पहले के मामले एक जुलाई से आईपीसी में होंगे दर्ज

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि एक जुलाई से पहले के अपराध आईपीसी में दर्ज होंगे लेकिन जांच भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के अनुसार की जाएगी। न्यायालय ने कहा कि किसी विशेष मामले में यदि एक जुलाई 2024 को जांच लंबित है तो सीआरपीसी के अनुसार जारी रहेगी। हालांकि पुलिस रिपोर्ट का सज्ञान बीएनएसएस के तहत निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार लिया जाएगा।

न्यायालय ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामले में जांच, परीक्षण या अपील सहित सभी बाद कि कार्यवाही बीएनएसएस प्रक्रिया के अनुसार की जाएगी। न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की पीठ ने यह कहा हमीरपुर निवासी दीपू और चार अन्य की याचिका पर की।

मुकदमें को रद्द करने के लिए आरोपियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस दौरान कोर्ट ने तीन जुलाई को आइपीसी में दर्ज एफआईआर पर एसपी हमीरपुर से बीएनएसएस के प्रविधानों को लागू न करर्ने पर जवाब मांगा था। एसपी ने व्यतिगत हलफनामा दाखिल कर बताया कि बीएनएसएस के शुरू होने के बाद पुलिस तकनीकी सेवा मुख्यालय उत्तर प्रदेश की ओर से एक परिपत्र जारी किया गया था। इसके अनुसार यदि बीएनएसएस के लागू होने से पहले कोई अपराध किया जाता है तो  एफआईआर आईपीसी के प्रविधानों में दर्ज होगी और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के अनुसार जांच की प्रक्रिया का पालन किया जाएगा।

संबन्धित मामले मे घटना 1 जुलाई 2024 से पहले हुई थी। इसीलिए आईपीसी के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। कोर्ट ने हलफनामा संतोषजनक पाते हुए कहा कि यह संविधान के हिसाब से सही है। कोर्ट ने कहा कि 1 जुलाई 2024 को लंबित जांच में पुलिस रिपोर्ट पर संज्ञान लिए जाने तक सीआरपीसी के अनुसार जांच जारी रहेगी। यदि सक्षम न्यायालय कि ओर से आगे कि जांच के लिए कोई कोई निर्देश दिया जाता है तो वह भी सीआरपीसी के अनुसार होगा।

Zeen is a next generation WordPress theme. It’s powerful, beautifully designed and comes with everything you need to engage your visitors and increase conversions.