अब उत्तर प्रदेश में भी गैर जमानती अपराधों पर मिलेगी अग्रिम जमानत
उत्तर प्रदेश में अब गैर जमानती अपराधों में भी अपराधियों को अब अग्रिम बेल आसानी से मिल सकेगी। योगी सरकार ने गैर जमानती अपराध में अग्रिम जमानत देने का महत्वपूर्ण फैसला किया है। सीआरपीसी की धारा 438 में संशोधन विधेयक को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी है। इस विधेयक को राष्ट्रपति ने 1 जून को मंजूरी दी है और यूपी में यह कानून 6 जून को लागू हो गया है। इसी के साथ ही यूपी में 1976 में आपातकाल के दौरान अग्रिम जमानत की व्यवस्था समाप्त हो गई थी।
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अब पास हुए कानून के तहत अग्रिम जमानत की सुनवाई के दौरान अभियुक्त का उपस्थित रहना जरूरी नहीं है। यही नहीं आवेदक मामले से जुड़े गवाहों और अन्य व्यक्तियों को अब किसी भी तरह से धमका नहीं सकेंगे और ना ही किसी तरह का आश्वासन दे सकेंगे। बता दें यह व्यवस्था यूपी और उत्तराखंड को छोड़कर बाकी राज्यों में यह व्यवस्था बाद में शुरू हो गई। संज्ञेय अपराधों में अरेस्ट स्टे के लिए हाई कोर्ट में लगातार याचिकाएं आ रही थीं। इससे हाईकोट पर इन मुकदमों का काफी दबाव पड़ रहा था। लगातार आ रहे ऐसे मुकदमों से राहत पाने के लिए हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को फिर से लागू करने के लिए राज्य सरकार से कहा था। इस कानून को 2009 में राज्य विधि आयोग ने अपनी तृतीय रिपोर्ट में फिर से लागू करने की सिफारिश की थी।
अब ये होंगे प्रावधान
- अग्रिम जमानत पर सुनवाई के दौरान अभियुक्त का उपस्थित रहना जरूरी नहीं।
- जब पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा, अभियुक्त को पुलिस या विवेचक के सामने उपस्थित होना पड़ेगा।
- आवेदक मामले से जुड़े गवाहों व अन्य व्यक्तियों को धमका नहीं सकेगा, न ही कोई आश्वासन दे सकेगा।
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इन मामलों में नहीं मिलेगी अग्रिम जमानत
- एससी-एसटी एक्ट के अलावा अन्य गंभीर अपराध में
- आतंकी गतिविधियों से जुड़े मामलों (अनलॉफुल एक्टिविटी ऐक्ट 1967) ऑफिशियल एक्ट, नारकोटिक्स एक्ट, गैंगस्टर एक्ट व मौत की सजा से जुड़े मुकदमों का
30 दिन के अंदर ही निस्तारण करना होगा।
- मंजूर विधेयक के मुताबिक अग्रिम जमानत के लिए आवेदन की तिथि से 30 दिन के अंदर निस्तारण करना होगा। कोर्ट को अंतिम सुनवाई से सात दिन पहले लोक अभियोजक को नोटिस भेजना जरूरी होगा।
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