लॉकडाउन स्पेशल : जब हम बैठे थे घरों में वो कर रहे थे ड्यूटी
Posted By: Ashutosh Ojha
Last updated on : June 03, 2020
विश्व के साथ ही जब भारत में कोरोना ने दस्तक दी तो भारत की पुलिस व्यवस्था ने इन दौरान अपना अदम्य साहस दिखाते हुये जनता की सेवा की। कोरोना के बाद पूरे देश में लगे लॉकडाउन में पुलिस का काम सबसे अहम देखा गया इसके साथ ही पुलिस को कई बार जनता के गुस्से को भी झेलना पड़ा। इन सबके बावजूद पुलिस ने अपने कर्तव्यों का पालन करते हुये लॉकडाउन में समाज के प्रति अपना सर्वोच्च योगदान दिया।
इंडिया वेव संवाददाता आशुतोष वत्स ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कार्यरत पुलिस वालों से बीते तीन महीनों के अनुभव को जानने की कोशिश की। साथ ही ये भी जाना कि बीते तीन महीने उनके और उनके परिवार के लिए कितने अहम थे। इस दौरान आज हमने लखनऊ में अलग अलग चौराहों पर जैसे हजरतगंज चौराहा, 1090 चौराहा, समतामूलक चौराहा, गांधीपार्क, अनेक्सी चौराहा आदि लगभग 10 चौराहों पर खड़े पुलिस के जवानों से बात की।
अंकित कुमार (ट्रैफिक हवलदार) : पहला ऐसा अनुभव है जिसमें हमें महसूस हुआ कि हम इसी के लिए बने हैं। इस महामारी में पुलिस के साथ साथ आम पब्लिक ने भी हमारा साथ दिया है। भारत में जिस प्रकार से कोरोना से मौत कम हुयी है उसे देख कर अच्छा लगा कि हमारा प्रयास सफल रहा। घर वालों से रोज मोबाइल से हमारी बात होती रही है, घर वालों को मेरी चिंता है मुझे उनकी है लेकिन शुक्रिया उन सबका जिसने हमारा साथ दिया। कोरोना काल के दौरान हमारे लिए सबसे टफ टास्क था पब्लिक को रोकना, कुछ लोग नहीं मानते थे उनको फिर हमने अच्छे से समझाया।
पवन कुमार सिंह (एसआई) : कोरोना काल के दौरान अच्छी तरीके से ड्यूटी की गई, घर वालों से दूर थे हम, लेकिन सब अच्छा है। पिछले तीन महीने हमारे लिए काफी चैलिंजिंग थे। सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक ड्यूटी करना फिर घर पहुँचना रात में खाने पीने के बाद सो जाना यही रूटीन चलता रहा।
बद्री प्रसाद यादव (हवलदार) : इन तीन महीनों में पब्लिक का बहुत सहयोग मिला। हमारे लिए सबसे बड़ा चैलेंज था पब्लिक को रोकना जिसमें हम पब्लिक के सहयोग से सफल रहे हैं। बाइक और कार में चलने वाले लोगों को रोकना, सोशल डिस्टेन्सिंग के बारे में बताना। कोरोना काल के दौरान घर वालों का (गाँव) फोन आता रहा, बच्चों ने हालचाल पूछा साथ ही डर तो सबको लगता है वो लोग भी डरे हुये थे।
जगदंबा प्रसाद यादव (पीएसी सिपाही) : कोरोना काल में ड्यूटी के दौरान परेशानियाँ तो आईं हैं लेकिन जनता का काफी सहयोग मिला है। हमने अपनी ड्यूटी के दौरान कोई हीलाहवाली नहीं की, बहुत ही सख्ती के साथ मुस्तैद रहे हम सभी पुलिस के लोग। कोरोना काल के दौरान एक डर था हमारे अंदर इनदिनों की कहीं हम लोगों को भी कोरोना ना हो जाय। बहुत मुश्किल का दौर देखा है हम सब लोगों ने। गाड़ियों को चेक करने में डर लगता था।
बिरेन्द्र कुमार वर्मा (पीएसी सिपाही) : कोरोना काल के दौरान जब हम घर पहुँचते थे तो सारे कपड़े बाहर निकालकर तब घर में घुसते थे। ऐसा टाइम हमने कभी नहीं देखा है अपनी 30 साल की नौकरी में। भयानक डर था परिवार में कि कहाँ से आ रहें है कहीं घर वालों को भी दिक्कत न हो जाय। इस महामारी ने हमें सिखाया कि साफ सफाई से रहना होगा, सोशल डिस्टेन्स का अगर पालन नहीं किया तो भयानक स्थिति हो सकती है। बीते तीन महीने हमारे लिए बहुत मुसीबत वाले थे लेकिन पब्लिक ने हमारी मेहनत को बेकार नहीं होने दिया।
निर्मला सिंह (हवलदार) : हमने बीते तीन महीनों में अपना बेस्ट किया है। हमने पब्लिक से कहा कि आप हमारी मुसीबत और न बढ़ाएँ और पब्लिक ने हमारी बात को माना भी है तभी आप देख रहें है कि लखनऊ अभी भी बहुत अच्छी स्थिति में है। 25 साल नौकरी करते हो गए हमें ऐसा समय हमने कभी नहीं देखा। कोरोना काल के दौरान हमें बहुत मुश्किलों से भी गुजरना पड़ा है। घर से ड्यूटी पर जाना फिर दिनभर जो पानी हम सुबह साथ लाते थे उसी से गुजारा करना ये बहुत बड़ा चैलेंज था हमारे लिए। हाँ इन दौरान जो सबसे अच्छा था वो था रोड बिलकुल शांत थी।
इंडिया वेव से बातचीत में लखनऊ कमिश्नर सुजीत पांडेय ने कहा कि हमारे सिपाही जान पर खेल कर काम किए हैं। बहुत ही मोटीवेटेड सिपाही रहे हैं इस कोरोना काल के दौरान। जो पुलिसिंग के अलावा भी हो सकता था वो हमने किया है। हमारी पुलिस हमेशा जनता के लिए अपना सर्वोच्च योगदान देने को अपना फर्ज समझती है।
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