27 सितंबर को पूरी दुनिया विश्व पर्यटन दिवस मनाएगी। इस बार इस विशेष दिन को होस्ट करने की जिम्मेदारी हमारे देश को मिली है और इसकी थीम ‘पर्यटन एवं रोजगार: सभी के लिए बेहतर भविष्य’ रखी गई है। भारत एक ऐसा देश है जहां पर्यटन में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। इसका हर प्रदेश अपने में ऐसी कई खूबियों को समेटे हैं कि पर्यटक इनकी सैर करने से खुद को रोक नहीं पाते। इसी बहाने हम इस बार चर्चा करेंगे कि पर्यटन में रोजगार कि क्या और बेहतर संभावनाएं हैं।
लाल किले की प्राचीर से भारत के प्रधानमंत्री देशवासियों से आग्रह करते हैं कि आप भी भारत भ्रमण पर निकलिए। अकेले या फिर परिवार के साथ। भारत को घूमिए। न सिर्फ घूमिए बल्कि अपने देश के बारे में जानिए और समझिए भी। घूमना जरूरी है, इसमें न सिर्फ आपकी खुशियां शामिल हैं बल्कि आपके साथ कई लोगों का रोजगार भी नत्थी है। आपके एडवेंचर और एक्साइटमेंट में उन लोगों के भी आगे बढ़ने के मौके शामिल हैं, जिनके लिए पर्यटन आय का साधन है या फिर आय का साधन हो सकता है। ट्रेनर, गाइड से लेकर टूर ऑपरेटर और टूरिस्ट डेस्टिनेशन पर बने मार्केट में काम करने वाले लोग, जो आपकी यात्रा को सुखद व यादगार बनाने में लगे हुए हैं। यहां काम करने वाले स्थानीय लोगों ही कौशल और श्रम ही देश की सांस्कृतिक विरासत को बचाए हुए है। जरूरत है तो बस इसे पहचान दिलाने की, इसके प्रचार प्रसार की। असल में आवश्यकता है, इन्हें आप जैसे पर्यटकों के साथ की। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (यूएनडब्ल्यूटीओ) ने 27 सितंबर 2019 को मनाए जाने वाले पर्यटन दिवस की थीम ‘पर्यटन एवं रोजगार: सभी के लिए बेहतर भविष्य’ रखी है। खास बात यह है कि इस बार विश्व पर्यटन दिवस के आधिकारिक समारोह की मेजबानी भारत कर रहा है। ऐसे में जरूरी है कि पर्यटन द्वारा रोजगार पैदा करने की क्षमता और इसकी संभावनाओं पर चर्चा की जाए।
पर्यटन के कंधे पर रोजगार का भार क्यों?
भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व पर्यटन की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रहा है क्योंकि ये हाई ग्रोथ देने वाली चुनिंदा इंडस्ट्री में से एक है। पर्यटन में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाखों लोगों को रोजगार देने की क्षमता है। वर्ल्ड ट्रैवल एंड टूरिज्म काउंसिल के आंकड़े बताते हैं कि 2017 में पर्यटन द्वारा 4 करोड़ से अधिक रोजगार मिले। दुनिया की जीडीपी में इस पर्यटन का 10.4% का योगदान है। अनुमान है कि 2028 तक रोजगार का यह आंकड़ा बढ़कर 40 करोड़ तक पहुंच जाएगा। इस हिसाब से टूर और ट्रैवल इंडस्ट्री की दुनिया की जीडीपी में 25 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी। इतना ही नहीं 2028 तक अकेले भारत, पर्यटन के क्षेत्र में 1 करोड़ लोगों को रोजगार देने की स्थिति में होगा। यह आंकड़े इशारा कर रहे हैं कि पर्यटन के क्षेत्र में कितनी अपार संभावनाएं और मौके हैं। यही वजह है कि देश के प्रधानमंत्री से लेकर दुनिया के अन्य देश पर्यटन को बढ़ावा देने की कोशिशों में लगे हुए हैं। वर्तमान में पर्यटन विभाग की कोशिश टूरिस्ट को उन जगहों की ओर खींचना है, जिनके बारे में या तो कम लोग जानते हैं या फिर जहां पर सुविधाओं के चलते नहीं जाते। इस कड़ी में भारत का पूर्वोत्तर भाग देश का वह कोना है, जिसकी खूबसूरती से अभी तक टूरिस्ट रूबरू नहीं हुए हैं। नॉर्थ ईस्ट को टूरिस्ट स्पॉट के रूप में डेवलप करने की दिशा में सरकार लगातार काम कर रही है। इसके अलावा लंबे समय सें लोगों की उदासी की मार झेल रहे जम्मू, कश्मीर और लद्दाख की ओर भी टूर ऑपरेटर्स आशा भरी निगाहों से टकटकी लगाए देख रहे हैं।
