उत्तर प्रदेश में GST एक जुलाई से लागू, आपको होगा ये फायदा

लोकसभा में जीएसटी बिल पास होने के बाद योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश में 1 जुलाई से जीएसटी व्यवस्था लागू करने के निर्देश दे दिये हैं। जीएसटी लागू होने से न सिर्फ जनता को लाभ होगा बल्कि व्यापारियों को भी बड़ी राहत मिलेगी। योगी सरकार ने कैबिनेट की एक बैठक में इसका ऐलान किया।
क्या है जीएसटी बिल?
इस बिल के तहत वह टैक्स आते हैं जिन्हें जनता से सीधे तौर पर तो वसूल नहीं किया जाता है, लेकिन आखिरकार यह टैक्स अपरोक्ष रूप से जनता की ही जेब से जाता है। माना जा रहा है कि आजादी के बाद यह सबसे बड़ा टैक्स रिफॉर्म है। किन कमोडिटीज पर पड़ेगा असर जीएसटी लागू होने के बाद सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी, एडीशनल एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, एडीशनल कस्टम ड्यूटी (सीवीडी), स्पेशल एडिशनल ड्यूटी ऑफ कस्टम (एसएडी), वैट/सेल्स टैक्स, सेंट्रल सेल्स टैक्स, मनोरंजन टैक्स, ऑक्ट्रॉय एंडी एंट्री टैक्स, परचेज टैक्स, लक्जरी टैक्स खत्म हो जाएंगे।
राज्यों के टैक्स खत्म हो जायेंगे
इस कानून के आने के बाद वस्तुओं एवं सेवाओं पर केवल तीन टैक्स वसूले जाएंगे पहला सीजीएसटी जोकि केंद्र सरकार द्वारा वसूला जाएगा। दूसरा एसजीएसटी यानी स्टेट जीएसटी जिसे राज्य सरकार वसूलेगी, यह टैक्स राज्य के भीतर होने वाले कारोबारियों से वसूला जाएगा। लेकिन अगर दो राज्यों के भीतर कारोबार होता है तो उस पर आईजीएसटी यानी इंटीग्रेटेड जीएसटी वसूला जाएगा। इस टैक्स को केंद्र सरकार वसूलेगी लेकिन उसे दोनों राज्यों के बीच समान रूप से बांटा जाएगा। पूरे देश में उत्पादों के एक दाम होंगे इस कानून के पास होने के बाद एक ही चीज का दाम हर राज्य में अलग-अलग नहीं होगा बल्कि एक ही दाम पर बिकेगा। ऐसे में कई चीजों की कीमतों में कमी आयेगी और हर चीज का दाम पूरे देश में एक ही होगा। मौजूदा बिल में शराब और पेट्रोल-डीजल को अलग रखा गया है जिसके चलते इसके दाम अलग-अलग राज्यों में अलग होगा। केंद्र सरकार करेगी मदद आपको बता दें कि इस कानून के लागू होने के बाद जो नुकसान राज्यों को होगा उसका वहन 3 साल तक केंद्र सरकार करेगी। लेकिन चौथे साल के बाद 75 फीसदी और पांचवे साल 50 फीसदी नुकसान की भरपाई केंद्र सरकार करेगी।
जीडीपी में होगा सुधार
इस कानून के पास होने से देश की जीडीपी में तकरीबन 2 फीसदी का उछाल आने का अनुमान है। इसकी अहम वजह है कि टैक्स चोरी पर लगाम लगेगी। साथ ही हर स्तर पर टैक्स वसूली में होने वाली चोरी में कमी आयेगी और कारोबारियों में टैक्स देने की रूचि बढ़ेगी। इस कानून के लागू होने से भारत में 20 अलग-अलग टैक्स से मुक्ति मिल जाएगी।
जीएसटी बिल क्या है
कई वर्षों तक चली बहस चली। गुड्स और सर्विस टैक्स या वस्तु और सेवा कर या जीएसटी के हर पहलू पर चर्चा हुई। पक्ष-विपक्ष में कई तरह के तर्क दिए गए। इसे भारत में अब तक के सबसे बड़े आर्थिक सुधार के तौर पर देखा जा रहा है। एक देश, एक टैक्स वाली अर्थव्यवस्था। उद्योग और कारोबार इस महत्वपूर्ण सुधार की मांग लंबे समय से कर रहे थे और आखिरकार भारत भी एकल टैक्स से एक बाजार की शक्ल लेने को तैयार है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने हालांकि कोई वादा नहीं किया और सिर्फ यह ही कहा कि जीएसटी काउंसिल को बनाना अभी शेष है। प्रस्तावित जीएसटी बिल का मसौदा भी तैयार किया जाना है।
केंद्र सरकार ने वादा किया है कि जीएसटी शुरू करने के बाद शुरुआती पांच वर्षों तक राज्यों को आर्थिक मदद देगा। यह मदद उस नुकसान के भरपाई के तौर पर होगी, जो राज्यों को मौजूदा टैक्स व्यवस्था से मिल रहे राजस्व के मुकाबले नई व्यवस्था से होगी। इस समय तंबाकू, अल्कोहल और पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। भारतीय अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था विकसित देशों के मुकाबले न कम है और न ही ज्यादा। ज्दातर विकसित देशों में 15-20 प्रतिशत का यूनिफार्म रेट है। जबकि भारत 18-20 प्रतिशत के बीच जीएसटी व्यवस्था स्वीकार करने की तैयारी में है।
