कौन है 8 पुलिस वालों का हत्यारा विकास दुबे
सुबह आपने टीवी को खोला होगा तो विकास दुबे (vikas dubey) नाम सुनाई दिया होगा। विकास (vikas) ने यूपी (up) के कानपुर (kanpur) में अब तक की सबसे सनसनीखेज वारदात को अंदाज दिया है। हत्या के प्रयास के एक मामले में विकास को पकड़ने गई पुलिस (police) की टीम पर विकास और उसके गुर्गों ने ऑटोमेटिक वेपन्स से गोलियां चलाईं। गोलीबारी में सीओ (co), एसओ (so) समेत 8 पुलिस वाले शहीद हो गए व सात जख्मी हो गए। विकास एक दिन में इतना मनबढ़ नहीं हुआ।
अपराध करने के बाद कानून की कमजोरी का फायदा उठाकर वह बचता रहा और उसका हौसला इतना बढ़ गया कि उसने कानून के रखवालों की ही जान ले ली। अगर आज से लगभग 20 साल पहले ही पुलिस (police) ने विकास (vikas) को रोक दिया होता तो आठ पुलिस वालों की जान नहीं जाती। विकास कौन है? क्या करता है? उस पर कितने मामले दर्ज हैं? आज से पहले उसने कौन-कौन सी घटनाओं को अंजाम दिया था? उसके आका किस-किस राजनीतिक दल में हैं? इन सारे सवालों के जवाब आपको इसी आर्टिकल में मिलेंगे।
दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री की थाने में की थी हत्या
कानपुर (kanpur) के शिवली थाने में घुसकर विकास दुबे (vikas dubey) ने श्रम संविदा बोर्ड के चेयरमैन दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री (minister of state) संतोष शुक्ला (santosh shukla) की 2001 में हत्या कर दी थी। उत्तर प्रदेश में उस वक्त राजनाथ सिंह (rajnath singh) की सरकार थी। कानून व्यवस्था (law and order) को लेकर राज्य सरकार चौतरफा घिर गई, लेकिन अपने ही नेता के हत्यारे को सजा नहीं दिला पाई। विकास दुबे हत्या के मामले में पकड़ा गया, जेल गया, लेकिन बेल पर बाहर आ गया।
पुलिस (police) संतोष शुक्ला (santosh shukla) हत्याकांड में एक भी सुबूत अदालत में पेश नहीं कर पाई। हत्या पुलिस वालों के सामने हुई थी, लेकिन कोई गवाही देने सामने नहीं आया। पुलिस वालों ने अपनी ड्यूटी अलग-अलग एरिया में दिखा दी। सैकड़ों लोगों के सामने हुई हत्या में पब्लिक की तरफ से भी कोई गवाही देने नहीं आया। विकास (vikas) छूटा और इसके बाद खूनखराबे का जो दौर शुरू हुआ, उसका नतीजा 8 पुलिस वालों की हत्या के रूप में सामने है।
हत्या, हत्या के प्रयास समेत 60 से अधिक मामले
विकास दुबे (vikas dubey) कानपुर के नामी अपराधियों में शामिल हो गया। उसके ऊपर हत्या (murder), हत्या के प्रयास (attempt to murder), फिरौती (extortion), जमीन कब्जाने, धमकाने के 60 से ज्यादा मामले दर्ज हैं। विकास पर मुकदमे की फाइल मोटी होती गई, लेकिन एक भी आरोप साबित नहीं हो पाया। विकास ने पहली हत्या 2000 में की थी। उसने शिवली में सिद्धेश्वर पांडेय की गोली मारकर जान ले ली थी। इसी साल उसने रामबाबू यादव की भी हत्या करवा दी। रामबाबू की हत्या के वक्त विकास (vikas) जेल में था।
2004 में विकास ने दिनेश दुबे की भी हत्या करवा दी थी। दिनेश केबल टीवी का व्यवसाय करते थे। हत्या लेनदेन के विवाद में करवाई गई थी। विकास जेल भी गया, लेकिन सुबूतों और गवाहों के अभाव में उसे बेल (bail) मिल गई। 2013 में मामूली से विवाद में उसने अपने चचेरे भाई अनुराग का भी कत्ल करवा दिया था। विकास (vikas) के खिलाफ फिर से एफआईआर दर्ज हुई। इस बार भी वह बेल पाने में कामयाब हो गया।
