आईआईटी कानपुर ने ऐसी तकनीक विकसित की है जो युद्ध के मैदान में सैनिकों को मिस्टर इंडिया की तरह गायब कर देगी। मेटामटेरियल की मदद से तैयार आवरण के नीचे हवाई जहाज और टैंक भीछिपाये जा सकते हैं। आईआईटी के वैज्ञानिकों का दावा है कि ये दुनिया कि पहली तकनीक है जिस पर
राडार के साथ ही इंफ्रारेड कैमरे और सेटेलाइट भी बेअसर होंगे। इस तरह दुश्मन पूरी ताकत लगाकर भी सैनिकों और सैन्य साजोसामान की जानकारी नहीं जुटा पाएंगे। आईआईटी में मंगलवार शाम को आयोजित कार्यक्रम में मुख्यअतिथि एयरमार्शल आशुतोष दीक्षित और आईआईटी के निर्देशक प्रो मणींद्र अग्रवाल ने अनालक्ष्य नाम के इस मेटामटेरियल सरफेस क्लोकिंग सिस्टम का लोकार्पण किया है। इसे मेटातत्व कंपनी तैयार कर रही है। कंपनी के अधिकारियों ने दावा किया कि वह सेना की जरूरतें पूरा करने को तैयार हैं।
आईआईटी कानपुर के तीन विज्ञानियों प्रो कुमार वैभव श्रीवास्तव, प्रो एस अनंत रामकृष्णन और प्रो जे रामकुमार की टीम ने इसे तैयार किया है। वर्ष 2018 में इस तकनीकी के पेटेंट के लिए आवेदन किया गया था जिसे पिछले माह ही स्वीकृति मिल गई है। पिछले छह साल से इस तकनीक का सेना के साथ ट्रायल किया जा रहा था। आशुतोष दीक्षित ने तकनीक की लांचिंग के दौरान कहा कि भले ही दुश्मन देश के पास कितनी भी आधुनिक तकनीक हो अब सेना की गतिविधियों को दुश्मन की नजर से बचाना आसान होगा। आधुनुक रडार सिस्टम से लेकर सैटेलाइट इमेग व ट्रैकिंग तक कई ऐसे तरीके हैं जो सेना के लिए हमेशा चुनौती बने हुए हैं। आईआईटी की तकनीक से क्रांतिकारी बदलाव होने जा रहा है।
15 साल पहले से हो रहा काम
सैन्य सुरक्षा के लिए रडार से वस्तुओं को गायब करने की तकनीक पर प्रो कुमार वैभव श्रीवास्तव ने साल 2010 में काम शुरू किया था। बाद में प्रो एस अनंत रामाकृष्णन और प्रो जे रामकुमार ने मिलकर इसे उत्पाद में बदला। 2019 में जब भारतीय सेना अपना सैन्य अभ्यास कर रही थी तो सबसे बड़ी चुनौती सिंथेटिक अर्पचर रडार से छिपना था। तब सेना को आईआईटी के रिसर्च की जानकारी मिली और मिलकर उत्पादन निर्माण की दिशा में काम शुरू हुआ। प्रो जे रामकुमार ने बताया कि छह साल पहले जो उत्पाद तैयार किया गया उसका अब तक सफल प्रयोग किया जा रहा है।