नहीं रहे शोभन सरकार, जानिए क्यों अकेले पुल बनाने के लिए खरीद लिया था सामान

उत्तर प्रदेश के कानपुर के प्रख्यात संत व शोभन मंदिर के महंत शोभन सरकार (Shobhan Sarkar) का बुधवार को निधन हो गया। उनकी उम्र करीब 72 साल थी। उन्हें उन्नाव के गांव डौंडियाखेड़ा (Daundia Khera) में सोना दबा होने का दावा करने के लिए भी जाना जाता है। शोभन सरकार का जन्म कानपुर देहात के मैथा ब्लॉक के शकुलनपुरवा में हुआ था। शोभन सरकार का वास्तविक नाम महंत विरक्ता नन्द था। निधन की जानकारी मिलते ही अंतिम दर्शन के लिए भारी संख्या में भक्त मंदिर पहुंच गए। शोभन सरकार (Shobhan Sarkar) का अंतिम संस्कार चौबेपुर के सुनौहरा आश्रम में गंगा किनारे किया जाएगा।

हजारों की संख्या में उमड़ पड़े भक्त

कानपुर देहात के शिवली आश्रम में शोभन सरकार (Shobhan Sarkar) ने अंतिम सांस ली। महंत विरक्तानंद जी महाराज शोभन सरकार के नाम से भी विख्यात थे। उनकी मृत्यु की खबर पता चलते ही हजारों की संख्या में उनके भक्त आश्रम के बाहर पहुंच गए। जिनको संभालने में प्रशासन को कड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ा। उनकी लोकप्रियता के चलते लोग कोरोना वायरस की महामारी के चलते लागू लॉकडाउन को भी भूल गए और आश्रम की ओर दौड़ पड़े। शोभन सरकार (Shobhan Sarkar) के भक्त केवल कानपुर में ही नहीं बल्कि आसपास के कई जिलों में फैले हुए हैं। उन्होंने गांव के लोगों के लिए कई तरह के जनहित के काम कराए हैं। अपने संत स्वरूप के चलते भक्तों के बीच में उनकी छवि भगवान की तरह बन चुकी है। लोग उन्हें पूजते और सम्मान करते हैं। शोभन सरकार (Shobhan Sarkar) हमेशा लोगों के दु:ख-दर्द में शामिल रहते थे। इसी वजह से उनकी लोकप्रियता दिन-प्रतिदिन बढ़ती गई। कानपुर के अलावा उन्होंने कई जिलों में ख्याति प्राप्त कर ली थी।

पुल बनवाने के लिए सरकार पर डाला था दबाव

शोभन सरकार (Shobhan Sarkar) के बारे में कानपुर और उन्नाव के बीच पुल बनवाने के लिए सरकार पर दबाव डालने का भी दिलचस्प किस्सा है। उन्नाव जिले को कानपुर से सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए पुल बनवाने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है। वर्ष 2004 में कानपुर और उन्नाव के बीच एक पुल बनाने की मांग चल रही थी। लेकिन सरकार ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। बीच में रेलवे क्रॉसिंग की वजह से गांववासियों को घंटों इंतजार करना पड़ता था।

सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर शोभन सरकार ने खुद ही पुल बनाने का सामान खरीदना शुरू कर दिया। इसकी जानकारी होने पर प्रशासन में हड़कम्प मच गया। आनन-फानन में सरकार ने प्रस्ताव बनाकर नया पुल बनवाने की घोषणा कर दी। आज इस पुल का निर्माण शोभन सरकार की वजह से ही संभव हो पाया है। उनके प्रयासों से ही पास में ही स्थित चंद्रिकादेवी मंदिर का जीर्णोद्धार भी कराया गया था, जहां शोभन सरकार का नया आश्रम भी स्थापित हुआ। उनके कराए कार्यों की वजह से ही उन्नाव जैसे औद्योगिक नगर को पहचान मिल सकी। आज यहां से बनने वाला चमड़ा और सामान देश-विदेश में निर्यात होता है।

