इंटरनेशनल बॉर्डर, एलएसी, एलओसी और एक्चुअल ग्राउंड पोजिशन लाइन क्या है?

इंटरनेशनल बॉर्डर (International border), एलएसी (Lac), एलओसी (Loc) और एक्चुअल ग्राउंड पोजिशन लाइन (Actual ground position line)। इन शब्दों का जिक्र आपने बार-बार सुना होगा। चीन (China) के साथ लगने वाली सीमा पर अक्सर एलएसी (Lac) का जिक्र आता है तो पाकिस्तान (Pakistan) के साथ लगने वाली सीमा के बड़े हिस्से को एलओसी (Loc) कहा जाता है। 

क्या आप इनका मतलब जानते हैं? अगर आपका जवाब न है तो हम आपको आज सीमा (Border) निर्धारण के लिए प्रयोग होने वाले इन टर्म के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। इससे पहले आप भारत (India) की सीमा के बारे में थोड़ी सी जानकारी हासिल कर लीजिए।

भारत (India) सात देशों (Countries) के साथ जमीनी सीमा को साझा करता है। भारत (India) की सीमाएं चीन (China), पाकिस्तान (Pakistan), नेपाल (Nepal), भूटान (Bhutan), बांग्लादेश (Bangladesh), म्यांमार (Myanmar) और अफगानिस्तान (Afghanistan) से लगती हैं। हालांकि अब अफगानिस्तान (Afghanistan) की सीमा अस्तित्व में नहीं है। 1947 में विभाजन के बाद भारत ने जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) का एक हिस्सा गंवा दिया था। 

पाकिस्तान की फौज ने कश्मीर के कुछ हिस्से पर कब्जा कर लिया था जिसे हम पीओके (Pok) यानि पाक अधिकृत कश्मीर के नाम से जानते हैं। इसके बाद से भारत का अफगानिस्तान से जमीनी संपर्क समाप्त हो गया। इसकी जगह अस्तित्व में आई एलओसी (Loc) यानि लाइन ऑफ कंट्रोल।

इंटरनेशनल बॉर्डर

इंटरनेशनल बॉर्डर (International border) उसे कहते हैं जहां दो देशों की सीमाएं मिलती हैं। इस काल्पनिक रेखा का दोनों देश सम्मान करते हैं और मान्यता देते हैं। इसमें किसी तरह का विवाद नहीं होता है। भारत 15,106 किमी लंबा इंटरनेशनल बॉर्डर (International border) 7 देशों से साझा करता है। भारत की 5616 किमी लंबी समुद्री सीमा भी है।

कब अस्तित्व में आई एलओसी

एलओसी (Loc) 1972 में भारत-पाकिस्तान युद्ध विराम की घोषणा के बाद अस्तित्व में आई। 1972 के पहले तक जम्मू कश्मीर (Jammu-Kashmir) में पड़ने वाली इस लाइन को युद्ध विराम रेखा कहा जाता था। युद्ध विराम रेखा 1948 में अस्तित्व में आई थी। 1947 में विभाजन के बाद पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) पर हमला बोल दिया था। उस वक्त तक जम्मू-कश्मीर में महाराजा हरि सिंह की हुकूमत थी। पाकिस्तान के हमले में हार होती देख, उन्होंने भारत से मदद मांगी और अपने राज्य का विलय भारत में करने के प्रस्ताव पर सिग्नेचर कर दिए। इसके बाद भारत (India) की फौज ने जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) पहुंची और पाकिस्तान (Pakistan) की फौज को पीछे धकेलना शुरू कर दिया। कश्मीर के बड़े हिस्से को मुक्त करा दिया गया।

पाकिस्तान की फौज की हर मोर्चे पर शिकस्त हो रही थी। इसी बीच भारतीय नेतृत्व ने बड़ी गलती कर दी। कश्मीर मामले को सुलझाने के लिए भारत (India) ने संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) में प्रस्ताव भेज दिया। इसके बाद युद्ध विराम की घोषणा हुई। उस वक्त जिस देश के कब्जे में कश्मीर का जितना हिस्सा था, वह उस पर काबिज हो गया। अस्तित्व में आई युद्ध विराम रेखा। तय हुआ कि कश्मीर में जनमत संग्रह होगा। उस वक्त कश्मीर का एक तिहाई हिस्सा पाकिस्तान (Pakistan) के हिस्से में चला गया था। जनमत संग्रह तो हुआ नहीं, इस मसले को लेकर पाकिस्तान से चार युद्ध जरूर हो गए।

