दिल्ली सहित इन धार्मिक नगरी से जोड़ेगा ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे

दिल्ली में जाम और प्रदूषण से निजात दिलाने के लिए बनाया गया ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे अपने में अनेक खूबियों को समेटे हुए है। 20 देशों का अध्ययन करके बनाया गया एक्सप्रेसवे भारत का पहला ऐसा एक्सप्रेसवे है, जिसमें वाहनों का वजन एंट्री प्वाइंट पर पहुंचने से पहले ही हो जाएगा और यह डिसाइड हो जाएगा कि उक्त वाहन की एंट्री होनी है कि नहीं। सबसे बड़ी इस खूबी के अलावा इस एक्सप्रेसवे के बनने के बाद कुरुक्षेत्र से कनेक्टिविटी होने के कारण यह एक्सप्रेसवे महाभारत व ब्रज सर्किट को जोड़ेगा।
ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे के शुरू होते ही कुरुक्षेत्र से कनेक्टिविटी होने के कारण यह एक्सप्रेसवे महाभारत व ब्रज सर्किट को जोड़ेगा। इसके अलावा इस रास्ते की वजह से कई अन्य पौराणिक क्षेत्र भी जुड़ जाएंगे, जो बागपत से लेकर मथुरा के बीच में हैं। एनबीटी में छपी खबर के अनुसार कुंडली से सफर शुरू करने के बाद पहला पड़ाव बागपत के मावीं कला में आता है।
मावीं कला से लगभग 20 किलोमीटर दूर पुरा महादेव का मंदिर है। पौराणिक मान्यताओं में कहा जाता है कि यहां भगवान परशुराम ने शिवलिंग की स्थापना की थी। साल में दो बार हरिद्वार से कांवड़ लाते समय लोग पुरा महादेव मंदिर पर ही गंगा जल चढ़ाते हैं। इसके साथ ही बलैनी गांव के पास महर्षि वाल्मीकि का आश्रम है। कहा जाता है कि लव और कुश का जन्म यहीं हुआ था।
महाभारत काल में पांडवों के लिए बनाया गया लाक्षागृह बरनावा भी इसी क्षेत्र में बड़ौत से 15 किलोमीटर आगे है। जैन धर्म का प्रसिद्ध त्रिलोक तीर्थ धाम खेकड़ा के पास बड़ा गांव में है। यहां जैन मंदिर की ऊंचाई 317 फुट के करीब है। इसके अलावा सरूरपुर में गुफा वाले बाबा का मंदिर और बामनौली में नागबाबा का मंदिर भी दर्शनीय स्थल के रूप में जाने जाते हैं। यही नहीं गढ़ मुक्तेश्वर जाने में जाम भी नहीं मिलेगा। कनेक्टिविटी से हरियाणा, हिमाचल व जम्मू आदि से आने वाले लोग सीधे गढ़ मुक्तेश्वर पहुंच सकेंगे।
एक्सप्रेस-वे पर दिखेंगे देश के 36 स्मारक

अपने में खूबियों को समेटे इस ईस्टर्न पेरिफेरल पर गुजरने के दौरान आपको हवामहल से लेकर कुतुबमीनार तक 36 ऐसे ही स्मारक दिखाई देंगे। दरअसल इस पूरे एक्सप्रेवे पर इन स्मारकों की प्रतिक्रितियां लगाई गई हैं। इनमें कुछ प्रमुख स्मारक इस प्रकार हैं- कुतुबमीनार, हवामहल, इंडिया गेट, लालकिला, चार मीनार, जलियांवाला बाग, अशोक चक्र, कीर्ति स्तंभ आदि शामिल हैं।
क्या खास है ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे की खूबी
ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे को बनाने के लिए दुनिया के 20 देशों का अध्ययन किया गया है।
यह भारत का पहला ऐसा एक्सप्रेसवे है, जिसमें वाहनों का वजन एंट्री प्वाइंट पर पहुंचने से पहले ही हो जाएगा और यह डिसाइड हो जाएगा कि उक्त वाहन की एंट्री होनी है कि नहीं।
अगर वाहन ओवरलोड पाया गया तो एंट्री प्वाइंट के बजाय अपने आप ही एक्जिट गेट खुल जाएगा।
यह एक्सप्रेसवे कुंडली(दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर) से पलवल तक 6 लेन वाला और 135 किलोमीटर लंबा है।
ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे को बनाने में कुल आई 12 हजार करोड़ की लागत।
एक्सप्रेसवे को बनाने का 30 महीने का समय रखा गया था पर 18 माह में बनकर किया गया तैयार।
135 किमी की दूरी होगी 70 मिनट में पूरी, इस पर वाहनों की स्पीड लिमिट 120 किमी/घंटा होगी।
यह देश का पहला ग्रीन एक्सप्रेव होगा, जिस पर सभी 100 फीसदी लाइट सोलर से जलेंगी।
ड्रिप इरीगेशन से होगी इस एक्सप्रेसवे पर लगे पौधों की सिंचाई।
यमुना में 600 मीटर लंबा 4-4 लेन के ब्रिज होंगे, इस पर 4 बड़े ब्रिज, 46 छोट ब्रिज, 3 फ्लाईओवर, 7
इंटरचेंज, 70 अंडरपास, 151 पैदलपार पथ, 141 पुलिया, 8 रेलवेओवर ब्रिज होंगे।
कुंडली टोल प्लाजा पर बनेगी डिजिटल गैलरी। इसमें सब कुछ वर्चुअल होगा जिसे एनएचएआई प्रोजेक्ट की सफलता के तौर पर दिखाएगा।
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