देश में जब नीट और नेट एग्जाम में चीटिंग, गड़बड़ी और पेपर लीक के कारण छात्र बेहाल हैं, माहौल गर्म है। उसी दौरान एग्जाम में नकल करने और कराने वालों की रोकथाम के लिए दो कड़े कानून आए हैं। एक कानून केंद्र सरकार ने 21 जून को निकाला तो वहीं 5 दिन बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ ने भी नया कानून बना डाला।
हमारे देश में पेपर लीक कराना या फिर परीक्षा में छात्रों को नकल कराना एक गुनाह माना जाता है। ऐसे में पिछले नियमों के मुताबिक परीक्षा में नकल कराने वाले व्यक्ति को तीन साल का कारावास और 2000 तक के जुर्माने की सजा का प्रावधान था।
हालांकि केंद्र सरकार ने फरवरी 2024 में इसके लिए एक नया विधेयक पेश किया, जिसके तहत ‘लोक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) विधेयक, 2024’ के तहत परीक्षाओं में अनियमितताओं से संबंधित अपराध के लिए अधिकतम 10 साल तक की जेल और एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान रखा गया है। इस कानून के तहत केंद्र सरकार ने परीक्षाओं में हो रही गड़बड़ी में लगाम लगाने की कोशिशें की थीं, लेकिन पिछले कुछ समय से इस कानून का असर पड़ता नजर नहीं आ रहा है और लगातार पेपर लीक के मामले सामने आ रहे हैं।
नीट परीक्षाओं के आयोजन में कथित कदाचार और यूजीसी नेट पेपर लीक को लेकर देश में बड़े पैमाने पर विवाद छिड़ा हुआ है। दरअसल, नीट परीक्षा में तकरीबन 1563 बच्चों को ग्रेस मार्क्स दिए गए थे, जिसका पता चलने के बाद इसमें धांधली तक के आरोप लगे और परीक्षा रद करने की मांग हुई। मामला 67 छात्रों के टॉप करने को लेकर था, जिन्हें 720 में से 720 अंक मिले। वहीं, इनमें से 6 छात्र एक ही सेंटर के थे।
शिक्षा मंत्रालय ने इन छात्रों के दोबारा परीक्षा कराने के आदेश दिए हैं, जो 23 जून को होंगे। नीट मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है, जिसपर 8 जुलाई को सुनवाई होगी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने पेपर रद करने और नीट परीक्षा की काउंसलिंग रोकने से इनकार कर दिया। नीट की काउंसलिंग 6 जुलाई से शुरू होगी, अगर पेपर रद होता है तो काउंसलिंग भी रद करनी होगी।
ये बवाल चल ही रहा था कि एनटीए ने UGC-NET परीक्षा रद कर दी। सरकार ने परीक्षा रद करने के साथ ही मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि अधिकारियों ने डार्कनेट पर प्रश्नपत्र पाए थे, जिसके बाद ये कदम उठाया गया। उन्होंने कहा कि प्रश्नपत्र टेलीग्राम पर भी प्रसारित हो रहा था।
इसके बाद एनटीए ने CSIR-UGC-NET परीक्षा भी स्थगित कर दी है। एनटीए ने इसके पीछे परिस्थितियों और लॉजिस्टिक समस्या को कारण बताया। परीक्षा के आयोजन का संशोधित कार्यक्रम आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से बाद में घोषित होगा। संयुक्त CSIR-UGC-NET परीक्षा जूनियर रिसर्च फेलोशिप और विज्ञान पाठ्यक्रमों में पीएचडी में प्रवेश के लिए पात्रता निर्धारित करने के लिए आयोजित की जाती है।
इन सब बवाल के बीच कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों ने केंद्र सरकार पर जमकर हमला किया। कांग्रेस ने कहा कि एनटीए की एक और परीक्षा स्थगित कर दी गई। अब एनटीए युवाओं के लिए नरेंद्र मोदी की ट्रॉमा एजेंसी बन गई है।
इस बीच, केंद्र सरकार ने बीती रात प्रतियोगी परीक्षाओं में कदाचार और अनियमितताओं को रोकने के लिए एक नया कानून लागू कर दिया। सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 को अधिसूचित किया गया है, जो राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा मंजूरी दिए जाने के चार महीने बाद 21 जून को लागू हुआ।
यह कानून 9 फरवरी को राज्यसभा से पारित हो गया था। इसे 6 फरवरी को लोकसभा में पारित किया गया। इसे 12 फरवरी को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली। UPSC, कर्मचारी चयन आयोग (SSC), रेलवे, बैंकिंग भर्ती परीक्षाएं और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित परीक्षाएं इस कानून के दायरे में आती हैं।
इस कानून के तहत अब जो कोई भी पेपर लीक या परीक्षा में अनियमितता से जुड़े अपराधों में शामिल होगा उसे पांच से 10 साल की कैद और न्यूनतम 1 करोड़ का जुर्माना देना होगा।
शिक्षा मंत्री ने पेपर लीक को एनटीए की संस्थागत विफलता बताया है। उन्होंने कहा कि मामले में विशेषज्ञों की एक समिति बनाई गई है, जो एनटीए में सुधार की सिफारिश करेगी।
नीट-यूजी 2024 परीक्षा में कथित पेपर लीक के तार गुजरात और बिहार से जुड़े हैं। इस आरोप में एक मेडिकल अभ्यर्थी सहित बिहार में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। वहीं, गुजरात के गोदरा से 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया, इनके पास से 2 करोड़ 3 लाख के चेक, इलेक्ट्रानिक डिवाइस मिले हैं।
इन देशों में भी नकल को माना जाता है अपराध
हमारे देश के अलावा चीन में भी नकल को कानूनी तौर पर अपराध माना जाता है। यदि कोई परिक्षार्थी यहां नकल करता पाया जाता है तो उसे 7 सालों के लिए जेल की सजा हो सकती है। इसके अलावा इस देश में यूनिवर्सिटी के द्वारा भी उस परिक्षार्थी पर कोई कार्रवाई की जा सकती है। दरअसल चीन भी लगातार पेपर लीक और नकल के मामलों से परेशान था, जिसके चलते वहां इस कानून को मंजूरी दी गई थी। इसके अलावा भी कुछ ऐसे देश हैं जहां नकल करना कानूनी रूप से अपराध माना जाता है और वहां इस तरह एग्जाम देने पर जेल या फिर अन्य सजाओं का प्रावधान है।