मामला करेली बाग के जीटीबी नगर का है। यहां युसुफा नफीस नाम की एक बजुर्ग महिला रहती हैं। वह खुल्दाबाद के एक गर्ल्स डिग्री कॉलेज से रिटायर हैं, साइबर ठगी का शिकार हो जाती हैं।
‘मैं सीबीआई अफसर बोल रहा हूं…तुम्हारे बेटे के खिलाफ कई आपराधिक मामले आए हैं। वह बड़े अपराधियों के साथ पकड़ा गया है। उसने करोड़ों का घोटाला किया है और कई गलत काम में शामिल है। उसके ऊपर मुकदमादर्जहोने जा रहा है, अगर अपने बेटे को बचाना है तो तुरंत पैसे का इंतजाम करना पड़ेगा।’
इतना कहकर फोन काट दिया जाता है। इसके कुछ देर बाद ही दूसरी कॉल आई और पैसे की डिमांड की गई। मां युसुफा ने घबराकर पैसे ट्रांसफर कर दिए, उसके बाद उनको पता चला कि उनके साथ ठगी हो गई है। साइबर पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ ठगी का मुकदमा दर्ज किया है।
तो ऐसे हुई साइबर ठगी…
पुलिस को दी शिकायत में युसुफा ने बताया, कि 8 नवंबर सुबह करीब 11 बजे उनके पास एक फोन आता है। जिसमें एक व्यक्ति खुद को अफसर बताता है और कहता है कि आपका बेटा आपराधिक मामलों में पकड़ा गया है। उसके कनेक्शन कई अपराधियों के साथ हैं। यदि आप उसे छुड़ाना चाहती हैं तो पैसे का इंतजाम करो। इतना कहने के बाद फोन काट दिया गया। इसके बाद एक कॉल और आई जिसमें फिर से यही बातें दोहराई गईं। मैंने कहा कि मुझे मेरे बेटे से बात कराइए। इस पर एक व्यक्ति के रोने की आवाज आई। जो हूबहू मेरे बड़े बेटे से मिल रही थी। बेटे की आवाज सुनकर मैं घबरा गई। मैंने उनसे पूछा कि पैसे कहां देने हैं। तो उन्होंने गूगल पे करने के लिए कहा। मैंने जल्दी से 95 हजार रुपए उनको भेज दिए।
बेटे को 25 साल के लिए जेल भेजने की दी धमकी
पैसे भेजने के बाद मैंने तत्काल बड़े बेटे को फोन लगाया तो उसका नंबर लगा ही नहीं। मुझे लगा कि उसका फोन हैक कर लिया गया है। इसके बाद फिर एक फोन और आया कि आपके बेटे को 25 साल से ज्यादा सजा होगी। आप अपने बेटे से बात नहीं कर पाएंगी। जल्दी से पांच लाख रुपए का और इंतजाम करिए नहीं तो हम उसे जेल भेज देंगे।इसके बाद मैंने पंजाब नेशनल बैंक जाकर पांच लाख रुपए आरटीजीएस कर दिए। रुपए लेने के बाद उन्होंने कहा कि आप इस बारे में किसी से बात मत करिएगा नहीं तो आपका बेटा फंस जाएगा। अब हम आपके बेटे को फ्री कर रहे हैं, वह जल्द ही आपसे फोन पर बात करेगा।
जबलपुर के केनरा बैंक में जमा कराए रुपये
पीड़िता ने मीरापुर स्थित पंजाब नेशनल बैंक के अपने खाते से पांच लाख रुपये केनरा बैंक, जबलपुर, मध्य प्रदेश में करन वरमन के नाम के खाते में आरटीजीएस कर दिए। इस तरह ठगों को कुल 5.95 लाख रुपये दे दिए। इसके बाद और रुपयों की डिमांड होने लगी। बेटे को दिखाने की बात कही गई तो कई नंबरों से फोन आने लगे। सभी रुपयों की मांग कर रहे थे।
बेटे से बात होने के बाद ठगी का खुलासा
आरोपियों को रुपये देने के कुछ घंटे बाद जब बड़े बेटे को फोन किया। उसने कहा कि उसके साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ है तुरंत छोटे भाई को फोन कर इसके बारे में पूछो। इसके बाद छोटे बेटे को फोन लगाया तो उसने भी कहा कि उसके साथ भी ऐसा कुछ नहीं हुआ है। वह बिलकुल ठीक है। इसके बाद ठगी की जानकारी हुई। तब रिटायर्ड प्रोफेसर पुलिस से शिकायत करने पहुंची।
साइबर सेल इंचार्ज का कहना है कि प्राथमिक जांच में पता चल रहा है कि बड़े बेटे का मोबाइल हैक किया गया और उसकी आवाज में रोना सुनाया गया, जिससे बुजुर्ग महिला घबरा गई। अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है, बहुत जल्द बैंक खाते डिटेल लेकर संबंधित व्यक्ति तक पहुंचने की कोशिश की जाएगी।
आखिर ठगों ने बिना कुछ किए मोबाइल हैक कैसे किया
- इस तरह की ठगी रिमोट एक्सेस ऐप के जरिए होती है। ये वो ऐप हैं जो आपके मोबाइल में एक बार इंस्टॉल होने पर साइबर ठग सारी जानकारी चुरा सकते हैं।
