एक चेक डैम ने बदल दी इस प्यासे गांव की तस्वीर

यू तो बुंदेलखंड और मध्यप्रदेश के ज्यादातर इलाके पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं, लेकिन एक एनजीओ के प्रयास से मध्य प्रदेश के छतरपुर में पटना गांव के निवासियों को अब पानी की समस्या नहीं होती।
पहले इस गांव के लोगों को पानी के लिए कई-कई किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी। लेकिन अब यह बीते दिनों की बात हो गई है। यहां बने एक चेक डैम ने लोगों की पानी की किल्लत को दूर कर दिया है। कोकाकोला इंडिया फाउंडेशन के प्रोग्राम मैनेजर हिमांशु थपलियाल बताते हैं कि खुजराहो से 80 किलोमीटर दूर स्थित पटना गांव में एक चेक डैम बनने से सारी समस्या खत्म हो गई।
उन्होंने बताया कि यह 'हरितिका' NGO का काम है, जिसे उनके फाउंडेशन ने आर्थिक मदद की है। उन्होंने बताया कि इस प्रॉजेक्ट के तहत एक चेक डैम, 15 सोलर लाइट्स, 1,300 मीटर की पक्की सड़क और पीने के पानी के लिए एक तालाब के सुधार का काम किया गया है।
खेती के लिए भी नहीं होती पानी की किल्लत
एक ग्रामीण गोविंद सिंह ने बताया कि लगभग चार साल पहले वहां मक्का की फसल उगानी संभव नहीं थी। यह सूखा क्षेत्र है। उन्होंने कहा, 'चेक डैम के बनने और तालाब के सुधार के बाद हम गर्मियों में भी फसल ले पाते हैं।' एक अन्य ग्रामीण ने कहा कि पहले गांवे के लोगों को रोजगार की तलाश में बाहर जाना पड़ता था। गांव में खेती के लिए संसाधन नहीं थे। प्रॉजेक्ट शुरू होने के बाद वे साल में 80,000 रुपये तक कमा लेते हैं।
सोलर पंप के पानी से होती है सिंचाई
हरितिका की मुख्य कार्यकारी अधिकारी अवनि मोहन सिंह ने बताया कि वहां 100 एकड़ जमीन में एक बगीचा भी लगाया गया है। बगीचे में आम, अमरूद और करौंदे का उत्पादन होता है। यहां दशहरी आम भी होते हैं, इस आम की खासी मांग भी रहती है।
ये फल पास की मंडी में बेचे जाते हैं और इससे गांव के लोगों को फायदा होता है। सिंचाई के लिए पानी सोलर पंप से खींचा जाता है। गांव की रहने वाली सावित्री ने बताया कि अब वह खेती में अपने पति का सहयोग करती हैं। उनके पति को काम की तलाश में गांव से बाहर नहीं जाना पड़ता है।
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
अन्य खबरें
Loading next News...
