमेरिकी महिला चला रही हैं। यह महिला 1996 में पहली बार भारत आई थीं और हिन्दू संस्कृति से प्रभावित होकर इन्होंने संन्यास ले लिया था। अब वह कुम्भ मेला क्षेत्र में यह अजीबोगरीब कैफेटेरिया चलाकर स्वच्छता का संदेश दे रही हैं।
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साधारण सीटों की जगह कमोड
इस कैफेटेरिया में साधारण सीटों की जगह कमोड की आकृति वाली सीट लगाई गई हैं। इस कैफेटेरिया के बारे में साध्वी भगवती सरस्वती बताती हैं कि कुम्भ मेले के आयोजन ने उन्हें बहुत ज्यादा प्रभावित किया है। वह यहां अपने कैफेटेरिया के जरिए लोगों के बीच स्वच्छता का संदेश देती हैं। उनकी टीम के सदस्य तट और गंगा नदी के किनारे कचरा साफ करने का भी काम करते हैं। उनके इस अभियान के साथ अर्जेंटीना की ग्रेस भी जुड़ गई हैं। ग्रेस बताती हैं कि कुम्भ के धार्मिक और आध्यात्मिक वातावरण में हम लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने का कार्य करते हैं। लोग उनकी बातों को गंभीरता से लेते हैं, और अपने निजी जीवन में स्वच्छता का संकल्प लेते हैं।
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भारतीय संस्कृति ने किया प्रभावित
इस कैफेटेरिया को अमेरिकी परिवार में पली-बढ़ीं साध्वी भगवती सरस्वती ने बनवाया है। वह वर्ष 1996 में अपनी पीएचडी के दौरान भारत आई थीं। यहां वह ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन आश्रम में बस गई थीं। जहां लगातार वह धर्मार्थ कार्यों से जुड़ी हुई हैं। 20 वर्षों में वह भारतीय संस्कृति से पूरी तरह से जुड़ चुकी हैं। उन्होंने वर्ष 2000 में आधिकारिक रूप से संन्यास ले लिया था। साध्वी भगवती सरस्वती ने स्वामी चिदानंद सरस्वती से दीक्षा प्राप्त की है। अब उनका साध्वी भगवती सरस्वती परमार्थ केन्द्र भी है। वह इसमें हर साल होने वाले अंतरराष्ट्रीय योगा फेस्टिवल की निदेशक भी हैं। वह देश-विदेश के मंचों पर भारत का धार्मिक रूप से प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं।
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