69 हजार शिक्षक भर्ती: जानें आखिर क्यों MRC सिस्टम के खिलाफ उठ रही आवाज

उत्तर प्रदेश में लंबे इंतजार के बाद आज प्रदेश के 67867 युवाओं की शिक्षक पदों के लिए काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू हुई। शिक्षकों की भर्ती के लिए आज शुरू हुई काउंसलिंग की प्रक्रिया पर हाईकोर्ट ने ब्रेक लगा दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Aallhahbad High Court) की लखनऊ बेंच ने इस भर्ती (69000 Assistant Teachers) प्रक्रिया पर स्टे दिया है। 

हालांकि, हाईकोर्ट (High Court) का आदेश प्राप्त न होने की वजह से अभी काउंसलिंग प्रक्रिया चल रही है। बाद में  बेसिक शिक्षा मंत्री के आदेश के बाद भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई है। वैसे, उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक की निकली भर्ती प्रक्रिया शुरू से ही विवादों में रही है। इस भर्ती (69000 Assistant Teachers) प्रक्रिया के प्रारंभ होने के बाद जैसे ही सरकार की तरफ से 60 और 65 फीसदी अंकों में अभ्यर्थियों के पास किए जाने का निर्णय लिया गया, उसके बाद से ही यह भर्ती हाईकोर्ट (High Court) में चली गई। डेढ़ साल के बाद पिछले महीने सरकार के पक्ष में निर्णय आया और भर्ती (69000 Assistant Teachers) प्रक्रिया प्रारंभ हुई। अब प्रश्नों के उत्तर को लेकर बात की जा आपत्ति की वजह से भर्ती (69000 Assistant Teachers) प्रक्रिया को रोक दिया गया है। इसके अलावा भर्ती (69000 Assistant Teachers) प्रक्रिया में ऐसे कई नियमों को अपनाया गया है, इसकी वजह से काउंसलिंग में जनरल और ओबीसी (OBC) की मेरिट में कुछ ज्यादा अंतर नहीं रह गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि एमआरसी (MRC System) लागू होने की वजह से हजारों अभ्यर्थियों को नुकसान हो रहा है। 

एमआरसी सिस्टम को किया गया लागू

69 हजार शिक्षकों (69000 Assistant Teachers) की भर्ती प्रक्रिया को पूरा करने में सरकार ने हाईकोर्ट के आदेशानुसार एमआरसी सिस्टम लागू किया गया है। एमआरसी (MRC) लागू होने की वजह से 67,867 अभ्यर्थियों को मनचाहा जिला और कुछ अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को चयनित होने का मौका मिला मिला गया है। एमआरसी (MRC) लागू होने की वजह से ओबीसी (OBC) और एससी (SC) वर्ग के हजारों अभ्यर्थी वंचित रह गए। आबंटन में करीब 31 हजार रैंक तक ही सामान्य वर्ग के लोगों का चयन होना चाहिए था, लेकिन करीब 50 हजार रैंक तक पर अभ्यर्थियों का चयन हो गया है। हालांकि इससे अभ्यर्थियों का काफी नुकसान हो गया है। यही नहीं, इससे हजारों अभ्यर्थी चयन से वंचित रह गए हैं। इस मामले में बेसिक शिक्षा परिषद के उप सचिव अनिल कुमार का शिक्षक भर्ती के मामले में  कहना है कि भर्ती (69000 Assistant Teachers) प्रक्रिया में सारी प्रक्रिया को शासन के आदेशानुसार ही किया गया है। 

बहुत ज्यादा नहीं रहा गुणांक का फैसला

सरकार की तरफ से एमआरसी सिस्टम लागू किए जाने से पिछडा वर्ग (OBC) और सामान्य वर्ग के गुणांक में ज्यादा अंतर नहीं रहा है। इस बार सामान्य वर्ग का गुणांक 67.1, ओबीसी (OBC) का 66.7 और एससी (SC) का 61.5 तक गुणांक वालों का चयन हुआ है। हालांकि गुणांक कम होने की असल वजह यह रही है कि एमआरसी सिस्टम को लागू किया जाना। यही नहीं, लिखित परीक्षा में हजारों अभ्यर्थियों के उत्तीर्ण होने के बाद जिस तरह का माहौल बना था, उससे लग रहा था कि इस बार मेरिट (Merit System) बहुत हाई जाएगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ है। सामान्य और ओबीसी की मेरिट में सिर्फ .40 (दशमलव 40) का ही फासला रहा है। यही नहीं, सभी वर्गों की चयन सूची सीटों के सापेक्ष एक बढ़ती गई। मेरिट में आए अभ्यर्थियों (69000 Assistant Teachers) को मनचाहा जिला मिल गया है, लेकिन कम मेरिट के अभ्यर्थियों को दूर का जिले में चयन हुआ है। 