- साइबर ठग रिमोट एक्सेस ऐप को एक लिंक के जरिए मैसेज बनाकर भेजते हैं। दिखने में यह मैसेज सामान्य मैसेज लगते हैं। ऐस लिंक में लुभावने ऑफर दिए जाते हैं। जैसे- प्रधानमंत्री आवास योजना, लोन योजना, नॉलेज या जरूरी सूचना।
- लिंक पर क्लिक करते ही ये ऐप मोबाइल में अपने आप डाउनलोड होकर स्टोर हो जाते हैं। कई बार ठग वॉट्सऐप पर मैसेज भेजते हैं। अगर आपके वॉट्सऐप में ऑटो डाउनलोड चालू है तो बिना क्लिक किए भी ये ऐप अपने आप डाउनलोड हो जाते हैं।
- इसके बाद हैकर आपके मोबाइल की स्क्रीन को लाइव देखकर आपके बैंक खातों के पासवर्ड, UPI पेमेंट का पिन इत्यादि सबकी जानकारी जुटा लेते हैं।
हैकर ऐप को पहचानने के तरीके
1-मोबाइल को हैक करने वाले रिमोट एक्सेस ऐप के लिंक को पहचानने का एक ही तरीका है। साइबर ठग जो भी लिंक भेजते हैं, आप अगर सावधानी से पढ़ेंगे तो लिंक के आखिर में .apk, .exc, .pif, .shs, .vbsलिखा हुआ आएगा। ऐसे लिंक पर बिल्कुल क्लिक नहीं करें।
2- इसके अलावा anydesk, teamviewer, airdrop, meadmin, airminerनाम की ऐप का कोई लिंक कभी डाउनलोड न करें। यह सभी रिमोट एक्सेस ऐप हैं।
3- आपके मोबाइल में कहीं ऐसा ऐप इंस्टॉल तो नहीं हो रखा है। यह पता लगाने के लिए मोबाइल की सेटिंग में जाकर .apk, .exc, .pif, .shs, .vbs लिखकर सर्च करें।
4- अगर आपके मोबाइल इस तरह के ऐप इंस्टॉल होंगे तो सर्च करने पर इनकी फाइल सामने आ जाएगी। उसे अनइंस्टॉल कर दें।
इन तरीकों से लोगों को बनाया जाता है शिकार
- आप मोबाइल पर पोर्न देख रहे हो।
- अकाउंट में इलीगल ट्रांजेक्शन हुआ है।
- आपके पार्सल में ड्रग्स मिली है।
- फेसबुक पर न्यूड वीडियो कॉल।
- क्रेडिट कार्ड की आउट स्टैंडिंग बढ़ गई है।
डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए अपनाएं ये तरीके
- किसी भी अनजान कॉल पर जानकारी शेयर न करें।
- फोन उठाने से पहले चेक करें कि कहीं नंबर 9 डिजिट का तो नहीं है।
- साइबर ठग कंप्यूटर कॉल करते हैं, जिसका नंबर 9 डिजिट का होता है।
- कॉल करने वाले की आइडेंटिटी वेरिफाई करें।
- खुद से कभी भी पर्सनल या फाइनेंशियल डिटेल न शेयर करें।
- कभी भी अनजान नंबर पर पैसे ट्रांसफर न करें।
- इस तरह का कॉल आने पर परिवार के अन्य सदस्यों को इसकी जानकारी दें।
- संदेह होने पर तुरंत फोन काट दें।
- डराने धमकाने पर तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत करें।
साइबरी ठगी में फंस जाने पर क्या करें
स्टेप–1: पहले खुद कस्टमर केयर पर कॉल कर बैंक अकाउंट ब्लॉक या फ्रीज करवाएं
साइबर ठगी होने पर सबसे पहले अपना बैंक अकाउंट का डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड ब्लॉक करवाना चाहिए। कार्ड के पीछे लिखे कस्टमर केयर नंबर पर कॉल कर यह काम तुरंत किया जा सकता है। बाद में अपना बैंक खाता भी फ्रीज करवाएं, ताकि ठग ऑनलाइन ट्रांजेक्शन न कर पाए।
स्टेप–2: 1930 नंबर पर कॉल करें
बैंक अकाउंट से पैसे कटने के बाद भी, उन्हें रिफंड करवाने का आपके पास एक मौका होता है। इसके लिए सबसे पहले 1930 नंबर पर कॉल करें। यह नंबर ऑल इंडिया साइबर फ्रॉड पोर्टल का है। आप देश के किसी भी हिस्से में रहें साइबर ठगी की शिकायत यहां दर्ज करवा सकते हैं। इस नंबर पर कॉल करने के बाद आपके पैसे रिफंड होने की गारंटी इस बात पर निर्भर करती है कि आपने ठगी होने के कितने समय बाद या समय गंवाए बिना इस हेल्पलाइन नंबर पर कॉल किया।
अगर ठगी होने का पता देर से लगे या 24 घंटों बाद पता लगे, तब क्या करें?
अगर ठगी होने के 24 घंटों तक आपने 1930 नंबर पर शिकायत नहीं की तो आप cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। इसमें आपको वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन फॉर्म भरना होगा। फॉर्म सबमिट करने के बाद आपकी शिकायत ऑनलाइन दर्ज हो जाएगी।