भारत के नए आर्मी चीफ बने बिपिन रावत, उनके बारे में ये बातें जानते हैं आप?

लेफ्टिनेंट बिपिन रावत थल सेना और एयर मार्शल बी.एस. धनोआ वायुसेना के नए प्रमुख होंगे। सरकार ने शनिवार को इसकी घोषणा की। ये दोनों क्रमश: जनरल दलबीर सिंह सुहाग और एयर चीफ मार्शल अरूप राहा का स्थान लेंगे। दोनों 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
रावत को मिले हैं कई सम्मान
11वीं गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में जनवरी 1979 में कमीशन लेने वाले ले. जनरल रावत का अब तक का करियर उपलब्धियों से भरा रहा है। रावत दिसंबर 1978 में भारतीय सैन्य अकादमी से पासआउट होने वाले बैच के श्रेष्ठतम कैडेट रहे और उन्हें स्वार्ड ऑफ ऑनर मिला। लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, सेना मेडल व विशिष्ट सेवा मेडल जैसे कई सम्मान से अलंकृत किए गए हैं।
ये है देश के नए आर्मी चीफ बिपिन रावत का पूरा परिचय
1- देश में उभरती चुनौतियों से निपटने, नॉर्थ में मिलटरी फोर्स के पुनर्गठन, पश्चिमी फ्रंट पर लगातार जारी आतंकवाद व प्रॉक्सी वॉर और पूर्वोत्तर में जारी संघर्ष के लिहाज से उन्हें सबसे सही विकल्प माना गया।
2- लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत के पिता भी सेना में लेफ्टिनेंट जनरल थे। रावत की पढ़ाई शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल में हुई।
3- 26वें आर्मी चीफ बनने वाले रावत सितंबर 2016 में वाइस चीफ बने थे। वाइस चीफ बनने से पहले वह पुणे में सदर्न कमांड के जीओसी इन कमांड थे।
4- रावत के पास अशांत इलाकों में लंबे समय तक काम करने का अनुभव है। बीते तीन दशकों में वह भारतीय सेना में कई अहम पदों पर काम कर चुके हैं।
5- वह कई बड़े ऑपरेशन्स की कमान संभाल चुके हैं। पाकिस्तान से लगी LoC, चीन से जुड़ी एलएसी और पूर्वोत्तर में वह कई अहम जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं।
6- रावत को संतुलित तरीके से सैन्य संचालन, बचाव अभियान चलाने और सिविल सोसाइटी से संवाद स्थापित करने के लिए जाना जाता है।
7- लेफ्टिनेंट जनरल रावत सेना में दिसंबर 1978 में शामिल हुए। उन्हें 11 गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में कमिशन मिला था।
8- बिपिन रावत 1986 में चीन से लगे लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर इन्फेन्ट्री बटालियन संभाल चुके हैं।
9- 2008 में ब्रिगेडियर के तौर पर उन्होंने कॉन्गो में यूएन पीसकीपिंग मिशन के मल्टीनैशनल ब्रिग्रेड की अगुआई की।
10- बिपिन रावत को ऊंची चोटियों की लड़ाई में महारत हासिल है। वे कश्मीर घाटी के मामलों पर अच्छी पकड़ रखते हैं। लेफ्टिनेंट जनरल रावत को काउंटर इंसर्जेंसी का विशेषज्ञ माना जाता है। कश्मीर घाटी में राष्ट्रीय राइफल्स और इंफैंट्री डिवीजन के वे कमांडिंग ऑफिसर रह चुके हैं।
11- लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में चमत्कारिक रुप से बच गए थे जब वे दीमापुर स्थित सेना मुख्यालय कोर 3 के कमांडर थे।
12- इसके अलावा, रावत 5 सेक्टर राष्ट्रीय राइफल्स और कश्मीर घाटी में 19 इन्फेन्ट्री डिविजन की अगुआई भी कर चुके हैं।
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