1971 के युद्ध में पाकिस्तान (Pakistan) ने अपना पूर्वी हिस्सा गंवा दिया और बांग्लादेश का जन्म हुआ। इसके बाद कश्मीर में जहां युद्ध विराम रेखा थी, उसे 1972 के शिमला (Shimla) समझौते के बाद एलओसी यानि लाइन ऑफ कंट्रोल (Loc) का नाम दिया गया। भारत और पाकिस्तान के बीच 740 किमी लंबी नियंत्रण रेखा (Loc) पड़ती है। 

यह सिर्फ नियंत्रण रेखा (Loc) है। इसे बॉर्डर का दर्जा नहीं दिया गया है। इसमें फेरबदल हो सकता है। अगर पूरा कश्मीर भारत के पास आ जाए तो हमारा अफगानिस्तान (Afghanistan) से जमीनी संपर्क शुरू हो जाएगा। भारत और अफगानिस्तान (Afghanistan) की सीमा रेखा 106 किमी लंबी है। इसके अलावा भारत (India) पाकिस्तान (Pakistan) के साथ 3323 किमी लंबा बॉर्डर साझा करता है जिसमें से 740 किमी को छोड़कर को बाकी को इंटरनेशनल बॉर्डर का दर्जा मिला हुआ है। अब तक आपको समझ में आ गया होगा कि भारत व पाकिस्तान के बीच जो विवादित सीमा रेखा है, उसके एलओसी (Loc) कहा जाता है। 

एलएसी

एलएसी (Lac) का पूरा नाम है लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल। एलएसी (Lac) भारत (India) और चीन (China) के बीच पड़ती है और यह 1962 के युद्ध के बाद अस्तित्व में आई। 1950 के दशक तक भारत (India) की चीन (China) से ज्यादा सीमा नहीं लगती थी। दोनों देशों के बीच तिब्बत आता था। 1960 के पहले कई महत्वपूर्ण घटनाक्रम हुए और चीन (China) ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया। भारत ने इस मामले में खामोशी बरती। इसी का नतीजा हुआ कि विस्तारवादी चीन (China) की सीमाएं हमारे देश को छूने लगीं। 

भारत (India) और चीन (China) की सीमा 3488 किमी लंबी है जो लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में पड़ती है। 1962 में भारत (India) और चीन (China) के युद्ध के बाद चीन (China) ने जम्मू-कश्मीर में अक्साई चिन (Aksai chin) के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया था। भारत (India) ने अक्साई चिन (Aksai chin) को तो गंवा ही दिया, चीन के साथ सीमा का निर्धारण भी नहीं हो पाया। यह सब चीन की चालबाजियों के चलते हुए। 

चीन अक्साई चिन को तो अपना बताता ही है, अरुणाचल प्रदेश पर भी दावा करता है। सीमा का निर्धारण न होने के कारण दोनों देशों के बीच सहमति बनी कि जो जहां है, वहीं पर रहे। इसके बाद लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानि एलएसी (Lac) अस्तित्व में आई। एलएसी (Lac) के बीच कई नदियां, झील और ग्लेशियर पड़ते हैं। चीन (China) एलएसी (Lac) का सम्मान नहीं करता। वह अक्सर भारत (India) की सीमा को अपना बनाने लगता है। ताजा विवाद भी चीन की चालबाजी का ही नतीजा है। 

एक्चुअल ग्राउंड पोजिशनल लाइन 

सियाचिन ग्लेशियर के इलाके में भारत (India) और पाकिस्तान (Pakistan) के बीच एक्चुअल ग्राउंड पोजिशन लाइन (Actual ground position line) भी आती है। यह 126 किमी लंबी है। इस इलाके में अभी तक सीमा निर्धारण को लेकर दोनों देशों के बीच सहमति नहीं बनी है। इस सीमा पर सुरक्षा की जिम्मेदारी भारतीय सेना (Indian Army) के जिम्मे है। सर्दियों में भी भारतीय सेना (Indian Army) यहां पैट्रोलिंग करती है। सैनिकों को हेलिकॉप्टर से पहुंचाया जाता है। इस इलाके का भारत से सड़क मार्ग से संपर्क नहीं है।

  • देशसीमा
  • बांग्लादेश4096 किमी
  • चीन3488 किमी
  • अफगानिस्तान 106 किमी
  • पाकिस्तान3323 किमी
  • म्यांमार1643 किमी
  • भूटान699 किमी
  • नेपाल1751 किमी

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