
जनवरी में ठंड व कोहरा कम पड़ने और तापमान बढ्ने के कारण गेहूं की फसल प्रभावित होने की आशंका है। तापमान और बढ़ा तो इससे गेहूं का उत्पादन घटेगा। मौसम में हो रहे बदलाव ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। इन दिनों जैसा मौसम चल रहा है वैसा मौसम फरवरी के अंतिम सप्ताह में होता है। हालांकि मौनी अमावस्या के बाद गर्मी में हल्की कमी आई है।
विशेषज्ञ व पूर्व संयुक्त कृषि निदेशक डॉ सीपी श्रीवास्तव ने बताया की मौसम में आए बदलाव का असर गेहूं के उत्पदन पर पड़ेगा। ऐसे में किसानों का हल्की सिंचाई करते रहना चाहिए जिससे खेत में दरार न पड़ने पाये। हालांकि एक दो दिन में मौसम में बदलाव की संभावना है और ठंढ बढ़ेगी।ऐसे में किसानों को घबराने की जरूरत नहीं है।
गेहू का पौधा पीला पड रहा है तो करें ये उपाय
गेहूं की फसल में जगह-जगह पीलापन दिखाई देने के उपरांत 150 ग्राम चीलेटिड जिंक व 500 ग्राम यूरिया व 250 ग्राम कार्बेण्डाजिम मेंकोजेब को 200 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ क्षेत्रफल में स्प्रे करें। उसके 10-12 दिन बाद दूसरा स्प्रे एन:पी:के की 01 किलोग्राम मात्रा को 200 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ क्षेत्रफल में स्प्रे करने से पीली पड़ी फसल ठीक हो जाएगी।
साल 2022 में फरवरी और मार्च में तापमान में अचानक हुई तेज वृद्धि के कारण फसल खराब हो गई, जिसके कारण दुनिया के दूसरे सबसे बड़े गेहूं उपभोक्ता देश भारत को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस बार भी तापमान बढ़ने की आशंका है. फसलों में दाने बनने के दौरान अधिक तापमान के कारण लगातार चौथे साल पैदावार में कमी आ सकती है, जिससे कुल उत्पादन में कमी की आशंका जाहिर की जा रही है। ऐसी स्थिति में अधिकारियों को कमी की स्थिति से निपटने और आयात को सुविधाजनक बनाने के लिए 40 परसेंट इंपोर्ट ड्यूटी को कम करने या हटाने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि फरवरी में उत्तरी, मध्य और पूर्वी राज्यों में अधिकतम और न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। अधिकारी ने मौसम विभाग की आधिकारिक घोषणा से पहले नाम न बताने की शर्त पर यह जानकारी दी. मौसम विभाग शुक्रवार को अपना पूर्वानुमान जारी कर सकता है।