मानसिक पीड़ितों के लिए भोपाल में खुलेगा ये संस्थान, मोदी सरकार ने दी हरी झण्डी

यह संस्था निशक्तजन सशक्तीकरण विभाग के अंतर्गत एक सोसाइटी के रूप में सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1860 के तहत स्थापित की जाएगी। पहले तीन वर्षो में इस परियोजना पर 179.5 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। इसमें 128.54 करोड़ रुपये का गैर आवर्ती व्यय और 51 करोड़ रुपये का आवर्ती व्यय शामिल है। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मंत्रिमंडल में पास हुए इस संस्थान के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस संस्थान के लिए संयुक्त सचिव स्तर के तीन पदों जिनमें निदेशक का एक पद भी शामिल है। इसके अलावा प्रोफेसरों के दो पदों को भी मंजूरी दी है।
संस्थान में मानसिक बीमार लोगों के लिए होगा कार्य
मोदी सरकार की तरफ से खोले जाने वाले संस्थान के बारे में रविशंकर प्रसाद ने बताया कि एनआईएमएचआर का मुख्य उद्देश्य मानसिक रूप से बीमार लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था करना, मानसिक स्वास्थ पुनर्वास के क्षेत्र में क्षमता विकास तथा मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास के लिए नीति बनाना और अनुसंधान को बढ़ावा देना है। संस्थान में 9 विभाग और केंद्र होंगे। इसमें मानसिक स्वास्थ्य पुर्नवास के क्षेत्र में 12 विषयों में डिप्लोमा, सर्टिफिकेट, स्नातक, स्नातकोत्तर और एम.फिल डिग्री सहित 12 तरह के पाठ्यक्रम होंगे। पांच वर्षों के भीतर इस संस्था में विभिन्न विषयों में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या 400 सौ से ज्यादा हो जाने की संभावना है।
मध्यप्रदेश सरकार ने दी संस्थान के लिए जमीन
मानसिक बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों के काम के लिए खोले जाने वाले राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास संस्थान को मध्यप्रदेश सरकार ने जमीन दी है। सरकार संस्थान के लिए भोपाल में पांच एकड़ जमीन देगी। यह संस्था दो चरणों में तीन वर्ष के भीतर बनकर तैयार हो जाएगी। पहले दो साल के भीतर संस्थान में निर्माण कार्य और बिजली का काम पूरा कर लिया जाएगा। जब तक भवन निर्माण का काम चलेगा, तब तक संस्थान सर्टिफिकेट और डिप्लोमा पाठयक्रम चलाने और ओपीडी सेवाएं देने के लिए भोपाल में एक भवन किराये पर लेगा। बयान के अनुसार, एनआईएमएचआर देश में मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपने किस्म का पहला संस्थान होगा। मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्षमता विकास और पुर्नवास के मामले में यह एक अत्याधिक दक्ष संस्थान के रूप में काम करेगा और केंद्र सरकार को मानसिक रोगियों के पुर्नवास की प्रभावी व्यवस्था का मॉडल विकसित करने में मदद करेगा।
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