200 साल पुराने इस मंदिर को मिलेगी अब नई पहचान

दक्षिण पश्चिम दिल्ली के लगभग 200 साल पुराने गुमनाम मंदिर को अब पहचान मिलने जा रही है। इसे पुरातत्व विभाग ने अपने संरक्षण में ले लिया है और अब इसकी मरम्मत व देखरेख का जिम्मा उसी के हाथ में होगा।
यह पहला मौका है, जब दिल्ली सरकार के पुरातत्व विभाग और इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट ऐंड कल्चर हेरिटेज (इनटैक) ने किसी मंदिर को अपने निगरानी में लिया है। नांगल देवात गांव के इस मंदिर को दुर्लभ और सुंदर इमारतों में से एक माना जाता है, लेकिन काफी समय से देखरेख न होने के कारण इसका काफी हिस्सा टूट फूट चुका है। हेरिटेज इमारतों में यह ऐसा पहला मंदिर है, जिसे सरकार और इनटैक ने संरक्षण के लिए शॉर्टलिस्ट किया है। अब तक इनमें मस्जिदों, गुंबदों, बगीचों और मकबरों को ही शामिल किया जाता रहा है।
अधिकारियों के अनुसार, मंदिर में ऐसी कई दुर्लभ पेंटिंग्स हैं, जिनका संरक्षण किया जाना चाहिए। इसलिए पहले पेंटिंग्स की सफाई की जाएगी, फिर उन्हें मजबूती दी जाएगी। ऐसी कई जगह हैं, जहां मंदिर की इमारत का प्लास्टर गिर रहा है और उसे बचाए जाने की जरूरत है। कई ऐसी शिल्पकारी और नक्काशियां हैं जो खराब हो रही हैं, उन्हें बचाने की भी जरूरत हैँ। इस मरम्मत में मंदिर के स्वरूप में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। इस मंदिर में बड़ी संख्या में लोग दर्शन के लिए आते रहे हैं। यह मंदिर 18वीं या 19वीं सदी का बना हुआ प्रतीत होता है। इस पर हुआ बेहतरीन प्रस्तरकार का काम मुगल शैली का है।
नांगल देवात गांव का इतिहास भी अपने आप में सुनहरा है। कुछ लोगों का कहना है कि आजादी की जंग इस गांव से ही शुरू हुई थी और 1930 में खुद देश के पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू गांव आए थे और साहस के लिए ग्रामीणों की सराहना की थी।
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