अब पीएम मोदी की 'अच्छे दिनों' पर नजर, नौकरियां बढ़ाने पर जोर

केंद्र की सत्ता में बीजेपी की सरकार को तीन साल पूरे होने वाले हैं, लेकिन इस दौरान आम आदमी को जो अच्छे दिन का सपना दिखाया गया था वो कहीं न कहीं अभी अधूरा ही है।
रोजगार के मोर्चे पर मोदी सरकार का प्रदर्शन खासा खराब ही रहा है। 2014 में चुनाव प्रचार के दौरान मोदी ने युवाओं को 1 करोड़ रोजगार के अवसर देने का वादा किया था। हालांकि ये वादा अभी तक हवा-हवाई ही साबित हुआ है। इसी के मद्देनजर पीएम मोदी ने निर्देश दिया है कि कैबिनेट को भेजे जाने वाले सभी प्रस्तावों में यह जानकारी जरूर दी जाए कि उन प्रस्तावों पर अमल करने से रोजगार के कितने मौके बनेंगे।
कई दिशाओं में सरकार कर रही है काम
सरकार ज्यादा रोजगार पैदा करना चाहती है ताकि आमदनी बढ़े और लाखों लोग गरीबी के जाल से बाहर निकलें। सरकार अपनी मैन्युफैक्चरिंग पॉलिसी की समीक्षा भी कर रही है ताकि उसे जॉब क्रिएशन के उद्देश्य के मुताबिक बदला जा सके। वहीं, कौशल बढ़ाने के कार्यक्रम को नए सिरे से तैयार किया जा रहा है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि नौकरियों की तलाश में निकलने वाले लोग नई जॉब्स के लिए पहले से तैयार होंगे।
बता दें कि इकनॉमिक सर्वे 2017 में कहा गया है कि आबादी में युवाओं की अधिक संख्या से ग्रोथ में होने वाली बढ़ोतरी अगले पांच वर्षों में उच्चतम स्तर पर पहुंच जाएगी क्योंकि तब तक कामकाजी उम्र वाले लोगों की संख्या में ठहराव आ चुका होगा। ऐसे में कौशल और उद्यमिता को बढ़ावा देना जरूरी हो गया है।
नीति आयोग ने बनाया रोडमैप
ग्रोथ के साथ रोजगार के मौके बनने की रफ्तार बढ़ाने के लिए नीति आयोग ने तीन साल का ऐक्शन प्लान पेश किया है, जिसमें विभिन्न सेक्टरों में जॉब क्रिएशन के कदम उठाने की बात की गई है। मोदी ने भी कहा था, 'हमारा देश युवाओं का है।
हमारी आबादी में 65 प्रतिशत हिस्सा 35 साल से कम के लोगों का है। भारत दुनिया में सबसे बड़ा लोकतंत्र है। किसी भी देश के पास रोजगार के मौके पैदा करने का भारत जितना अवसर नहीं है।' बता दें कि सीआईआई के अनुसार, फाइनैंशल इयर 2012 से 2016 के बीच भारत में रोजगार के 1.46 करोड़ मौके बने थे।
यानी हर साल 36.5 लाख अवसर। कामकाजी उम्र वाले लोगों की संख्या में 8.41 करोड़ का इजाफा हुआ, लेकिन वास्तिक लेबर फोर्स में बढ़ोतरी केवल 2.01 करोड़ रही। कामकाजी उम्र वाली आबादी का 24% हिस्सा लेबर फोर्स में जुड़ा, जबकि 76% हिस्सा इससे बाहर रहा।
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