
पावर कार्पोरेशन की हुई बैठक में तय किया गया कि सारे माडल (पीपीपी) के तहत पूर्वाचल और दक्षिणाचल विधयुत वितरण निगम में बदलाव किया जाएगा। तय किया गया की पूर्वाचल डिस्काम को तीन तथा दक्षिणाचल को दो कपनियों में बांटा जाएगा। इससे हर कंपनी में 30 से 35 लाख उपभोक्ता हो जाएंगे। इस प्रकार इन दोनों डिस्काम में कुल पांच नई कंपनियों का सृजन किया जाएगा।
बैठक के दौरान नए माडल पर विस्तार से चर्चा की गई। पांच कंपनी होने से किसी एक कंपनी व निजी निवेश के एकाधिकार की आशंका भी समाप्त हो जाएगी। पांच कंपनी होने पर कई निजी निवेशक आगे आ सकेंगे तथा एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का माहौल बनेगा। इन नई कंपनियों की सीमा इनके मंडलों व जिलों में व्यवस्था होगी कि प्रशासनिक नियंत्रण में सुधार हो। यह व्यवस्था होगी कि हर कंपनी में बड़े नगर भी शामिल हों तथा नगरीय व ग्रामीण क्षेत्रों का इस प्रकार सामंजस्य किया जाएगा जिससे इसमें काम करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों को निवास अपने परिवार के दायित्वों के निर्वाहन में असुविधा न हो।
कुछ लोग फैला रहे भ्रम
पावर कार्पोरेशन में सभी सूचनाएं ऑनलाइन उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर ही तैयार की जाती है। कुछ लोगों के द्वारा यह भी भ्रम फैलाया जा रहा है कि नई कंपनियों के सृजन के बाद इनमें कार्यरत अधिकारी व कर्मचारी पावर कार्पोरेशन वापस आ जाते हैं तो पावर कार्पोरेशन में पदोन्नतियां बाधित हो जाएंगी। इस बिन्दु पर प्रबंधन का विचार है कि रिफ़ार्म के बाद जीतने अधिकारी व कर्मचारी पावर कार्पोरेशन में रहेंगे तो उनके पदोन्नति के पद इसी अनुपात में बने रहेंगे। वहीं अधिकारियों कर्मचारियों को तीन विकल्प दिये जाएंगे ताकि उसी स्थान पर बने रहे या अन्य डिस्काम पर आ जाएं या फिर वीआरएस ले लें।
समझौते में अधिकारियों कर्मचारियों की सेवा शर्ते, वेतन व प्रोन्नति का स्पष्ट प्रविधान रहे। कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखा जाएगा। पावर कार्पोरेशन से कंपनी में आने वाले कार्मिकों की पदोन्नति बाधित नहीं होगी।