आसानी से कहां शांत होगी बंगाल में मची सियासी खलबली

आज पूरे पश्चिम बंगाल में तूफान मचा हुआ है। बड़ी संख्या में महिला और पुरुष विरोध जताने व न्याय पाने के लिए सड़कों पर उतर रहे हैं। केवल डॉक्टर और छात्र ही प्रदर्शन नहीं कर रहे, अलग-अलग पेशे के लोग अपने ढंग से विरोध जता रहे हैं। कभी कोलकाता के अभिनेता, अभिनेत्री सड़क पर उतर रहे हैं तो कभी फुटबॉल खिलाड़ियो का हुजूम उमड़ पड़ रहा है। पत्रकारों ने भी जुलूस निकाला है तो वकील भी पीछे नहीं हैं। अलग-अलग स्कूलों के बच्चे भी प्रदर्शन में आ रहे हैं। ये प्रदर्शन बनावटी नहीं है और न ही सुनियोजित ढंग से हो रहे हैं।

जो प्रदर्शन हो रहे हैं उन्हें अराजनीतिक कहा जा सकता है। गौर करें तो इस घटना के दो पहलू सामने आते हैं। पहला जिसमें बलात्कार, कार्यवाई और सुनवाई शामिल है। सवाल यह भी है कि जिसने इस जघन्य घटना को अंजाम दिया है उसे इंसान कहना उचित होगा? सामूहिक दुष्कर्म हुआ है या नहीं इसे सीबीआई ने अभी स्पष्ट नहीं किया है पर इतना स्पष्ट है कि आज जो लोग कोलकाता में सड़कों पर हैं वो अपराधियों के लिए कड़ी से कड़ी सजा चाहते हैं। ऐसी सजा जो एक मिसाल बन जाए और जिसकी चर्चा से ही अपराधियों की रूह कांप जाए।

इस घटना का दूसरा पहलू ममता बनर्जी की सरकार से संबंधित है।ममता बनर्जी सरकार कीतीसरी पारी चल रही है। चूंकि स्वास्थ्य मंत्रालय मुख्यमंत्री के पास ही है, तो मामला और गंभीर हो गया है। सरकार के खिलाफ नाराजगी साफ तौर पर दिखने लगी है और भारतीय जनता पार्टी मुख्य विपक्ष पार्टी बन गई है।लोग मान रहे हैं कि अस्पताल में जो कुछ गलत चल रहा था उसके लिए सरकार जिम्मेदार है। चूंकि सरकार ने समय रहते कदम नहीं उठाए तो अपराधियों का दुस्साहस बढ़ता चला गया। कई लोग मानते हैं कि इस मामले में ममता बनर्जी को इस्तीफा देना चाहिए। इसके लिए भाजपा ने राजनीतिक अभियान छेड़ दिया है। मतलब, आज कोलकाता में गैर-राजनीतिक और राजनीतिक दोनों प्रकार से ममता बनर्जी या राज्य सरकार का विरोध हो रहा है।

भाजपा को किस हद तक सियासी लाभ

क्या इस घटना का राजनीतिक असर पड़ेगा? साल 2019 में लोकसभा चुनाव में भाजपा को पश्चिम बंगाल में ज्यादा सीटें मिली थीं। विधानसभा चुनाव 2021 में भी भाजपा का प्रदर्शन सुधरा पर सत्ता फिर ममता बनर्जी के पास चली गई। इसी साल लोकसभा चुनाव में फिर एक बार ममता बनर्जी या उनकी तृणमूल कांग्रेस का वर्चस्व स्थापित हो गया। भाजपा ने सोचा था कि पश्चिम बंगाल में उसे अच्छी सफलता मिलेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

पूरे देश में भाजपा की सीट घट गई। फिर भी यह मानना पड़ेगा कि पश्चिम बंगाल में भाजपा को ही सबसे ज्यादा फायदा हुआ है। यह ऐसा राज्य है जहां भाजपा पहले कहीं नहीं थी। समय काफी बदल गया आज भाजपा के पास बंगाल विधानसभा में 67 सीटें हैं और वह वहां अगली सरकार बनाने के लिए लालायित है। अस्पताल में हुए जघन्य अपराध ने उसे मौका दिया है।

हालांकि, अभी भी भाजपा की जमीनी स्थिति या संगठन तृणमूल कांग्रेस की तरह मजबूत नहीं है। अभी जो कुछ हो रहा है, वह कोलकाता या शहर केंद्रित विरोध प्रदर्शन है। मतलब शहरों में भाजपा मजबूत है जबकि गांवों में तृणमूल उतनी ही मजबूत है जितनी कभी वामपंथी पार्टियां हुआ करती थीं। इसलिए ममती बनर्जी अचानक से कमजोर नहीं हो जाएंगी। कुछ भाजपा नेता राष्ट्रपति शासन की मांग कर रहे हैं। राष्ट्रपति शासन अगर लगा तो भी भाजपा को जीतकर दिखाना पड़ेगा।

वैसे राष्ट्रपति शासन लगना इतना आसान नहीं है सोचना चाहिए कि राष्ट्रपति शासन लगने से क्या भाजपा को फायदा होगा? फिलहाल, भाजपा में भी दो तरह के मत हैं। एक मत राष्ट्रपति शासन के पक्ष में है, तो दूसरा यह मानता है कि अभी भाजपा के लिए देश में बहुत अनुकूल स्थिति नहीं है। राष्ट्रपति शासन लगाया तो पूरा विपक्ष एकजुट खड़ा हो जाएगा। इससे भाजपा को ही ज्यादा नुकसान की आशंका है। भाजपा के सामने अनेक सवाल हैं पर इतना तय है कि बंगाल में जो सियासी खलबली मची है, वह आसानी से शांत नहीं होगी।

डॉक्टरों को नहीं दी कोई धमकी, मैं आंदोलन का समर्थन करती हूं: ममता

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि वह (भाजपा) केंद्र के समर्थन से हमारे राज्य में लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है। ममता ने कहा कि मैं आंदोलन का पूरा समर्थन करती हूं। मैंने सरकारी अस्पतालों के प्रदर्शनकारी कनिष्ट चिकित्सकों को कोई धमकी नहीं दी।

ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, “मैंने छात्रों (मेडिकल आदि) या उनके प्रदर्शन के खिलाफ एक भी शब्द नहीं कहा। उनका आंदोलन जायज है। धमकी देने का आरोप दुष्प्रचार अभियान का हिस्सा है।”

अपने बयान को लेकर ममता ने जारी किया स्पष्टीकरण

ममता ने अपने समर्थकों को दिए गए संदेश के संबंध में भी स्पष्टीकरण जारी किया। उन्होंने कहा, “मैं स्पष्ट करना चाहती हूं कि अपने भाषण में मैंने जो वाक्यांश (फोशकारा) का प्रयोग किया था वह श्री रामकृष्ण परमहंस का एक उद्धरण है। महान संत ने कहा था कि कभी-कभी आवाज उठाने की जरूरत होती है। जब अपराध और आपराधिक वारदातें होती हैं तो विरोध की आवाज उठनी ही चाहिए। उस मुद्दे पर मेरा भाषण महान रामकृष्ण के वक्तव्य का सीधा संदर्भ था।” भाजपा ने आरोप लगाया था कि ममता ने विपक्ष की ओर से कथित अपमान के जवाब में अपने पुराने नारे ‘बदला नहीं बदलाव’ से हटते हुए विपक्षी दलों को धमकी दी है।

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