आखिर लागू किया गया यह सिस्टम

69,000 शिक्षकों की भर्ती (69000 Assistant Teachers) में एमआरसी (MRS System) सिस्टम को लागू 68,500 की भर्ती (68,500 Assistant Teachers) को देखते हुए किया गया है। 68,500 की भर्ती (68,500 Assistant Teachers) में चयन हुए अभ्यर्थियों ने आरक्षित वर्ग की तरफ से कोर्ट में जिला आवंटन को लेकर एक याचिका दायर की थी। इसमें आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का कहना था कि इस भर्ती में उन्होंने जिला चयन की वरीयता दी थी, लेकिन अनारक्षित कोटे में नियुक्ति मिलने की वजह से प्रथम वरीयता वाला जिला नहीं मिला पाया था।

यही नहीं, उनसे कम नंबर पाकर आरक्षित कोटे में नियुक्ति शिक्षकों को कोटे में टॉपर होने की वजह से प्रथम वरीतया जिला का मिल गया था। हाईकोर्ट (High Court) में अनारक्षित कोटे में नियुक्त आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने इस विषमता को आधार बनाकर कोर्ट का सहारा लिया था। यही नहीं, इस पर हाईकोर्ट (High Court) ने आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के पक्ष में आदेश दिया था। हाईकोर्ट (High Court) ने कहा था कि मेरिट वाले आरक्षित कोटे के अभ्यर्थियों (69000 Assistant Teachers) को उनकी वरीयता का जिला ही सबसे पहले दिया जाए। अगर उन्हें अनारक्षित वर्ग में जिला न मिले तो उन्हें आरक्षित कोटे में मानते हुए प्रथम वरीयता में जिला दिया जाए। इस बार की शिक्षक भर्ती (69000 Assistant Teachers) में बेसिक शिक्षा विभाग ने ऐसा किया है और कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए मेरिट लिस्ट जारी की है। मेरिट लिस्ट (Merit List) नए तरीके से लागू होने की वजह पूर्वानुमानों को गलत साबित करते हुए नीचे आ गई है। 

अब एमआरसी के विरोध में उठ रही आवाज

सरकार की तरफ से 69,000 शिक्षकों (69000 Assistant Teachers) की भर्ती में एमआरसी सिस्टम (MRC System) को लागू किया है। इस सिस्टम को लागू किए जाने की वजह से अब हजारों ओबीसी (OBC) और एससी (SC) अभ्यर्थियों का चयन नहीं हो पाया है। इसकी वजह से अब परिषद के खिलाफ आवाज उठने लगी और लोग इस मुद्दे को फिर से कोर्ट (High Court) की शरण में ले जाने का प्लान कर रहे हैं। सोशल मीडिया से लेकर अन्य जगहों पर इस सिस्टम के खिलाफ आवाज उठ रही है। एमआरसी सिस्टम के खिलाफ आवाज उठने की असल वजह यह है कि सामान्य वर्ग और ओबीसी (OBC) की मेरिट महज प्वाइंट में ही गई है। प्वाइंट में जाने की वजह से ही अभ्यर्थियों में रोष व्याप्त है।

मेरिट लिस्ट में त्रुटियों पर भी अंसतोष

अभ्यर्थियों का अंसतोष मेरिट लिस्ट (Merit List) में त्रुटियों को लेकर भी देखने को मिल रहा है। (69000 Assistant Teachers) मेरिट लिस्ट (Merit List) में विसंगति की वजह से पूरे प्रदेश में अभ्यर्थियों का अंसतोष सामने आ रहा है। यही नहीं, कई ऐसे अभ्यर्थी है जिन्हें एक सीरियल से बहुत अधिक नंबर मिल गए हैं। इसके अलावा एक ही श्रेणी के होने के बाद दूसरे साथी जिनके अंक कम थे वह कुल गुणांक में भी उसने कम थे, इस भर्ती में गलत तरीके से जारी मेरिट (Merit List) में आ गए है। अभ्यर्थियों ने बेसिक शिक्षा परिषद के कार्यालय से लेकर अन्य जगह तक में इसके खिलाफ आपत्ति भी की है। 

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