जीएसटी बिल के उद्देश्य
प्रस्तावित जीएसटी बिल का उद्देश्य देश में एक समान और पारदर्शी टैक्स व्यवस्था को लागू करना है। ताकि कारोबार करना आसान हो सके। टैक्स बेस बढ़ सके और सरकार का राजस्व बढ़ सके। पूरी प्रक्रिया सुधरे और कई स्तरों पर लगने वाले टैक्स से मुक्ति मिले। कारोबारियों के लिए टैक्स जमा करना आसान हो। मुद्रास्फीति कम हो और जीडीपी को गति मिले। नई जीएसटी व्यवस्था एक्साइज ड्यूटी, काउंटरवेलिंग टैक्स, सर्विस टैक्स जैसे 17 केंद्रीय और राज्यों के सेल्स टैक्स, वैट, ऑक्ट्राई और लग्जरी टैक्स जैसे अप्रत्यक्ष करों की जगह ले लेगी।
जीएसटी से अपेक्षित लाभ
1- ज्यादातर वस्तुओं की रिटेल कीमत कम होगी
2- जीडीपी में 1-2 प्रतिशत की वृद्धि होगी
3- लंबी अवधि में मुद्रास्फीति घटेगी
4- रोजगार के ज्यादा अवसर पैदा होंगे
5- मार्केट में ई-कॉमर्स की स्थिति मजबूत होगी
6- दायरा बढ़ने से अप्रत्यक्ष कर संग्रह बढ़ेगा
7- लंबी अवधि में कर संग्रह का लक्ष्य अप्रत्यक्ष से प्रत्यक्ष करों की होगा
8- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़ेगा और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का भरोसा सुधरेगा
यह रहेंगे फायदे में
लॉजिस्टिक्स (परिवहन)
-तेजी से बढ़ते ई-कॉमर्स के साथ ‘मेक इन इंडिया’ की बढ़ती मौजूदगी से लॉजिस्टिक्स में काम कर रही कंपनियों को सबसे ज्यादा फायदा होगा। कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, इंटरग्लोब एविएशन, ऑलकार्गो, एजिस लॉजिस्टिक्स, अदानी एसईजेड, गुजरात पिपावाव जैसी कंपनियों में तेजी आएगी।
ऑटोमोबाइल्स
छोटी कार बनाने वाली कंपनियों, जैसे- मारुति, हुंडई और टाटा मोटर्स के साथ ही हीरो होंडा, आइशर, बजाज ऑटो को भी बहुत लाभ मिलने वाला है। इससे कीमतों में गिरावट तय है।
एफएमसीजी
हिंदुस्तान लीवर्स, पीएंडजी, गोदरेज और आईटीसी जैसी बड़ी एफएमसीजी कंपनियां भी बड़े पैमाने पर टैक्स और लॉजिस्टिक्स लागत कम कर सकेंगी।
उपभोक्ता उत्पाद
इस सेक्टर की ज्यादातर कंपनियों को टैक्स और लॉजिस्टिक्स की लागत कम होने का फायदा मिलेगा। सफेद सामान बनाने वाले, इलेक्ट्रिकल अप्लायंसेस के सेक्टर को सबसे ज्यादा लाभ होगा।
सीमेंट
बुनियादी ढांचे में सीमेंट एक महत्वपूर्ण घटक है। ज्यादातर सीमेंट कंपनियों को मांग में बढ़ोतरी का सामना करना पड़ेगा। जीएसटी की वजह से लागत कम होने का फायदा मांग बढ़ने के तौर पर मिलेगा। इससे भारत में बुनियादी ढांचे की लागत कम होगी।
इन्हें होगा नुकसान
लग्जरी कार निर्माता
लग्जरी कारों का निर्माण महंगा होगा, जिससे इस पर कम बिक्री का दबाव भी बढ़ सकता है।
मोबाइल फोन
मोबाइल फोन खरीदारों को अपने फोन पर ज्यादा खर्च करना पड़ सकता है।
रेस्टोरेंट्स
बाहर खाना खाने महंगा पड़ने वाला है। खासकर वेतनभोगी परिवारों को ही इसका नुकसान होगा।
ब्रांडेड ज्वेलरी
ब्रांडेड ज्वेलरी भी महंगी हो जाएगी। इससे टाइटन जैसी कंपनियों को नुकसान होगा, जो पहले ही सोने के आयात की भारी-भरकम कीमत चुका रही हैं।
फार्मास्युटिकल्स
ज्यादातर फार्मा कंपनियों को ज्यादा अप्रत्यक्ष कर चुकाना होगा। आने वाले समय में इसे लेकर प्रदर्शन शुरू हो सकते हैं।
उपयोगी सामग्री
इलेक्ट्रिसिटी की बिक्री को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। कोयला-आधारित बिजली और नवीनीकृत ऊर्जा का इस्तेमाल करने वाली कंपनियों की लागत बढ़ सकती है।
तेल और गैस
एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ), हाई-स्पीड डीजल, कच्चा तेल और अन्य पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। यदि अप्रत्यक्ष करों को कम न किया गया तो नई व्यवस्था में निश्चित तौर पर पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत बढ़ेगी।
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