विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस पर ग्राहक जान लें अपने ये अधिकार

उपभोक्ता को उनके अधिकारों के प्रति जगरूक करने के लिए हर वर्ष 15 मार्च को उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जाता है। जागो ग्राहक जागो के नारे से उपभोक्तााओं में जागरूकता भी आ रही है। इसकी शुरूआत आज से 24 साल पहले 1983 में कंज्यूमर्स इंटरनेशनल नाम की संस्था ने की थी और इसके पीछे उनका मकसद था कि दुनिया भर के सभी उपभोक्ता यह जानें लें कि बुनियादी जरूरतें पूरी करने के लिए उनके क्या अधिकार हैं और हर देश की सरकारें उपभोक्ताओं के अधिकारों का पूरा ध्यान रखें।
भारत में 24 दिसम्बर राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है। सन् 1986 में इसी दिन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम विधेयक पारित हुआ था। इसके बाद इसअधिनियम में 1991 तथा 1993 में कई संशोधन किए गए। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम को और भी ज्यादा सशक्त बनाने के लिए दिसम्बर 2002 में एक बड़ा संशोधन किया गया और 15 मार्च 2003 से इसे लागू किया गया। इस तरह उपभोक्ता संरक्षण नियम, 5 मार्च 2004 को अधिसूचित किया गया था। भारत सरकार ने 24 दिसम्बर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस घोषित किया है, क्योंकि भारत के राष्ट्रपति ने उसी दिन ऐतिहासिक उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अधिनियम को स्वीकारा था। इसके अलावा 15 मार्च को प्रत्येक वर्ष विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत में यह दिवस पहली बार वर्ष 2000 में मनाया गया था।
अमेरिका ने की थी शुरूआत
उपभोक्ता संरक्षण कानून की शुरूअत सबसे पहले अमेरिका में हुई थी। वहां के तत्कालीन राष्टपति कैनेडी चाहते थे कि उनके देश के उपभोक्ता अपने अधिकारों को लेकर सजग रहें। इसके लिए 15 मार्च 1962 को उन्होंने उपभोक्ता अधिकारों को बिल ऑफ राइट्स में शामिल किया और उपभोक्त सुरक्षा आयोग का गठन किया। अमेरिका के बाद ब्रिटेन ने 1973 में ये अधिनियम बनाया।
उपभोक्ताओं के अधिकार
- जीवन एवं संपत्ति के लिए हानिकारक सामान और सेवाओं के बिक्री के खिला़फ सुरक्षा का अधिकार।
- सामान अथवा सेवाओं की गुणवत्ता, मात्रा, क्षमता, शुद्धता, स्तर और मूल्य, जैसा भी मामला हो, के बारे में जानकारी का अधिकार।
- जहां तक संभव हो उचित मूल्यों पर विभिन्न प्रकार के सामान तथा सेवाओं तक पहुंच का आश्वासन।
- उपभोक्ताओं के हितों पर विचार करने के लिए बनाए गए विभिन्न मंचों पर प्रतिनिधित्व का अधिकार।
- उपभोक्ताओं के शोषण के विरुद्ध निपटान का अधिकार।
- सूचना संपन्न उपभोक्ता बनने के लिए ज्ञान और कौशल प्राप्त करने का अधिकार।
- अपने अधिकार के लिए आवाज़ उठाने का अधिकार।
माप-तौल के ये हैं नियम
- हर मापने वली बांट पर निरीक्षक की मुहर होनी चाहिए।
- एक साल की अवधि में मुहर का सत्यापन ज़रूरी है।
- पत्थर, धातुओं आदि के टुकड़ों का बांट के तौर पर इस्तेमाल नहीं हो सकता।
- फेरी वालों के अलावा किसी अन्य को तराज़ू हाथ में पक़ड कर तोलने की अनुमति नहीं है।
- तराज़ू एक हुक या छड़ की सहायता से लटका होना चाहिए।
- लकड़ी और गोल डंडी की तराज़ू का इस्तेमाल दंडनीय है।
- कपड़ा मापने के मीटर के दोनों सिरों पर मुहर होनी चाहिए।
- तेल एवं दूध आदि के मापों के नीचे तल्ला लटका हुआ नहीं होना चाहिए।
- मिठाई, गिरीदार वस्तुओं एवं मसालों आदि की तुलाई में डिब्बे का वज़न शामिल नहीं किया जा सकता।
- पैकिंग वस्तुओं पर निर्माता का नाम, पता, वस्तु की शुद्ध तोल एवं क़ीमत कर सहित अंकित हो। साथ ही पैकिंग का साल और महीना लिखा होना चाहिए।
- पैकिंग वस्तुओं पर मूल्य का स्टीकर नहीं होना चाहिए।
उपभोक्ता कैसे कर सकते हैं शिकायत
अगर किसी ग्राहक को किसी दुकानदार या जहां से उसने सामान खरीदा हो उससे शिकायत हो तो वह इसकी शिकायत कर सकता है। अगर यह राशि 20 लाख रुपए से कम है, तो जिला फोरम में शिकायत करें, यदि यह राशि 20 लाख रुपए से ज्यादा लेकिन एक करोड़ रुपए से कम है, तो राज्य आयोग के समक्ष और यदि एक करोड़ रुपए अधिक है तो राष्ट्रीय आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज करानी होगी।
राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन की ओर से एक राष्ट्रीय टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर 1800114000 दिया गया है, जिसकी मदद से भी आप अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।
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