झांसी, 16 नवंबर 2024 – झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार रात हुई भीषण आग ने दस मासूमों की जान ले ली। आग का कारण ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में स्पार्किंग बताया जा रहा है, जिसने एनआईसीयू (नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) को अपनी चपेट में ले लिया। हादसे में 39 बच्चों को बचा लिया गया, लेकिन कई परिवारों के लिए यह घटना जीवनभर के दर्द की तरह रहेगी।
यह हादसा एक बार फिर भारतीय स्वास्थ्य व्यवस्था में सुरक्षा और लापरवाही के गंभीर सवाल खड़े करता है, और यह 2017 की गोरखपुर ऑक्सीजन त्रासदी की याद दिलाता है, जब करीब 63 बच्चों और 18 वयस्कों की मौत हुई थी। दोनों घटनाओं में एक समानता यह है कि अस्पतालों में संकट के समय लापरवाही और सुरक्षा प्रबंधों की कमी ने अनगिनत जानों को छीन लिया।
झांसी मेडिकल कॉलेज अग्निकांड का विवरण
एनआईसीयू में लगी आग ने महज कुछ मिनटों में 10 नवजात बच्चों की जान ले ली। आग के कारणों की जांच जारी है, लेकिन डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के अनुसार ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में स्पार्किंग के बाद आग लगी, और आग इतनी तेज़ी से फैल गई कि एक के बाद एक धमाके सुनाई देने लगे। स्टाफ और परिजनों ने मिलकर बच्चों को बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन 10 बच्चों की जान नहीं बचाई जा सकी।
मृतकों में से छह बच्चों की शिनाख्त हो चुकी है, जबकि चार की शिनाख्त के लिए डीएनए परीक्षण किए जाएंगे। इस बीच, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपए की सहायता की घोषणा की है।
गोरखपुर त्रासदी की याद
2017 में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की आपूर्ति में गड़बड़ी के कारण 63 नवजात बच्चों की मौत हो गई थी। इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था और स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही की गंभीरता को उजागर किया था। उस समय भी, यह आरोप लगे थे कि अस्पताल प्रशासन की लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण इतने मासूमों की जान गई।
झांसी मेडिकल कॉलेज की घटना ने गोरखपुर त्रासदी की याद दिलाई, जब सिस्टम की विफलता और लापरवाही के कारण असंभावित मौतें हुईं। दोनों घटनाओं में ऑक्सीजन आपूर्ति से जुड़े गंभीर सवाल उठते हैं।
आग पर काबू पाया, लेकिन सुरक्षा इंतजामों की कमी
झांसी मेडिकल कॉलेज के डिप्टी सीएम ने बताया कि इस घटना के बाद प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई की, और आग पर काबू पा लिया गया। 39 बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया, लेकिन घटनास्थल पर यह साफ दिखाई दिया कि अस्पतालों में सुरक्षा इंतजामों की कमी है, जिससे इस तरह की घटनाएं संभव हो पाती हैं।
तीन जांच समितियां गठित
घटना की जांच के लिए तीन समितियां गठित की गई हैं: एक शासन स्तर पर, एक जिला स्तर पर, और एक मजिस्ट्रियल जांच। मुख्यमंत्री ने भी डीआईजी और कमिश्नर से घटना की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट मांगी है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।
सीएम योगी की घोषणा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृत बच्चों के परिजनों को 5-5 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है, साथ ही घायलों को भी आर्थिक मदद देने का आश्वासन दिया है। यह सहायता किसी भी नुकसान की भरपाई नहीं कर सकती, लेकिन सरकार की ओर से यह एक सांत्वना की कोशिश है।
क्या होगा भविष्य?
झांसी और गोरखपुर जैसी घटनाओं ने यह साबित कर दिया है कि अस्पतालों में सुरक्षा मानकों को लागू करना और किसी भी दुर्घटना की संभावना को खत्म करना बेहद आवश्यक है। बच्चों की जान बचाने के लिए अधिक ध्यान और प्रभावी प्रबंधन की जरूरत है। यह घटना एक बार फिर हम सभी को यह याद दिलाती है कि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और जिम्मेदारी की जरूरत कितनी अहम है।
सभी की नज़र अब इस मामले पर बनी हुई है कि जांच के बाद किसे जिम्मेदार ठहराया जाएगा और भविष्य में इस तरह की घटनाओं से कैसे बचा जाएगा।