मिड डे मील के लिए सरकार की नई योजना, बच्चों को मिलेगा ज़्यादा शुद्ध खाना

आठवीं तक के बच्चों को मिलने वाले मिड-डे मील की गुणवत्ता में लगातार आ रही शिकायतों पर सरकार सख्त हो गई है। बच्चों को मिलने वाले मिड-डे से सरकार किसी भी तरह का समझौता नहीं करने वाली है। सरकार ने इसको अब स्थानीय गांव वालों की देखरेख में तैयार कराने और बंटवाने का फैसला लिया है। इसके तहत सभी राज्यों से दो महीने के भीतर योजना तैयार कर उसे पेश करने को कहा गया है। सरकार का मानना है कि ग्रामीणों की भागीदारी से इनमें सुधार होगा। साथ ही भोजन की गुणवत्ता पर उठाए जाने वाले सवालों से भी उसे छुटकारा मिलेगा।
बता दें कि अभी तक मिड-डे मिल कार्यक्रम की सारी जिम्मेदारी शिक्षकों व अधिकारियों की होती है, लेकिन लगातार शिकायतें आ रही है। अब सरकार इसमें परिवर्तन करने जा रही है। सरकार की नई रणनीति के अनुसार प्रत्येक स्कूल स्तर पर एक टीम गठित होगी, जिसमें स्थानीय प्रबुद्ध लोगों के साथ स्कूलों में पढ़ने वालों बच्चों के अभिभावक भी शामिल होंगे।
यह टीम स्कूलों में हर दिन बनने वाले खाने पर नजर रखेगी। साथ ही यह सुनिश्चित करेगी कि बच्चों के लिए भोजन तय मापदंडों के मुताबिक ही तैयार किया गया है।गुणवत्ता में खामी पाए जाने पर टीम अपनी स्वतंत्र टिप्पणी स्कूल रजिस्टर में दर्ज करा सकेगी। जिसके आधार पर बाद में जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई तय होगी। स्कूल स्तर पर गठित की गई यह टीम कभी भी औचक निरीक्षण करने के लिए स्वतंत्र रहेगी।
सोशल आॅडिट से जोड़ने से पहले इसे देश के 13 राज्यों के दो-दो जिलों में पायलट के तौर लागू किया। जहां इसका काफी अच्छा परिमाण सामने आया है। जिन राज्यों में ट्रायल किया गया उनमें महाराष्ट्र, बिहार, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, पंजाब, ओडिशा, तमिलनाडु, उत्तराखंड, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, नगालैंड, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल आदि शामिल थे।
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