पश्चिम बंगाल विधानसभा में दुष्कर्मियों को फांसी वाला बिल पास

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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कालेज एवं अस्पताल में महिला डाक्टर के साथ दुष्कर्म व हत्या पर लोगों के कड़े विरोध के बीच बंगाल विधानसभा ने मंगलवार को दुष्कर्म विरोधी विधेयक सर्वसम्मति से पारित कर दिया। नए कानून के तहत रेप केस की 21 दिन में जांच पूरी करनी होगी। इसके अलावा पीड़िता के कोमा में जाने या मौत होने पर दोषी को 10 दिन में फांसी की सजा होगी।

इसे अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक 2024 (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) नाम दिया गया है। अब इसे राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। उसके बाद यह बिल राष्ट्रपति के पास जाएगा। दोनों जगह पास होने के बाद यह कानून बन जाएगा। सदन में विपक्षी दल भाजपा के विधायकों ने विधेयक का पूर्ण समर्थन किया लेकिन कुछ संशोधन की बात कही। विपक्षी विधायकों ने अस्पताल की जघन्य घटना को लेकर मुख्यमंत्री ममता के इस्तीफे की मांग को लेकर जमकर नारेबाजी भी की।

सदन में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने विधेयक को घटना पर बंगाल के लोगों के गुस्से और विरोध से ध्यान भटकाने की कोशिश बताया। वहीं ममता ने पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह के साथ सुवेंदु के इस्तीफे की भी मांग की। उन्होंने महिलाओं की रक्षा के अप्रभावी कानून के लिए भाजपा शासित राज्यों के सीएम से भी इस्तीफे की मांग की।

सदन में सरकार और विपक्ष के दो बयान

सुवेंदु अधिकारी ने कहा, “हम चाहते हैं कानून तत्काल लागू हो, यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। हमें परिणाम चाहिए इसलिए हम पूरा समर्थन करते हैं। मुख्यमंत्री को जो कहना है कह सकती हैं, लेकिन गारंटी देनी होगी कि यह बिल तुरंत लागू होगा।”

ममता बनर्जी ने कहा, “हमने केंद्रीय कानून में मौजूद खामियों को दूर करने की कोशिश की है। विपक्ष को राज्यपाल से विधेयक पर साइन करने के लिए कहना चाहिए, उसके बाद इसे अधिनियमित करना हमारी जिम्मेदारी है।”

अपराजिता विधेयक बीएनएस कानून से ज्यादा कड़ा है: ममता बनर्जी

सदन में चर्चा के दौरान ममता ने कहा कि विधेयक का उद्देश्य त्वरित जांच, त्वरित न्याय और दोषियों को कड़ी सजा देने है। विधेयक में हाल में लागू भारतीय न्याय संहिता बीएनएस 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता अधिनियम 2023 और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम 2012 की विभिन्न धाराओं में संशोधन कर प्राविधानो को और सख्त किया गया है। अपराजिता विधेयक बीएनएस कानून से ज्यादा कड़ा है।

विधेयक में दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म के दोषी को उम्रकैद की सजा और उसे पैरोल नहीं देने की बात कही गई है। दोषी के परिवार पर जुर्माने का भी प्रावधान है। दुष्कर्मियों को शरण देने या सहायता देने वालों के लिए भी तीन से पांच साल की कठोर कैद की सजा का प्रावधान है। जिला स्तर पर अपराजिता टास्क फोर्स गठित की जाएगी।

ममता ने चर्चा के दौरान केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा अगर बंगाल के साथ दुर्व्यवहार किया गया तो इसका व्यापक प्रभाव पड़ेगा। बता दें कि ममता ने इससे पहले कहा था कि बंगाल जला तो दूसरे राज्य भी जलेंगे, जिसका काफी विरोध हुआ।

ममता ने बिल पर सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में महिलाओं के लिए 88 फास्ट ट्रैक कोर्ट और 52 विशेष अदालतें हैं। इनमें 3 लाख 11 हजार 489 मामलों का निपटारा किया जा चुका है। फास्ट ट्रैक कोर्ट में 7,000 मामले लंबित हैं।

