देश में इस समय मानसून का सीजन चल रहा है। इस बीच लैंडस्लाइड, सड़क और पुल टूटने की तमाम घटनाएं सामने आ रही है। इन घटनाओं को मद्देनजर रखते हुए योगी सरकार ने जर्जर हो चुके 75 पुलों को तोड़ने का फैसला लिया है।
सीएम योगी के निर्देश पर प्रदेश भर में 721 पुलों की जांच की गई है। इनमें से 75 जर्जर पुलों को तोड़ने का निर्णय सरकार ने लिया है। ऐसा जनता की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है, ताकि किसी की जान को खतरा पैदा ना हो।
आजादी के बाद सिंचाई विभाग द्वारा बनाए गए सबसे पुराने पुल में से एक ‘चोपन पुल’ का नाम भी इसमें शामिल है। यह पुल लगभग 60 वर्ष पहले बनाया गया था और इसका महत्व इसलिए भी है, क्योंकि यह तीन प्रदेशों को जोड़ने वाला एकमात्र पुल है।
पुलों की जांच पूरी की
उत्तर प्रदेश पीडब्ल्यूडी ने 50 साल की आयु पूरे कर चुके पुलों की जांच पूरी की है। जर्जर ब्रिज की जांच पूरी होने के बाद नागरिकों की सुरक्षा के लिए बंद कर दिए जाएंगे। लोक निर्माण विभाग अगले हफ्ते शासन को इसकी रिपोर्ट भेजेगा।
बिहार की घटनाओं के बाद जांच के निर्देश
मालूम हो कि बिहार से कई पुलों के गिरने के मामले सामने आए थे, जिसके बाद पुलों के निर्माणकार्य, गुणवत्ता के साथ ही ऐसी घटनाओं की चर्चा होने लगी। बिहार में लगातार पुलों के गिरने और क्षतिग्रस्त होने की घटना के बाद यूपी सरकार सजग हो गई। इसके बाद योगी सरकार के निर्देश देने के बाद पुलों की जांच शुरू की गई थी। पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता स्तर के अधिकारियों ने पुलों की जांच की है।
पुराने पुलों की मरम्मत के लिए एस्टीमेट हो रहा तैयार
बता दें कि कानपुर क्षेत्र के 10, सहारनपुर में 6, उन्नाव में 4, मैनपुरी, अमेठी, गाजीपुर, सोनभद्र, सीतापुर में तीन-तीन पुल जर्जर पाए गए। वहीं लखनऊ, जालौन, हरदोई, प्रयागराज, आजमगढ़ और खीरी में 2-2 पुल जर्जर अवस्था में मिले। फिलहाल नए पुलों को बनाने और पुराने पुलों की मरम्मत के लिए एस्टीमेट तैयार हो रहा है।