सुप्रीम कोर्ट ने आज बुलडोजर एक्शन पर फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि अफसर जज नहीं बन सकते। वे तय न करें कि दोषी कौन है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने ये भी कहा कि 15 दिन के नोटिस के बगैर निर्माण गिराया तो निर्माण कार्य अफसर के खर्च पर दोबारा होगा।
“अपना घर हो, अपना आंगन हो, इस ख्वाब में हर कोई जीता है। इंसान के दिल की ये चाहत है कि एक घर का सपना कभी न छूटे।”
तीन राज्य जहां पिछले कुछ महीनों में हुआ बुलडोजर एक्शन
मध्यप्रदेश (अगस्त 2024)
मध्यप्रदेश के छतरपुर में 21 अगस्त को कोतवाली थाने पर पथराव के 24 घंटे के भीतर सरकार ने यहां 20 हजार स्क्वायर फीट में बनी 20 करोड़ रुपए की तीन मंजिला हवेली को जमींदोज कर दिया था। जब हवेली गिराई जा रही थी, तब भी परिवार का कोई सदस्य यहां मौजूद नहीं था। FIR के मुताबित, चारों भाइयों ने भीड़ को पुलिस पर हमला करने के लिए उकसाया था।
राजस्थान (अगस्त 2024)
राजस्थान के उदयपुर के सरकारी स्कूल में कक्षा10 में पढ़ने वाले एक छात्र ने दूसरे छात्र को चाकू मारकर घायल कर दिया था। इसके बाद पूरे शहर में आगजनी और हिंसक प्रदर्शन हुए। 17 अगस्त को आरोपी छात्र के घर पर बुलडोजर एक्शन हुआ था। इससे पहले सरकार के निर्देश पर वन विभाग ने आरोपी के पिता सलीम शेख को अवैध बस्ती में बने मकान को खाली करने का नोटिस दिया था।
उत्तर प्रदेश (जून 2024)
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में विवाहिता के अपहरण की कोशिश करने वाले के घर पर बुलडोजर चला था। आरोपी ने अपराध का विरोध कर रहे महिला के मां-पिता और भाई को गोली मार दी थी। वहीं, बरेली में रोटी के विवाद में युवक की पीट-पीटकर हत्या करने वाले होटल मालिक जीशान का होटल जमींदोज कर दिया गया। दरअसल, सनी का 26 जून को बर्थडे था। सनी ने मशाल होटल के मालिक जीशान को 150 रोटी का आर्डर दिया था। जीशान ने सिर्फ 50 रोटी दी और 100 रोटी देने से मना कर दिया था। विवाद बढ़ा तो जीशान ने अपने साथियों के साथ मिलकर सनी की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी।
मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में लगातार बुलडोजर एक्शन के बाद जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। आरोप लगाया था कि बीजेपी शासित राज्यों में मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है और बुलडोजर एक्शन लिया जा रहा है।वहीं, केंद्र सरकार ने दलील दी थी कि कोर्ट अपने फैसले से हमारे हाथ ना बांधे। किसी की भी प्रॉपर्टी इसलिए नहीं गिराई गई है, क्योंकि उसने अपराध किया है। आरोपी के अवैध अतिक्रमण पर कानून के तहत एक्शन लिया गया है।
बुलडोजर एक्शन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिनमें प्रॉपर्टी तोड़ने को लेकर गाइडलाइंस बनाने की मांग की गई थी। अदालत ने 15 गाइडलाइंस भी दीं।
सुप्रीम कोर्ट: गाइडलाइंस की अनदेखी कोर्ट की अवमानना होगी, अधिकारीध्वस्त निर्माण को पुन: अपने खर्च से बनवाए
1- अगर बुलडोजर एक्शन का ऑर्डर दिया जाता है तो इसके खिलाफ अपील करने के लिए वक्त दिया जाना चाहिए।
2- रातोंरात घर गिरा दिए जाने पर महिलाएं-बच्चे सड़कों पर आ जाते हैं, ये अच्छा दृश्य नहीं होता। उन्हें अपील का वक्त नहीं मिलता।