पर्यटन को व्यवस्थित तरीके से विकसित करने की जरूरत
देश आजाद होने के बाद से पर्यटन बेहद अव्यवस्थित तरीके से आगे बढ़ा है। इससे मुनाफा हर कोई कामना चाहता है लेकिन जवाबदेही कोई नहीं सुनिश्चित करना चाहता है। इसकी क्वालिटी से लेकर एजुकेशन की ओर किसी का ध्यान ही नहीं जाता है। यह कहना है सिविका ट्रैवल्स के ओनर सुनील सत्यवक्ता का। वे कहते हैं कि देश में इंजीनियरिंग से लेकर मेडिकल और मैनेजमेंट के अनगिनत कॉलेज मिल जाएंगे, लेकिन टूरिज्म के नाम पर बेहद सीमित कॉलेज हैं। हमें यहीं से बेहतर शुरुआत की आवश्यकता है। यहीं से हमें टूरिज्म के लिए पढ़े-लिख गाइड से लेकर अच्छे ट्रांसलेटर और आंत्रपेन्योर मिलेंगे, जो इस इंडस्ट्री को बेहतर तरीके से आगे ले जाएंगे। हमारे देश में साइंस से लेकर रिलीजन, वाइल्डलाइफ समेत अन्य फील्ड में टूरिज्म की असीमित संभावनाएं हैं, जो न सिर्फ रोजगार पैदा करेंगे बल्कि दुनियाभर में देश का नाम भी ऊंचा करेंगे। विश्व की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी में चुनाव कैसे होते हैं, हम यह दुनियाभर के टूरिस्ट को क्यों नहीं बता सकते हैं। इसकी बारीकियों को समझाना कितना आसान है। कहने का मतलब साफ है, जब इसमें प्रोफेशनल्स आएंगे तो इस टूरिज्म में रोजगार के और रास्ते खुलेंगे। अब जम्मू-कश्मीर को ही ले लीजिए। अनुच्छेद 370 हटने के बाद हर किसी कि निगाहें अब वहां पर हालात सामान्य होने पर लगे हैं क्योंकि हर कोई जानता है कि कश्मीर उस जन्नत का नाम है, जिससे मिलने को हर कोई बेताब है। घाटी में टूरिज्म का महत्व इसी बात से समझा जा सकता है कि कश्मीर जैसे इलाकों में एकबार टूरिज्म ने जोर पकड़ा तो फिर पूरे साल वहां के लोगों को कुछ और करने की जरूरत नहीं पड़ती।
रोजगार से जुड़ी चुनौतियों से लड़ने को तैयार भारत
भारत संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (यूएनडब्ल्यूटीओ) के विश्व पर्यटन दिवस की थीम पर भारत के पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि इस बार की थीम एकदम उपयुक्त है क्योंकि पर्यटन एक श्रम-प्रधान क्षेत्र है और ग्लोबल इकॉनमी के लिए रोजगार का महत्वपूर्ण साधन है। पर्यटन का संबंध कई क्षेत्रों से होता है। ऐसे में यह प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा करता है। इससे जुड़े लोगों में अलग-अलग का हुनर होता है। इसमें युवाओं से लेकर महिलाओं और गरीबों के लिए रोजगार की सम्भावनाएं हैं। इस प्रकार पर्यटन क्षेत्र न केवल आर्थिक मजबूती का साधन है बल्कि समाज के सीमांत वर्गों में गरीबी हटाने का एक प्रभावी तरीका भी है। हमारा मानना है कि पर्यटन का विकास सामुदायिक विकास के साथ प्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ है। हम चाहते हैं कि लोकल लोगों को उनके क्षेत्र में पर्यटन के विकास से लाभ हो और इसके लिए हमें कौशल के विकास पर ध्यान देने की जरूरत है। हालांकि, रोजगार पैदा करते समय हमें इस बात का भी ख्याल रखना चाहिए कि हमारी योजनाएं पर्यावरण के अनुकूल हों। इससे पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव कम से कम पड़े। संसाधनों का इस्तेमाल करते समय हमें वहां की संस्कृति और विरासत का भी ख्याल रखना जरूरी है।