सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) के चुनाव चिह्न घड़ी के विवाद पर सुनवाई की। कोर्ट ने NCP अजित पवार गुट से कहा कि आपकी अपनी अलग पहचान है, आप उस पर महाराष्ट्र का चुनाव लड़िए।
“युद्ध के मैदान पर फोकस करिए, जनता हर जवाब देगी। जनता समझदार है, वो जानती है कि किसे वोट करना है, कहां वोट करना है। वो जानते हैं अजित पवार कौन है और शरद पवार कौन है।”
क्या है पूरा मामला, कुछ मुख्य बिंदुओं में समझते हैं…
- अजितपवार 2 जुलाई 2023 कोNCP के 8 विधायकोंकेसाथमहाराष्ट्रकी शिंदे सरकार में शामिल हो गए थे। उन्होंने अपने साथ NCP के 40 विधायकों के समर्थन का दावा किया था। गठबंधन सरकार में अजित को डिप्टी CM बनाया।
- अजित पवार ने चुनाव आयोग में NCP के नाम-निशान पर अपना दावा जताते हुए 30 जून को लेटर भेजा था। वहीं, शरद गुट के नेता जयंत पाटिल ने 3 जुलाई को आयोग से अजित समेत 9 मंत्रियों सहित 31 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की थी।
- शरद से बगावत के बाद अजित ने 30 जून को दावा किया था कि बहुमत उनके पास है। इसलिए पार्टी पर उनका अधिकार है।चुनाव आयोग में याचिका दायर कर, अजित ने 9 हजार से ज्यादा दस्तावेज पेश किए थे।
- अजित ने 5 जुलाई 2023 को शरद पवार को NCP राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाने का ऐलान किया था। उन्होंने खुद को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया था। अजित का कहना था कि मुंबई में 30 जून 2023 को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणीकी बैठक में यह फैसला हुआ था।
- अक्टूबर, 2023 में शरद पवार ने पार्टी की वर्किंग कमेटी की मीटिंग में कहा,‘NCP चुनाव चिह्न बदलने की कोशिश हो सकती है। अगर पार्टी का चुनाव चिह्न चला भी जाए तो कार्यकर्ताओं को चिंता की जरूरत नहीं है। सिंबल बदलने से लोग नहीं बदलते हैं। उन्हें पता होता है कि कौन सा बटन दबाना है। मैंने अलग-अलग चुनाव चिह्नों पर चुनाव लड़े और जीते हैं।’
आइए अविभाजित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) का इतिहास जानते हैं…
- NCP की स्थापना 10 जून 1999 में हुई थी। पार्टी इंडियन नेशनल कांग्रेस से टूटकर बनी थी। इसके संस्थापक शरद पवार, पीए संगमा और तारिक अजवरहैं।
- सन 2000 में NCP को नेशनल पार्टी का दर्जा मिला था, जो अप्रैल 2023 में वापस ले लिया गया।
- पार्टीकीस्टूडेंटविंग नेशनलिस्ट कांग्रेस, यूथ विंग नेशनलिस्ट यूथ कांग्रेस और इसका महिला मोर्चा नेशनल विमन कांग्रेस है।
- पार्टी की लोकसभा में 5, राज्यसभा में 54, केरल में 2, गोवा में 1, गुजरात में 1 और झारखंड में 1 सीट है।
- शरद पवार ने 25 साल तक NCP अध्यक्ष रहने के बाद 2 मई 2023 को इस पद से इस्तीफा दे दिया।
चुनाव आयोग ने इसी साल 6 फरवरी को अजित पवार गुट को ही असली NCP माना था। आयोग का कहना था कि विधायकों की संख्या के बहुमत ने अजित गुट को NCP का नाम और चुनाव चिह्न हासिल करने में मदद की। चुनाव चिह्न विवाद पर शरद पवार गुट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है।बुधवार को जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भुयन की बेंच ने केस पर सुनवाई की।
कोर्ट रूम में शरद गुट और अजित गुट की दलीलें
शरद गुट का आरोप: सिंघवी ने कहा कि अजित पवार गुट के कैंडिडेट अमोल मितकारी ने वीडियो पब्लिश किए हैं, जिसमें शरद पवार दिखाई दे रहे हैं। सिंघवी ने दलील दी कि यह शरद पवार की छवि और प्रतिष्ठा का इस्तेमाल कर चुनाव लड़ रही है।
अजित गुट का जवाब:ये सभी दस्तावेज फर्जी है।
शरद गुट: यह अमोल मितकारी के ऑफिसियल हैंडल से पोस्ट किए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट: जस्टिस सूर्यकांत ने शरद पवार गुट से पूछा, “क्या आपको लगता है कि महाराष्ट्र की जनता आपके विवाद के बारे में नहीं जानती है? क्या आपको लगता है कि ग्रामीण इलाकों के लोग सोशल मीडिया पोस्ट से प्रभावित हो जाएंगे?”