कोचिंग संस्थानों से करता था वसूली
विकास दुबे (vikas dubey) की कमाई का जरिया कानपुर (kanpur) के काकादेव के कोचिंग (coaching) संस्थान भी थे। कोचिंग संचालकों को धमकी देकर वह रुपये वसूलता था। यह बात जगजाहिर थी, लेकिन डर की वजह से कोई उसके खिलाफ आवाज नहीं उठाता था। यह मामला भी पुलिस (police) के संज्ञान में था, लेकिन वह मूकदर्शक बनी रही। बालू के अवैध खनन से भी उसकी अच्छी खासी कमाई होती थी। राजनीतिक संरक्षण के बूते विकास का दबदबा बढ़ता गया। वह चार से पांच गाड़ियों के काफिले के साथ चलता था। उसके साथ असलहाधारी भी होते थे। उसके पास फारच्युनर समेत कई एसयूवी हैं।
लीक हो गई थी दबिश की खबर
विकास (vikas) पर हाल ही में हत्या के प्रयास का एक मामला दर्ज हुआ था। उसके खिलाफ चौबेपुर के बिकरू गांव के एक शख्स की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया था। उसको पकड़ने के लिए 2 जुलाई को आधी रात पुलिस की टीम सीओ बिल्हौर देवेंद्र कुमार मिश्र के नेतृत्व में शिवली स्थित बिकरू गांव पहुंची थी। सीओ के साथ बिठूर, शिवराजपुर और चौबेपुर थाने की पुलिस (police) थी।
जैसे ही पुलिस विकास के गांव पहुंची, उसका रास्ता जेसीबी (jcb) लगाकर रोक दिया गया। पुलिस वाले अपनी गाड़ियों से उतरे और पैदल ही विकास (vikas) के घर की तरफ बढे़ तभी छतों से फायरिंग शुरू हो गई। 15 पुलिस वालों को गोली लगी। आठ की मौके पर ही मौत हो गई और सात गंभीर रूप से जख्मी हो गए। अचानक हुए हमले में पुलिस वालों को संभलने का मौका तक नहीं मिला। पुलिस की तरफ से भी बाद में गोलियां चलाई गईं जिसमें विकास के गैंग के दो लोग मारे गए। विकास भागने में सफल रहा। अब पुलिस यह पता लगा रही है कि दबिश की सूचना लीक कैसे हुई। अगर सूचना लीक न हुई होती तो पुलिस की जबर्दस्त तरीके से घेराबंदी नहीं हुई होती।
किले की तरह है घर
विकास (vikas) का घर किसी किसी किले से कम नहीं है। उसके घर की बाउंड्री 10 फिट से ज्यादा ऊंची है। अंदर की तरफ असलहाधारी तैनात रहते थे। दीवार कूदकर अंदर जाना बहुत मुश्किल था। मेन गेट से आने जाने वाले पर अंदर से नजर रखी जाती थी। विकास इस वक्त फरार है। पुलिस उसकी तलाश में दबिश डाल रही है। आशंका है कि वह यूपी छोड़कर भाग सकता है। पुलिस ने घटना के बाद से कानपुर की घेराबंदी कर रखी है। पुलिस का दावा है कि अब भी विकास कानपुर (kanpur) में ही है।
ये हुए शहीद
- देवेंद्र कुमार मिश्र, सीओ बिल्हौर
- महेश यादव, एसओ शिवराजपुर
- अनूप कुमार, चौकी इंचार्ज मंधना
- नेबूलाल, सब इंस्पेक्टर, शिवराजपुर
- सुल्तान सिंह, कांस्टेबल, चौबेपुर
- राहुल, कांस्टेबल, बिठूर
- जितेंद्र, कांस्टेबल, बिठूर
- बबलू, कांस्टेबल, बिठूर
घायल पुलिस कर्मी
- कौशलेंद प्रताप सिंह, एसओ बिठूर
- अजय सिंह सेंगर, कांस्टेबल, बिठूर
- अजय कश्यप, कांस्टेबल, शिवराजपुर
- जयराम पटेल, होमगार्ड
- सुधारकर पांडेय, एसआई, चौबेपुर
- शिवमूरत, कांस्टेबल, बिठूर
- विकास बाबू, प्राइवेट ड्राइवर, चौबेपुर
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
अन्य खबरें
Loading next News...