यूपी सरकार की योजना : बुंदेलखंड में बढ़ेगा भूजल स्तर, अपनाई जाएगी इजरायल की तकनीक

बुंदेलखंड में हरियाली लाने के लिए प्रदेश की योगी सरकार हर स्तर पर कदम उठा रही है। सरकार यहां पर भूजल से लेकर आधुनिक तरीके से खेती करने तक की नीति बना रही है। अब सरकार ने बुंदेलखंड में किसानों की आय बढ़ाने और भूजल की स्थिति बेहतर करने के लिए एकीकृत भूजल प्रबंधन पर सरकार ने जोर दिया है। बता दें कि प्रदेश की योगी सरकार ने बुंदेलखंड की स्थिति सुधारने के लिए अपने चुनावी घोषणपत्र में वादा किया था। उसी के तहत सरकार नित काम कर रही है जिससे की यहां की स्थिति को सुधारा जा सके।
यहां पर भूजल की स्थिति को सुधारने के लिए सरकार अब 17 अप्रैल को एक लखनऊ में कार्यशाला का आयोजन करने जा रही है। जिसमें 2030 वाटर रिसोर्स ग्रुप के विजन डॉक्यूमेंट का प्रस्तुतीकरण होगा। मुख्य सचिव राजीव कुमार ने कहा है कि इस योजना को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए। 17 अप्रैल को होने वाली कार्यशाला में इजरायल के विशेषज्ञ आमंत्रित होंगे और वहां के कान्सेप्ट पर क्रियान्वयन की कार्ययोजना है। इस सिलसिले में एक बैठक बुधवार को शास्त्री भवन स्थित कार्यालय में आयोजित हुई। इसमें मुख्य सचिव ने 2030 वाटर रिसोर्स ग्रुप के सीनियर एडवाइजर अनिल सिन्हा के साथ बैठक कर विभागीय अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए।
मुख्य सचिव राजीव कुमार ने कहा कि 17 अप्रैल को लखनऊ में आयोजित कार्यशाला में इजरायल के विशेषज्ञों/फर्मो के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया जाए ताकि बुंदेलखंड में भूजल प्रबंधन को कारगर बनाने की प्रक्रिया को बेहतर किया जा सके और उनका फामरूला लागू किया जा सके। उन्होंने कहा कि रिसोर्स ग्रुप के (एमएसपी) मल्टी स्टेक होल्डर्स प्लेटफॉर्म में सरकारी एवं विभिन्न स्टेक होल्डर्स तथा प्राइवेट पार्टनर्स को भी सम्मिलित किया जाए ताकि उनके विचारों का भी आवश्यकतानुसार परीक्षण कराकर समावेश किए जाने पर नियमानुसार कार्यवाही कराई जा सके।
पायलट प्रोजेक्ट के रूप में होगा लागू
बुंदेलखंड में पानी का स्तर बढाने के लिए सरकार जिस मॉडल पर काम कर रही है उस पर पूरी रणनीति के तहत काम किया जा रहा है। मुख्य सचिव राजीव कुमार ने यह भी निर्देश दिए गए कि बुंदेलखंड के सभी जिलों के सभी ब्लाकों में एकीकृत भूजल प्रबंधन योजना को क्रियान्वित कराने के पहले पायलट प्रोजेक्ट के रूप में बुंदेलखंड के एक अथवा दो ब्लॉकों में यह प्रबंधन योजना लागू कर विकसित की जाए जिससे कि उसका प्रभाव आकलन किया जा सके। ताकि भविष्य में इससे विस्तार दिया जा सकें।
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