जब भारतीय आर्मी ऑफिसर के एक थप्पड़ से जमीन पर गिरा था मसूद अजहर
देश में सबसे ज्यादा खतरनाक आतंकी हमलों को अंजाम देने वाला मसूद अजहर भले ही आज भारत की पकड़ से बाहर हो, लेकिन 25 साल पहले वह भारत की कैद में था और पूछताछ के दौरान आर्मी अफसर के एक थप्पड़ से वह जमीन पर गिर पड़ा था। इस बात का खुलासा सिक्किम के पूर्व डीजी अविनाश मोहनाने ने किया है। 1994 में जब मसूद अजहर को भारत ने बंदी बनाया था, उस वक्त अविनाश मोहनाने ने ही उससे पूछताछ की थी और एक थप्पड़ मारने पर ही उसने सारी खुफिया जानकारियां उन्हें दे दी थीं।
मसूद अजहर बांग्लादेश के रास्ते भारत में घुसा था। उसके पास उस वक्त पुर्तगाल का पासपोर्ट था। इसके बाद वह कश्मीर पहुंच गया। फरवरी 1994 में दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग से गिरफ्तार किया गया था। अधिकारी ने बताया कि हिरासत में खुफिया एजेंसियों को अजहर से पूछताछ करने में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी। उसने सेना के एक अधिकारी के एक थप्पड़ के बाद ही बोलना शुरू कर दिया और पाकिस्तान से संचालित आतंकवादी समूहों के कामकाज के बारे में उसने विस्तार से जानकारी दी। यह वह समय था जब खुफिया एजेंसियां, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की तरफ से छेड़े गए छद्म युद्ध को समझने का प्रयास कर रही थीं। मोहनाने 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं जिन्होंने उस वक्त एजेंसी में कश्मीर डेस्क का नेतृत्व किया था।
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मोहनाने ने बताया कि मैं कई बार उससे (अजहर) कोट बलवाल जेल में मिला। घंटों उससे पूछताछ की। पूछताछ के दौरान उस पर कोई सख्त तरीका अपनाने की जरूरत नहीं पड़ी। थोड़ा सा दबाव बनाने के बाद उसके पास से सूचनाएं मिलना शुरू हो जाती थीं। कस्टडी के दौरान अजहर ने पाकिस्तान में होने वाली आतंकी गतिविधियों और भर्ती प्रक्रिया के बारे में बताया था। उसने अफगान आतंकियों के कश्मीर घाटी में आने, हरकत-उल-मुजाहिदीन और हरकत-उल-जेहाद-ए-इस्लामी के हरकत-उल-अंसार में बदल जाने की जानकारी भी थी। उसने खुद को इसका जनरल सेक्रेटरी बताया था। उन्होंने बताया कि पूछताछ के दौरान अजहर से जो भी पूछा जाता था, वो उसका जवाब विस्तार से देता था। वह अक्सर कहता था कि पुलिस उसे ज्यादा समय तक कस्टडी में नहीं रख पाएगी, क्योंकि वो पाकिस्तान और आईएसआई के लिए महत्वपूर्ण है। वो कहता था, आप मेरी पॉपुलैरिटी समझ रहे हैं। आईएसआई यह सुनिश्चित करेगी कि मैं पाकिस्तान पहुंच जाऊं।
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अजहर ने पुलिस अधिकारी को बताया था, 'आप मेरी लोकप्रियता को कमतर करके देख रहे हैं। आईएसआई सुनिश्चित करेगी कि मैं पाकिस्तान लौटूं।' फरवरी 1994 में उसकी गिरफ्तारी के 10 महीने बाद दिल्ली से कुछ विदेशी नागरिकों का अपहरण हो गया और अपहर्ताओं ने उसे रिहा करने की मांग की। उमर शेख की गिरफ्तारी के कारण यह योजना विफल हो गई जिसे 1999 में विमान अपहरण के बदले रिहा किया गया था।
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1999 में रिहा किए जाने के बाद अजहर ने जैश-ए-मोहम्मद का गठन किया और भारत में कई भीषण हमलों का षड्यंत्र रचा। जिन हमलों की उसने साजिश रची उसमें संसद पर हमला, पठानकोट वायुसेना के अड्डे पर हमला, जम्मू और उड़ी में सेना के शिविरों पर हमले और पुलवामा में चार दिन पहले सीआरपीएफ के काफिले पर किया गया हमला शामिल है जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे।
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