बॉयो-टॉयलेट लगाने में नंबर वन पर रहा यूपी का ये शहर

अभी तक शताब्दी, राजधानी और विमानों में इस्तेमाल होने वाला बॉयो-टॉयलेट अब शहरों में भी लगने जा रहा है। इस तरह का टॉयलेट खरीदने वाला गाजियाबाद उत्तर प्रदेश का पहला नगर निगम बन गया है।
ईको-फ्रेंडली तकनीकी बेस बायो-टॉयलेट के वेस्टेज को डिस्पोजल करने में पानी की बर्बादी भी नहीं होती है। इसके टैंक में बैक्टीरिया डाला जाता है, जो वेस्ट को डिस्पोजल कर उसे पानी में बदल देता है। नगर निगम ने 10 ऐसे टॉयलेट खरीदे हैं, इनमें से दो टॉयलेट निगम के पास आ भी गए हैं। बाकी बचे आठ टॉयलेट एक-दो महीने में आ जाएंगे। हर शौचालय की कीमत करीब सवा छह लाख रुपये तक आएगी। एक मोबाइल शौचालय में दस सीट हैं। इसे उन जगहों पर लगाया जाएगा जहां लोग खुले में शौच जाते हैं। निगम ने एक एक्सपर्ट कंपनी से इन टॉयलेट को डिजाइन कराया है।
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क्या होता है बायो टॉयलेट
बायो टॉयलेट की खोज रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) व भारतीय रेलवे ने मिलकर किया था। इस टॉयलेट में शौचालय के नीचे बायो डाइजेस्टर कंटेनर लगा होता है, जिसमें एनेरोबिक बैक्टीरिया होते हैं। ये बैक्टीरिया मानव मल को पानी और गैसों में बदल देते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान मल के सड़ने पर केवल मीथेन गैस और पानी ही शेष बचता है। इसके बाद पानी को दोबार री-साइकिल करके शौचालयों में पहुंचा दिया जाता है। इससे बनने वाली गैसों को वातावरण में छोड़ दिया जाता है और दूषित जल को क्लोरिनेशन के बाद पटरियों पर छोड़ दिया जाता है।
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क्या होगा फायदा
इन टॉयलेट को वहां लगाया जाएगा जहां लोग खुले में शौच जाते हैं। खुले में शौचमुक्त होने के बाद अब भी गाजियाबाद में ऐसी 13 जगह हैं, जो खुले में शौच संभावित एरिया हैं। ऐसे एरिया में निगम मोबाइल शौचालय लगाने की योजना लंबे समय से कर रहा था। इससे लोगों को सुविधा मिलने के साथ-साथ पानी की बर्बादी को भी रोका जा सकता है। नगर आयुक्त सीपी सिंह ने बताया कि यह सब ईको-फ्रेंडली तकनीकी बेस शौचालय है। नगर निगम ने एक कंपनी की सलाह पर बॉयो-टॉइलट खरीदे हैं। इन शौचालयों के पानी के टैंक के लिए जरूरत नहीं होती है।
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