वक्फ बिल: मुस्लिम संगठनों ने अपनाया हाईटेक तरीका, अब क्यूआर कोड से होगा वक्फ संशोधन बिल का विरोध

वक्फ संशोधन बिल के विरोध में विभिन्न मुस्लिम संगठन एकजुट हो रहे हैं। यह बिल संसद में लाया गया था और विपक्ष के नेताओं के विरोध के बाद इसे संसद की संयुक्त समिति के पास भेज दिया गया। फिलहाल संसद की संयुक्त समिति इस बिल पर चर्चा कर रही है और जरूरी बदलाव के बाद यह बिल दोबारा सरकार के पास भेजा जाएगा। इसके बाद यह बिल संसद में दोबारा पेश होगा और बहस के बाद कानून का रूप लेगा। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद इस कानून को लागू किया जा सकेगा। फिलहाल सरकार ने इस एक्ट में प्रस्तावित संशोधन को लेकर आम लोगों से सुझाव मांगी है। ऐसे में सभी मुस्लिम संगठन देश के मुस्लिम समाज से लगातार अपील कर रहे हैं कि बिल के विरोध में ज्यादा से ज्यादा लोग अपनी आवाज उठाएं।

मुस्लिम संगठनों ने बनाया ‘क्यूआर कोड’

यूपी के लगभग सभी हिस्सों में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत उलेमा ए हिंद, इमारत ए शरिया सहित कई मुस्लिम संगठनों की ओर से वक्फ संशोधन बिल के विरोध में अपनी राय देने के लिए क्यूआर कोड के माध्यम से एक लिंक जारी किया गया है। इस लिंक की मदद से सीधे पेज पर जाया जा सकता है जहां इस बिल के खिलाफ अपनी राय दर्ज की जा सके।

मेरठ-सहारनपुर, मुरादाबाद-बरेली और आगरा-अलीगढ़ मंडल सहित प्रदेश के सभी हिस्सों में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मुहम्मद फजल उर रहीम मुज़हिद्दी तथा ऑल इंडिया मोमिन कॉन्फ्रेंस के प्रदेश अध्यक्ष हसन आरिफ अंसारी द्वारा जारी पत्र और उन पर अंकित ‘क्यूआर’ कोड वायरल है। मस्जिदों के अंदर-बाहर और वक्फ विरोधी नारों के पोस्टर ‘क्यूआर’ कोड के साथ चस्पा किए गए हैं। 13 सितंबर तक ईमेल और स्कैनर से विरोध की अपील की गई है।

नमाज के बाद तकरीरों में विरोध

लखनऊ में उलेमाओं के बयानों और मस्जिदों में नमाज के बाद तकरीरों में विरोध किया जा रहा है। मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली, मौलाना कल्बे जवाद, मौलाना सैफ अब्बास समेत तमाम उलेमाओं ने वक्फ संशोधन बिल के विरोध की अपील की है। जमीयत-ए-उलेमा के दोनों गुटों के नेता मौलाना अरशद मदनी और अहमद मदनी ने कहा कि जेपीसी के समक्ष साक्ष्य रखेंगे।

बिहार के विभिन्न संगठन करेंगे चर्चा

बिहार में इमारत-ए-शरिया और एदारा शरिया और अन्य तंजीमों, संगठनों द्वारा वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ लोगों को जागरूक किया जा रहा है। इस पर चर्चा को 15 सितंबर को पटना के इमारत-ए-शरिया में बैठक बुलाई गई है।

उत्तराखंड में क्यूआर कोड स्कैन कर मांग रहे राय

उत्तराखंड में जमीयत उलमा ए हिंद समेत कई संगठनों की ओर से मस्जिदों में संशोधन बिल पर राय दी जा रही है। देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल जिलों की मस्जिदों में इमामों एवं उलमा की ओर से इस पर तकरीर कर ‘क्यूआर’ कोड स्कैन कर व ईमेल से अपनी राय रखने की अपील कर रहे हैं।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य एवं काजी-ए-शरीयत दून मुफ्ती सलीम अहमद ने कहा कि वक्फ बिल में संशोधन कतई मंजूर नहीं है। दून में सोमवार को जमीयत उलमा ए हिंद की शहर इकाई की तरफ से सईदिया मस्जिद, कारगी की जामा मस्जिद में जागरूकता अभियान चलाए गए और लोगों से ‘क्यूआर’ कोड स्कैन कराकर राय भिजवाई गई।

दिल्ली में स्पीकर से विरोध में हो रहे ऐलान

दिल्ली से एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें कुछ मुस्लिम युवक हाथ में माइक और स्पीकर लेकर गली-गली घूम रहे हैं। ये लोग आम जनता से सुझाव देने की अपील करने के साथ ही उन्हें भड़काने का काम भी कर रहे हैं। वीडियो में इन युवकों को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि अगर यह कानून आया तो आपसे आपकी मस्जिदें, ईदगाह और कब्रिस्तान छीन लिए जाएंगे। हालांकि, सरकार का कहना है कि यह बिल मुस्लिम समुदाय के हित में है। इससे वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का रखरखाव आसान होगा और विवादित संपत्तियों का निपटारा करना आसान होगा।

सोशल मीडिया पर अधिक सक्रियता

झारखंड में मस्जिदों और सोशल साइट्स पर मुस्लिम समुदाय के लोग सक्रिय हैं। उत्तरी और दक्षिणी छोटानागपुर, कोल्हान, पलामू, कोयलांचल और संताल में मस्जिदों में विशेष बैठक कर वक्फ बोर्ड के कानून के विषय में जानकारी दी जा रही है।

रांची के हरमू रोड ईदगाह की इमाम मौलाना असगर मिस्बाही ने बताया कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक क्यूआर कोड जारी किया है। उस कोड को रांची के विभिन्न इलाकों में मुस्लिम समाज के बीच पहुंचाया जा रहा है। ऑनलाइन राय मांगने से कुछ लोग इस भ्रम में है कि यह फ्रॉड हो सकता है।

अभी तक समिति को मिले 30 लाख से अधिक सुझाव

वक्फ संशोधन विधेयक पर गठित संसदीय समिति को देशभर से अबतक 30 लाख से अधिक सुझाव मिले हैं। संयुक्त समिति की ओर से की गई अपील के बाद बड़ी संख्या में लोग समिति के पास अपने सुझाव भेज रहे हैं।

कई संगठनों ने समिति के अध्यक्ष और सदस्यों से मिलकर अपनी राय रखी है। समिति को सुझाव देने वालों में हितधारक, विशेषज्ञ और अन्य संस्थान शामिल हैं। विधेयक पर लोगों ने ईमेल के साथ-साथ हिंदी और अंग्रेजी में पत्र के जरिए भी अपनी राय समिति के पास रखी है।

सुझावों का क्या परिणाम होगा

* समिति हितधारकों और विशेषज्ञों से मिले सुझावों का अध्ययन करने के बाद विधेयक में कुछ संशोधनों का सुझाव दे सकती है। सरकार इन सुझावों के आधार पर संशोधन पेश कर सकती है।

* बदलाव अधिक करने पड़े तो सरकार पुराना विधेयक वापस लेकर नया विधेयक ला सकती है।

* सरकारसमितियोंकेसुझावोंकोदरकिनारकरतेहुएमूलविधेयककोबिनासंशोधन के पारित करा सकती है।

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