3- हमारी गाइडलाइन अवैध अतिक्रमण, जैसे- सड़कों या नदी के किनारे पर किए गए अवैध निर्माण के लिए नहीं है।
4- शो कॉज नोटिस के बिना कोई निर्माण नहीं गिराया जाएगा।
5- रजिस्टर्ड पोस्ट के जरिए कंस्ट्रक्शन के मालिक को नोटिस भेजा जाएगा और इसे दीवार पर भी चिपकाया जाए।
6- नोटिस भेजे जाने के बाद 15 दिन का समय दिया जाए।
7- कलेक्टर और डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को भी जानकारी दी जाए।
8- डीएम और कलेक्टर ऐसी कार्यवाई पर नजर रखने के लिए नोडल अफसर की नियुक्ति करें।
9- नोटिस में बताया जाए कि निर्माण को क्यों गिराया जा रहा है, इसकी सुनवाई कब होगी, किसके सामने होगी? एक डिजिटर पोर्टल हो, जहां नोटिस और ऑर्डर की पूरी जानकारी हो।
10- अधिकारी पर्सनल हियरिंग करें और इसकी रिकॉर्डिंग की जाए। फाइनल ऑर्डर पास किए जाएं और इसमें बताया जाए कि निर्माण गिराने की कार्रवाई जरूरी है या नहीं। साथ ही यह भी कि निर्माण को गिराया जाना ही आखिरी रास्ता है।
11- ऑर्डर को डिजिटल पोर्टल पर दिखाया जाए।
12- अवैध निर्माण गिराने का ऑर्डर दिए जाने के बाद व्यक्ति को 15 दिन का मौका दिया जाए, ताकि वह खुद अवैध निर्माण गिरा सके या हटा सके। अगर इस ऑर्डर पर स्टे नहीं लगाया गया है, तब ही बुलडोजर एक्शन लिया जाएगा।
13- निर्माण गिराए जाने की कार्रवाई की वीडियोग्राफी की जाए। इसे सुरक्षित रखा जाए और कार्रवाई की रिपोर्ट म्युनिसिपस कमिश्नर को भेजी जाए।
14- गाइडलाइन का पालन न करना कोर्ट की अवमानना मानी जाएगी। इसका जिम्मेदार अधिकारी को माना जाएगा और उसे गिराए गए निर्माण को दोबारा अपने खर्च पर बनाना होगा और मुआवजा भी देना होगा।
15- हमारे डायरेक्शन सभी मुख्य सचिवों को भेज दिए जाएं।
बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की मुख्य टिप्पणियां
1- “एकआदमी हमेशा सपना देखता है कि उसका आशियाना कभी न छीना जाए। हर एक का सपना होता है कि सर पर छत हो। क्या अधिकारी ऐसे आदमी की छत ले सकते हैं, जो किसी अपराध में आरोपी हो या फिर दोषी हो? क्या उसका घर बिना तय प्रक्रिया का पालन किए गिराया जा सकता है!” – जस्टिस बी.आर . गवई
2- “अगर कोई व्यक्ति सिर्फ आरोपी है, ऐसे में उसकी प्रॉपर्टी को गिरा देना पूरी तरह असंवैधानिक है। अधिकारी यह तय नहीं कर सकते हैं कि कौन दोषी है, वे खुद जज नहीं बन सकते हैं कि कोई दोषी है या नहीं। यह सीमाओं को पार करना हुआ।” – सुप्रीम कोर्ट
3- “अगर कोई अधिकारी किसी व्यक्ति का घर गलत तरीके से इसलिए गिराता है कि वो आरोपी है, यह गलत है। अधिकारी कानून अपने हाथ में लेता है तो एक्शन लिया जाना चाहिए। मनमाना और एकतरफा एक्शन नहीं ले सकते। अफसर ऐसा करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए एक सिस्टम हो। अधिकारी को बख्शा नहीं जा सकता है।” – सुप्रीम कोर्ट
4- “एक घर सामाजिक-आर्थिक तानेबाने का मसला है। ये सिर्फ एक घर नहीं होता है, यह बरसों का संघर्ष है, यह सम्मान की भावना देता है। अगर घर गिराया जाता है तो अधिकारी को साबित करना होगा कि यही आखिरी रास्ता था। जब तक कोई दोषी करार नहीं दिया जाता है, तब तक वो निर्दोष है। ऐसे में उसका घर गिराना उसके पूरे परिवार को दंडित करना हुआ।” – जस्टिस बी.आर . गवई