उत्तर प्रदेश सरकार ने 1978 में हुए संभल दंगों की दोबारा जांच का आदेश दिया है। गृह (पुलिस) विभाग के उप सचिव ने संभल के पुलिस अधीक्षक को निर्देशित किया है कि वह जांच का नेतृत्व करें और एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट सौंपें। इसके लिए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। संभल दंगों की दोबारा जांच का फैसला न्याय के लिए एक अहम पहल है। यूपी सरकार के इस कदम से दशकों पुराने इस मामले में सच्चाई सामने आने और पीड़ितों को न्याय मिलने की उम्मीद है।
संभल के एसपी KK Bishnoi ने DM राजेंद्र पेंसिया को पत्र लिखते हुए संयुक्त जांच के लिए एक प्रशासनिक अधिकारी की नियुक्ति की मांग की है। यह कदम यूपी विधान परिषद सदस्य श्रीचंद्र शर्मा द्वारा दंगों की जांच की मांग के बाद उठाया गया है।
हिंसा और विस्थापन
1978 के संभल दंगों ने गंभीर सांप्रदायिक तनाव पैदा किया था। इस दौरान व्यापक हिंसा और आगजनी हुई थी, जिससे कई हिंदू परिवार विस्थापित हो गए थे। दंगा पीड़ितों ने बताया कि इस घटना में कई हिंदू मारे गए और उन्हें अपने घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था। हाल ही में प्राचीन कार्तिक महादेव मंदिर के 46 साल बाद फिर से खुलने के बाद दंगों की जांच की मांग तेज हो गई है। यह मंदिर 24 नवंबर, 2024 को शाही जामा मस्जिद में हुई हिंसक घटना के बाद खोला गया था। मंदिर के फिर से खुलने को विस्थापित लोगों ने न्याय और सामंजस्य की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया है।
जांच का उद्देश्य
दोबारा जांच का उद्देश्य 1978 की घटनाओं के अहम तथ्यों को उजागर करना और हिंसा के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों की जवाबदेही तय करना है। यूपी सरकार का यह कदम न केवल पीड़ितों को न्याय दिलाने की दिशा में है, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए भी महत्वपूर्ण है।