कांवड़ यात्रा के दौरान दुकान मालिकों को अपने नाम की नेमप्लेट लगाने का आदेश यूपी सरकार ने जैसे ही दिया इस बात को लेकर विवाद खड़ा हो गया। विवाद इतना बढ़ा की ये मामला सुप्रींम कोर्ट तक पहुंच गया। सरकार के आदेश के खिलाफ एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स नामक एनजीओ ने याचिका दायर कर दी थी। इस मामले में 22 जुलाई को सुनवाई शुरू हुई। नतीजा ये निकला की सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के आदेश पर अन्तरिम रोक लगा दी। अगली सुनवाई 26 जुलाई को करते हुए कोर्ट ने यूपी सरकार ने जवाब मांगा था। इस मामले में यूपी सरकार ने जवाब भी दे दिया।
यूपी सरकार ने अपने फैसले का बचाव किया है और नेम प्लेट विवाद में दायर याचिकाओं का विरोध किया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में साफ कह दिया है कि लोगों की धार्मिक भावनाओं की रक्षा करने को वह प्रतिबद्ध है। सरकार ने कहा कि कांवड़ियों की धार्मिक भावना का ख्याल रखते हुए यह फैसला लिया गया। कांवड़ियों के साथ कुछ गलत न हो, इसलिए यह फैसला लिया।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में उत्तर प्रदेश सरकार का कहना है कि नेम प्लेट वाला आदेश शांतिपूर्ण कांवर यात्रा के संचालन के लिए थी। नेम प्लेट वाली प्रेस विज्ञप्ति पूरी तरह से कांवर यात्रा के शांतिपूर्ण समापन को सुनिश्चित करने के हित में जारी की गई थी। कांवड़ यात्रा में सालाना 4.07 करोड़ से अधिक कांवरिया भाग लेते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के मुताबिक, वह किसी भी धर्म के लोगों की धार्मिक भावनाओं की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
धार्मिक रक्षा करने के लिए फैसला
उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा, ‘हमारे संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध होने के नाते हमारा आदेश प्रत्येक व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं की रक्षा करता है, चाहे उसका धर्म कुछ भी हो। राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए हमेशा कदम उठाती है कि सभी धर्मों के त्योहार शांतिपूर्ण ढंग से मनाए जाएं।’ बता दें कि फिलहाल, कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों के मालिकों के नाम प्रदर्शित करने संबंधी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के निर्देश पर अंतरिम रोक है।
कांवड़ियों की शिकायत पर आदेश?
यूपी सरकार ने अपने जवाब मे कहा है कि राज्य द्वारा जारी निर्देश दुकानों और भोजनालयों के नामों से होने वाले भ्रम के बारे में कांवड़ियों की ओर से मिली शिकायतों के बाद किए गए थे। ऐसी शिकायतें मिलने पर पुलिस अधिकारियों ने तीर्थयात्रियों की चिंताओं को दूर करने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कार्रवाई की।
फैसले की वजह बताई
यूपी सरकार ने कांवड़ यात्रा नेम प्लेट विवाद में कहा कि कांवड़ियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए यात्रा के दौरान उनके द्वारा खाए जाने वाले भोजन के मामले में पारदर्शिता के लिए यह निर्देश दिया गया है। कांवड़ियों को पता होना चाहिए कि वे क्या खा रहे हैं और कहां खा रहे हैं। कांवड़ यात्रा में शांति, सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए निर्देश लाए गए हैं। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों के मालिकों के नाम प्रदर्शित करने संबंधी उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देश पर अंतरिम रोक लगा दी थी।