बचपन से ही हो गए थे वैरागी

बचपन से ही वो साधु प्रवृत्ति के हो गए थे। उनसे जुड़े लोग बताते हैं बचपन में वे मंधना के बीपीएमजी इंटर कॉलेज में पढ़ते थे। वह स्कूल में  खाली समय में पेड़ के नीचे बैठकर गीता या रामचरित मानस का पाठ किया करते थे। बताते हैं कि शोभन सरकार को 11 साल की उम्र में ही वैराग्य प्राप्त हो गया था। किशोरावस्था में उन्होंने गुरु स्वामी सत्संगानंद जी की संगत हासिल कर ली थी। उनसे जुड़े लोग बताते हैं कि शोभन सरकार (Shobhan Sarkar) ने वहां आठ साल तक शिक्षा हासिल की। उसके बाद वे फतेहपुर से दूर दूधी कगार के जंगलों में पहुंच गए और वहां तपस्या करने लगे। उन्होंने जंगल में ही अपनी कुटी बना ली थी। लोग उन्हें सिद्ध पुरुष समझने लगे थे। लोगों के बीच ख्याति अर्जित करने के बाद शोभन सरकार (Shobhan Sarkar) परोपकार के कार्यों से जुड़ गए। उन्होंने कानपुर के मैथा, सिंहपुर, चौबेपुर के सुनौढम, सरसौल, दूधी घाट में मंदिरों का निर्माण और विकास कार्य कराया। सरकार ने उन्नाव के बक्सर, फतेहपुर के दूधी कगार में भी आश्रम बनाकर अपने अनुनायियों की संख्या बढ़ा ली थी।

जब चर्चा में आ गया था डौंडियाखेड़ा गांव

शोभन सरकार (Shobhan Sarkar) वर्ष 2013 में उस वक्त चर्चा में आ गए थे जब उन्होंने उन्नाव जिले के डौंडियाखेड़ा (Daundia Khera) गांव में राजा राव रामवख्श के खंडहर हो चुके महल में 1000 टन सोने का भंडार गड़ा होने का दावा किया था। इसके बाद से डौंडियाखेड़ा गांव देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की मीडिया का केन्द्र बन गया था। उन्होंने सरकार को जानकारी दी थी कि इस खंडहर के नीचे अकूत सोना गड़ा हुआ है। इस महल पर अंग्रेजों ने राजा राव रामवख्श को फांसी देने के बाद कब्जा कर लिया था।

शोभन सरकार (Shobhan Sarkar) के दावे के बाद सरकार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने 18 अक्टूबर को राजा राव रामबख्श के खंडहर महल में खुदाई शुरू की थी। खुद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने 29 अक्टूबर को अपनी रिपोर्ट में बताया था कि महल के नीचे कई टन सोना, चांदी और कीमती धातु गड़ी हुई है। हालांकि करीब एक महीने तक चले इस खुदाई कार्य के दौरान वहां से कुछ नहीं मिला। इस काम में सरकार ने 2.78 लाख रुपये भी खर्च कर दिए थे। बाद भी फजीहत होने पर सरकार ने वहां खुदाई का काम बंद कर दिया था। इस मामले में शोभन सरकार (Shobhan Sarkar) के साथ ही केंद्र व प्रदेश सरकार की खूब किरकिरी भी हुई थी।

अखिलेश यादव ने जताया शोक

संत शोभन सरकार (Shobhan Sarkar) के निधन पर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी अपना शोक जताया है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि शोभन सरकार ‘स्वामी विरक्त आनंद महाराज जी’ का देहावसान अत्यंत दुःखद है। ईश्वर संत आत्मा को शांति एवं उनके लाखों अनुयाइयों को इस कठिन समय में शक्ति प्रदान करे। भावभीनी श्रद्धांजलि!

अखिलेश यादव ने जताया शोक

संत शोभन सरकार (Shobhan Sarkar) के निधन पर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी अपना शोक जताया है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि शोभन सरकार ‘स्वामी विरक्त आनंद महाराज जी’ का देहावसान अत्यंत दुःखद है। ईश्वर संत आत्मा को शांति एवं उनके लाखों अनुयाइयों को इस कठिन समय में शक्ति प्रदान करे। भावभीनी श्रद्धांजलि!

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