मेक इन इंडिया : इजरायल की जगह अब DRDO बनाएगा हथियार

भारतीय रक्षा मंत्रालय अब मैन पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (MPATGM) स्वदेश में ही बनाना चाहता है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) को इस मिसाइल को बनाने की जिम्मेदारी दी गई है। डीआरडीओ को इस तकनीक की मिसाइल बनाने में तीन से चार साल लग जाएंगे।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इजरायल के साथ डील रद्द करने की मुख्य वजह भारत में ही अत्याधुनिक हथियारों के निर्माण को बढ़ावा देना है। इस डील से डीआरडीओ के स्वदेशी हथियार बनाने की तैयारी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना माना जा रहा था। इसीलिए मंत्रालय ने इजरायल के साथ तीसरी पीढ़ी की स्पाइक मिसाइल बनाने की डील को रद्द कर दिया है।
पिछले साल ही हुई थी डील
बता दें कि पिछले साल इजरायल से राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम की डील होने के बाद स्पाइक मिसाइल की डील को भारत-इजरायल के संबंधों में और मजबूती के रूप में देखा जा रहा था। इस डील के बाद ही इजरायल के राफेल और कल्याणी ग्रुप के साथ भारत में ही मिसाइल बनाने पर सहमति बनी थी। हैदराबाद के पास इसके लिए एक आधुनिक प्लांट बनाया जा रहा था। इससे पहले डीआरडीओ ‘नाग’ और ‘अनामिका’ जैसी एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल बना चुका है। डीआरडीओ को यकीन है कि अगले तीन से चार सालों में बिना किसी विदेशी मदद के वह भी तीसरी पीढ़ी की मैन पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (MPATGM) बनाने में सक्षम हो जाएगा।
भारतीय सेना पर पड़ेगा उलटा असर
हालांकि, इस डील के रद्द होने से फिलहाल भारतीय सेना के आधुनिकीकरण करने के प्रयासों को बड़ा झटका माना जा रहा है। सेना मुख्यालय ने रक्षा मंत्रालय को पत्र लिख जोर दिया था कि ऐसे आधुनिक हथियार लाइन ऑफ कंट्रोल पर तैनात जवानों की ताकत बढ़ाने में बेहद कारगर है। स्पाइक मिसाइल तीसरी पीढ़ी की बेहद घातक मिसाइल है। ढाई किलोमीटर की रेंज तक यह मिसाइल दुश्मन को किसी भी वक्त तबाह कर सकती है। दिन और रात दोनों ही समय ये अपने लक्ष्य को भेदने की क्षमता रखती है। मौजूदा वक्त में भारतीय सेना में दूसरी पीढ़ी की एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल है जो रात के वक्त निशाना साधने में समर्थ नहीं है।
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