यूपी में मिली जैविक ऊर्जा नीति को मंजूरी, सब्सिडी भी देगी सरकार

उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने मंगलवार को राज्य में बड़े निवेश को आकर्षित करने और कृषि आय बढ़ाने के लिए जैव-ऊर्जा नीति को मंजूरी दे दी। नीति का उद्देश्य राज्य में कम्प्रेस्ड बायो-गैस, बायो-कोयला, इथेनॉल और बायो-डीजल के उत्पादन को समर्थन और बढ़ावा देना है। कैबिनेट ने एमएसएमई (लघु और मध्यम उद्यम) नीति को भी मंजूरी दी।
यूपी सरकार के मुताबिक, जैव-ऊर्जा नीति पराली, कृषि व चीनी मिल के कचरे का बेहतर उपयोग करके कृषि आय बढ़ाने में मदद करेगी और ऊर्जा उत्पादन के लिए जैविक कचरे का उपयोग करके ग्रामीण रोजगार को बढ़ावा देगी। इसके अलावा, यह शहरी कचरे का बेहतर उपयोग करने में भी मदद करेगी।
इस नीति के तीन घटक हैं- कंप्रेस्ड बायो-गैस प्लांट, बायो-डीजल और बायो-कोयला। उत्पादन पर प्रोत्साहन देने के लिए नीति की अवधि पांच वर्ष होगी। कंप्रेस्ड बायोगैस उत्पादन पर 75 लाख रुपये प्रति टन (अधिकतम 20 करोड़ रुपये) की सब्सिडी दी जाएगी। बायो-कोयला उत्पादन के मामले में 75,000 रुपये प्रति टन (अधिकतम 20 करोड़ रुपये) की सब्सिडी दी जाएगी। बायो-डीजल के लिए 3 लाख रुपये प्रति किलोलीटर (अधिकतम 20 करोड़ रुपये) की सब्सिडी दी जाएगी।
इन सभी मामलों में सब्सिडी कुल खर्च की 15 प्रतिशत होगी। सरकार द्वारा दी गई जमीन पर 30 साल की लीज पर 1 रुपये की सांकेतिक राशि के बदले प्लांट खोलने के लिए जिला स्तर या मंडी समिति आदि के स्तर पर आवेदन मांगे जाएंगे। एकत्रीकरण कार्य में लगे लोगों के मामले में, सरकार सामग्री के संग्रह, परिवहन और भंडारण के लिए मशीनरी की खरीद पर 30 प्रतिशत सब्सिडी देगी।
ऐसी इकाइयों पर स्टांप शुल्क और बिजली शुल्क से छूट दी जाएगी। साथ ही, 50 करोड़ रुपये या उससे अधिक के निवेश वाली इकाइयों के मामले में, सरकार इकाई के लिए कम से कम 5 किमी तक पहुंचने वाली सड़क का निर्माण करेगी। 750 करोड़ रुपये की स्वीकृत सब्सिडी के साथ कंप्रेस्ड बायो-गैस के लिए प्रतिदिन 1,000 टन उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, वहीं 30 करोड़ रुपये की सब्सिडी के साथ बायो-कोयला के लिए 4,000 टन का उत्पादन लक्ष्य प्रतिदिन है। बायो-एथेनॉल और बायो-डीजल के लिए 60 करोड़ रुपये की सब्सिडी के साथ दैनिक उत्पादन लक्ष्य 2,000 टन होगा।
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