
उत्तर प्रदेश के पूर्वाञ्चल व दक्षिनांचल के निजीकरन की तैयारी चल रही है जबकि चंडीगढ़ में इसे अमलीजामा पहना दिया गया है। अब जम्मू कश्मीर में भी निजीकरण की शुरुआत की है। ऐसे में बिजली कर्मियों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। ऐसे में अगले सप्ताहभर विरोध प्रदर्शन जारी रखा जाएगा।
विधयुत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने रविवार को बयान में कहा कि निजीकरन के विरोध में पूरे सप्ताह विरोध प्रदर्शन जारी रखा जाएगा। सोमवार को शक्तिभवन सहित अन्य कार्यालयों पर भी विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ को देखते हुए वहां 5 फरवरी तक कोई आंदोलन नहीं करेंगे। महाकुंभ के दौरान बिजली कर्मी श्रेष्ठतम बिजली आपूर्ति करने के लिए संकल्पबद्ध हैं। संघर्ष समिति ने कहा कि घाटे के नाम पर उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण की बात आम जनता के लिए धोखा है। पावर कार्पोरेशन प्रबंधन घाटा तो बता रहा है लेकिन घाटे के आंकड़े नहीं जारी कर रहा है। बिजली बिल का 1.25 लाख करोड़ बकाया है।
संघर्ष समिति ने कहा कि मुनाफे में चल रहे चंडीगढ़ का निजीकरण करने से यह स्पष्ट हो गया है कि घाटे या मुनाफा की बात है ही नहीं। निजीकरण सिर्फ चंद घरानों को उपकृत करने के लिए किया जा रहा है।