शरद गुट: सिंघवी ने कहा, “ये नया भारत है। जो भी कुछ हम यहां दिल्ली में देखते हैं, उसका ज्यादातर हिस्सा ग्रामीण भारत देश चुका होता है। अगर सुप्रीम कोर्ट कोई निर्देश देता है तो दूसरा पक्ष उसका पालन करने के लिए बाध्य है।”
शरद गुट: अजित पवार गुट ऐसा पेश कर रहा है, जैसे शरद पवार और अजित के बीच अभी भी जुड़ाव है इसलिए अजित पवार को वोट कीजिए। यह वोट अविभाजित पवार फैमिली के लिए होगा। यहां बताना जरूरी है कि 36 सीटों पर अजित पवार और शरद पवार गुट के बीच सीधा मुकाबला है।
सुप्रीम कोर्ट: जस्टिस सूर्यकांत ने अजित पवार से कहा, “ये पुराना वीडियो हो या न हो, लेकिन मिस्टर अजित पवार आप दोनों के बीच विचारधारा का अंतर है। आप सीधा शरद पवार के खिलाफ लड़ रहे हैं। आपको अपने पैरों पर खड़ा होना चाहिए।”
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्टूबर को अजित पवार गुट को राहत दी थी। अदालत ने कहा था कि NCP आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में घड़ी चिह्न का इस्तेमाल कर सकता है, लेकिन उसे चुनावी बैनर और पोस्टर्स में यह लिखना होगा कि यह विवाद का विषय है और कोर्ट में विचाराधीन है।
NCP के चुनाव चिह्न से जुड़ी पिछली सुनवाई…
14 मार्च: अजित पवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, ‘अजित गुट लिखकर दे कि शरद पवार का फोटो इस्तेमाल नहीं करेंगे। कोर्ट ने कहा, अब आप अलग पार्टी हैं, अपनी पहचान बनाएं। साथ ही 18 मार्च तक जवाब दाखिल करने को कहा था। बेंच ने अजित गुट से बिना शर्त लिखित गारंटी देन का आदेश दिया कि वे शरद पवार की तस्वीर का इस्तेमाल नहीं करेंगे।’
19 मार्च: सुप्रीम कोर्ट ने शरद पवार के चुनाव जिह्न ‘तुरही बजाता आदमी’ को मंजूरी दे दी थी। अजित गुट से कहा था कि वे सार्वजनिक रूप से अंग्रेजी,हिंदी व मराठी के अखबारो में विज्ञापन देकर बताएं कि उनके इलेक्शन सिंबल घड़ी का मामला कोर्ट में विचाराधीन है। इस पर अंतिम निर्णय कोर्ट में सुनवाई के बाद ही होगा। NCP अजित पवार को घड़ी चुनाव चिह्न के कोर्ट में विचाराधीन होने को हर टेम्प्लेट, ऐड, ऑडियो-वीडियो क्लिप में भी बताना होगा।
4 अप्रैल: सुप्रीम कोर्ट के निर्देश दिया था कि शरद पवार गुट केवल NCP (शरद पवार) नाम और तुरहा बजाता हुआ आदमी चिह्न का इस्तेमाल करेगा। याचिकाकर्ता शरद पवार या समर्थक घड़ी चिह्न का इस्तेमाल नहीं करेंगे।
24 अक्टूबर: सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि अजित गुट की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में घड़ी चिह्न का इस्तेमाल कर सकती है, लेकिन उसे चुनावी बैनर और पोस्टर्स में यह लिखना होगा कि यह विवाद का विषय है और कोर्ट में विचाराधीन है।
6 नवंबर: सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, ‘जब चुनाव चल रहे हैं तो कोर्ट अजित पवार को घड़ी के चुनाव चिह्न का उपयोग करने से कैसे रोक सकती है! साथ ही अजित गुट से पूछा,‘आप अखबारों में डिस्क्लेमर प्रकाशित करने में समय क्यों लगा रहे हैं? 24 घंटों या अधिकतम 36 घंटों के अंदर, आप अखबारों में डिस्क्लेमर प्रकाशित करें।’