लखनऊ में 7 साल से अटके पड़े मकान अब बनना होंगे शुरू, भारतीय दूतावास से मिली मदद

करीब सात वर्षों से एलडीए की देवपुर पारा योजना के लोगों के मकान निर्माण का कार्य लटका हुआ है। एलडीए ने 2015 में इनके मकान आवंटित किए थे और वादा किया था कि 2018 में लोगों को मकान का कब्ज़ा मिल जाएगा लेकिन अभी तक लोग इंतज़ार में ही बैठे थे। अब 1560 लोगों का इंतज़ार खत्म होने वाला है। लगभग 10वीं बार के टेंडर में निर्माण के लिए आगे आई कंपनी की भारतीय दूतावास के सहयोग से श्री लंका से जांच हुई है। इसमें देवपुर पारा की योजना के मकान निर्माण के कार्य को हरी झंडी मिल गयी है।
इससे पहले भी बार एलडीए इस योजना के लिए टेंडर करा चुका है लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। अब 10वीं बार जो कंपनी आगे आई उसका सत्यापन श्री लंका से होना था। ऐसा इसलिए क्योंकि कंपनी का एक्सपीरियंस सर्टिफिकेट श्री लंका का था। भारतीय दूतावास ने इसमें मदद की और कंपनी को टेंडर मिल गया। खबरों के मुताबिक, अधिशासी अभियन्ता संजीव गुप्ता ने बताया कि एक्सपीरियंस सर्टिफिकेट श्री लंका का था जिसका वैरिफिकेशन हो गया है। काम करने वाली कंपनी तमिलनाडु है। इन मकानों के निर्माण पर कुल 100 करोड़ रुपए खर्च होना है। एलडीए ने टेंडर में करीब 104 करोड़ रुपए प्रस्तावित किए थे। लेकिन तमिलनाडु की यह कंपनी 100 करोड़ में इन 1560 मकानों के निर्माण को तैयार है।
देवपुर पारा योजना के तहत ईडब्ल्यूएस के 800 मकान है, एलआईजी के 304 मकान है, एमएमआईजी के 456 मकान है। इन मकानों की निर्माण लागत 100 करोड़ रुपये आंकी गई है। ये मकान लोगों को 2015 में आवंटित हुए थे। इनका कब्जा 2018 में दिया जाना था लेकिन अभी तक बनने के इंतजार में हैं।
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