प्रदेश में हर रोज निकल रहा 5000 टन कूड़ा

घरों और गलियों से निकलने वाले कूड़े का प्रबंधन बड़े शहरों के लिए चुनौती बन गया है। लखनऊ व प्रयागराज सहित कई बड़े शहरों में प्रतिदिन एकत्र होने वाले कूड़े का 25 प्रतिशत निस्तारित ही नहीं हो पा रहा है। अनिस्तारित कूड़ा लगातार नगर निगमों के डम्पिंग ग्राउंड पर पहाड की शक्ल ले रहा है। उत्तर प्रदेश में वर्ष 2016 के ठोस अपशिष्ठ प्रबंध के नियमों के तहत विशेष योजना तक नहीं बन सकी। कूड़ा प्रबंध के मोर्चे पर बढ़ती गई लापरवाही वर्ष 2015 से 2020 तक की सीएजी रिपोर्ट में भी सामने आई।

उत्तर प्रदेश में घरों, गलियों और सड़कों से प्रतिदिन करीब 20000 टन ठोस अपशिष्ठ निकलता है। जो 711 एमआरएफ काम नहीं कर रहे हैं उनकी क्षमता कम है नगर विकास विभाग के आंकड़ों के मुताबिक ऐसी स्थिति में प्रतिदिन 15000 टन ठोस अपशिष्ठ ही प्रोसेस हो पा रहा है। सरकार का अपशिष्ठ प्रबंध की क्षमता को प्रतिदिन 12000 टन बढ़ाना होगा। सरकार का दावा है कि अपशिष्ठ प्रबंध की क्षमता को दो गुना करने की दिशा में काम तेजी से हो रहा है। हालाकी जमीनी स्तर पर प्रोसेस किए गए कूड़े से निकलने वाली प्लास्टिक, रबर, कबाड़ की धातुओं का सार्वजनिक स्थल पर उपयोग बढ़ रहा है। लखनऊ में नए हाईकोर्ट और पुलिस मुख्यालय की सड़क शहरी कूड़े को प्रोसेसिंग से तैयार की गई सामग्री से किए गए निर्माण का उदाहरण है। इसके लिए कूड़े को प्रतिदिन घरों से उठाकर एमआरएफ सेटर में इलेक्टो मैग्नेटिक और एयर प्रेशर से प्रोसेस किया जा रहा है। कबाड़ की धातुओं से ही लखनऊ में पांच एकड़ में वेस्ट टू वेल्डर पार्क के रूप में यूपी दर्शन पार्क का निर्माण हुआ। इसके अलावा हेपिनेस पार्क और आगरा, गोरखपुर सहित अन्य नगरों में वेस्ट टू वेंडर पार्क का निर्माण किया गया।

नहीं लागू हो सकी अपशिष्ठ प्रबंध योजना

कूड़े का प्रबंध करने में असफल होने के साथ स्वच्छता के प्रति नगर निगमों की लापरवाही से जनजीवन प्रभावित हो रहा है। भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक की वर्ष 2015 से 2020 तक की रिपोर्ट बताती है कि शहरी स्थानीय निकायों में ठोस अपशिष्ठ प्रबंध नियम 2016 के प्रविधानो के अनुरूप ठोस कूड़े के पप्रबंध की योजना ही तैयार नहीं हुई है। शहरी स्थानीय निकायों की वित्तीय स्थिति इतनी खराब है की उन्होने कुल व्यय के केवल 18 प्रतिशत की पूर्ति अपने स्वयं के राजस्व से की है। मार्च 2020 तक शहरी स्थानीय निकायों में गृहकर मद में 2318.72 करोड़ रुपए बकाया था।

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