ममता ने विपक्ष के आरोपों पर कहा, विपक्ष कहता है कि ट्रेनों में रेप होता है, वहां सुरक्षा करना RPF का काम है। विपक्ष उन्नाव और हाथरस मामले पर चुप है। यह हर राज्य में हो रहा है लेकिन मैं इसका महिमामंडल नहीं कर रही हूं। आज देश में हर दिन 90 रेप केस हो रहे हैं जिसमें केवल 2.56% आरोपी ही दोषी ठहराए जाते हैं।

बिल से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सवाल और उनके जवाब

1- बिल में किन-किन धाराओं में बदलाव किया गया है?

जवाब:  बिल ड्राफ्ट में भारतीय न्याय संहिता के सेक्शन 64, 66, 70(1), 71, 72(1), 73, 124(1) और 124(2) में बदलाव का प्रस्ताव है। इसमें मुख्य तौर पर रेप की सजा, रेप और मर्डर, गैंगरेप, लगातार अपराध करना, पीड़ित की पहचान उजागर एवं एसिड अटैक के मामले शामिल हैं। इसमें सेक्शन 65(1), 65(2) और 70(2) को हटाने का प्रस्ताव है। इसमें 12, 16 और 18 साल से कम उम्र के दोषियों को सजा दी जा सकती है।

2- आदतन अपराधियों के लिए क्या प्रावधान है?

जवाब: ऐसे अपराधियों के लिए भी उम्र कैद की सजा का प्रावधान बिल में है। इसमें दोषी को अपनी आयु पूरी करने तक जेल में रहना होगा। साथ ही जुर्माना भी लगाया जाएगा।

3- रेप-मर्डर और गैंगरेप की जांच पर बिल में क्या है?

जवाब: ड्राफ्ट बिल के मुताबिक, रेप के मामलों में जांच 21 दिन के भीतर पूरी कर ली जानी चाहिए। इस जांच को 15 दिन बढ़ाया जा सकता है लेकिन यह सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस और इसके बराबर की रैंक वाले अधिकारी ही करेंगे। इससे पहले उन्हें लिखित में इसका कारण केस डायरी में बताना होगा।

4- पीड़ित को जल्द न्याय मिले इसके लिए क्या बदलाव प्रस्तावित है?

जवाब: बिल में कहा गया है कि स्पेशल कोर्ट और स्पेशल जांच टीमें बनाई जाएंगी। इन्हें जरूरी संसाधन और विशेषज्ञ मुहैया कराए जाएंगे जो रेप और बच्चों के यौन शोषण से जुड़े मामले देखेंगे। इनका काम तेजी से जांच, जल्द से न्याय दिलाना और पीड़ित को होने वाले ट्रॉमा को कम करना होगा।

5- रेप केस की मीडिया रिपोर्टिंग के लिए कोई नया रूल?

जवाब: हां, कोर्ट की कार्यवाही को प्रिंट या पब्लिश करने से पहले इजाजत लेनी होगी। अगर ऐसा नहीं किया तो जुर्माने के साथ 3 से 5 साल की सजा का प्रावधान रखा गया है।

6- बिल पास करने के लिए राज्यपाल के बाद राष्ट्रपति के पास क्यों भेजा जाएगा?

जवाब: आपराधिक कानून समवर्ती सूची के अंतर्गत आता है इसलिए इसे राज्यपाल और फिर राष्ट्रपति की मंजूरी जरूरी होगी। भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची में दी गई समवर्ती सूची में वे विषय शामिल हैं जिन पर केंद्र और राज्य सरकार दोनों का अधिकार होता है।

समवर्ती सूची में शामिल विषयों पर केंद्र और राज्य सरकार दोनों कानून बना सकते हैं लेकिन अगर दोनों के कानून में टकराव होता है तो केंद्र सरकार का कानून सर्वोपरि माना जाएगा। समवर्ती सूची में कुल 52 विषय शामिल हैं।

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