नहीं रहे तबले की धड़कन जाकिर हुसैन

तबले की थाप से दुनिया को मन्त्र्मुघ्ध करने वाले विश्व विख्यात संगीतकार उस्ताद जाकिर हुसैन नहीं रहे। जाकिर ने सैन फ्रांसिकों के अस्पताल मेन अंतिम सांस ली वह 73 साल के थे। वे फेफड़ों की बीमारी से संक्रमित थे। उन्हें दो सप्ताह पहले भर्ती कराया गया था। सेहत बिगड़ने के बाद से उनको आईसीयू में भर्ती किया गया था। अमेरिका में जाकिर के निधन  पर समाज के विभिन्न वर्गों से शोक संवेदनाएं व्यक्त की गईं । राजनीतिक नेताओं, उद्योगपतियों, कलाकारों और खिलाड़ियों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के ज़रिए अपनी श्रद्धांजलि दी।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि हुसैन का निधन संगीत की दुनिया के लिए एक “बड़ी क्षति” है। उन्होंने उनके परिवार के सदस्यों और अनगिनत प्रशंसकों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की।

उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “वे अपनी असाधारण रचनात्मकता और आविष्कारशीलता के लिए जाने जाते थे। उन्होंने दुनिया भर के संगीत प्रेमियों की कई पीढ़ियों को मंत्रमुग्ध किया। वे भारत और पश्चिम की संगीत परंपराओं के बीच एक सेतु थे। मुझे उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित करने का सौभाग्य मिला।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि प्रतिष्ठित तबला वादक को एक सच्चे प्रतिभाशाली व्यक्ति के रूप में याद किया जाएगा, जिन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया में क्रांति ला दी। उन्होंने तबले को वैश्विक मंच पर ला खड़ा किया और अपनी बेजोड़ लय से लाखों लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके माध्यम से, उन्होंने भारतीय शास्त्रीय परंपराओं को वैश्विक संगीत के साथ सहजता से मिश्रित किया, इस प्रकार वे सांस्कृतिक एकता के प्रतीक बन गए।

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने पोस्ट किया, “महान तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन  जी के निधन की खबर  बेहद दुखद है। दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। उस्ताद जाकिर हुसैन  जी  अपने पीछे अपनी कला की ऐसी विरासत छोड़ गए हैं, जो हमेशा हमारी यादों में जिंदा रहेगी।”

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