'रेंट टु ओन' से गरीबों के पास किराये के घर को खरीदने का होगा विकल्प

केंद्र की मोदी सरकार जल्द ही गरीबों के लिए एक ऐसी हाउस रेंटल पॉलिसी लॉन्च करने पर विचार कर रही है, जिसके तहत शहरों में आने वाले प्रवासी लोगों को सरकारी संस्थाओं से मकान किराये पर लेने की सुविधा होगी। इस पॉलिसी में उनके पास इस किराये के मकान को ही आसान किस्तों में पूरी कीमत चुकाकर खरीदने का विकल्प भी होगा।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, इस स्कीम का नाम 'रेंट टु ओन' होगा, जिसे केंद्र सरकार की नेशनल अर्बन रेंटल हाउसिंग पॉलिसी के तहत लॉन्च किया जाएगा। केंद्रीय शहरी विकास एंव आवास मंत्री वेंकैया नायडू ने गुरुवार को कहा कि इस ऐक्ट को मंजूरी के लिए जल्दी ही कैबिनेट के समक्ष पेश किया जाएगा।
गरीब लोगों को 1.5 लाख रुपये सब्सिडी देने पर विचार
इसके अलावा सरकार निजी जमीन पर बने मकानों को खरीदने पर भी गरीब तबके के लोगों को 1.5 लाख रुपये की सब्सिडी देने पर विचार कर रही है। अब तक यह छूट राज्य सरकारों एवं निकायों की जमीन पर बने आवासों पर ही दी जाती थी। वेंकैया नायडू ने कहा कि प्राइवेट डिवेलपर्स की ओर से लॉन्च किए गए अफोर्डेबल हाउसिंग प्रॉजेक्ट्स के उद्घाटन के बाद से ही मंत्रालय इस पर विचार कर रहा था। उन्होंने कहा कि अब तक हम 2008 शहरों और कस्बों में 17.73 लाख शहरी गरीबों के लिए आवासों को मंजूरी दे चुके हैं।
2022 तक सबको घर के वादे को पूरा करने का लक्ष्य
मंत्री ने कहा कि 2022 तक सबको घर के वादे को पूरा करने का लक्ष्य है। 2019 तक 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इस लक्ष्य को हासिल कर लिया जाएगा, इनमें केरल, हिमाचल, अरुणाचल और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्य शामिल हैं। इसके बाद 2022 तक अन्य राज्यों में इस टार्गेट को पूरा किया जाएगा। मंत्री ने कहा कि 'रेंट टु ओन' ऐक्ट की अधिसूचना जारी किए जाने के बाद राज्य इस पर काम कर सकेंगे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 2022 तक सभी को आवास मुहैया कराने के सरकार के लक्ष्य के तहत यह बड़ी स्कीम होगी। इस स्कीम के तहत शहरों में पलायन कर आने वाली बड़ी आबादी के लिए उचित आवास की व्यवस्था करने का लक्ष्य रखा गया है।
कैसे ले सकेंगे 'रेंट टु ओन' स्कीम का लाभ?
इस स्कीम के तहत शुरुआत में कुछ निश्चित वर्षों के लिए घर लीज पर दिया जाएगा। खरीददार को प्रति माह ईएमआई के बराबर किराया बैंक में जमा करना होगा, इसमें कुछ किराये के तौर पर होगा और बाकी जमा होगा। खरीददार की ओर से जमा की गई ईएमआई की राशि जब 10 फीसदी के स्तर पर पहुंच जाएगी तब मकान उसके नाम पर रजिस्टर हो जाएगा। यदि लीज पर लेने वाला व्यक्ति रकम जमा नहीं कर पाता है तो सरकार इस मकान को दोबारा बेच देगी। इसके अलावा किराये के साथ जमा की जाने वाली राशि किरायेदार को बिना ब्याज के वापस लौटा दी जाएगी।
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