देश को नया विदेश सचिव मिल गया। मोदी कैबिनेट 3.0 ने एनएसए अजिल डोभाल के सहयोगी विक्रम मिसरी को विदेश सचिव बनाने की घोषणा कर दी। वे 15 जुलाई से विनय मोहन क्वात्रा की जगह लेंगे। वर्तमान में भारत के विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा हैं। आपको बता दें कि क्वात्रा का कार्यकाल इस साल 30 अप्रैल को ही खत्म हो गया था लेकिन केंद्र सरकार ने उनका कार्यकाल छह महीने के लिए बढ़ा दिया था। विनय मोहन क्वात्रा ने 30 अप्रैल 2022 को विदेश सचिव का कार्यभार संभाला था। कार्मिक मंत्रालय ने शुक्रवार को उनके नियुक्ति का आदेश जारी कर दिया। आइए जानते हैं कि कौन हैं विक्रम मिसरी?
विक्रम मिस्री 1997 से मार्च 1998 तक इंद्र कुमार गुजराल, अक्टूबर 2012 से मई 2014 तक मनमोहन सिंह और मई 2014 से जुलाई 2014 तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निजी सचिव रहे थे। केंद्र सरकार ने उन्हें साल 2018 के आखिरी महीने में चीन में भारतीय राजदूत के तौर नियुक्त किया था। इसके बाद वर्ष 2021 तक वे इस पदभार को संभालते रहे। वर्ष 2020 में जून में लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच हुई हिंसक झड़प के दौरान विक्रम मिस्री ने दोनों देशों के बीच कई दौर की बातचीत में हिस्सा लिया था। इसके अलावा विक्रम मिस्री स्पेन, म्यांमार में भारत के राजदूत भी रह चुके हैं। उन्होंने पाकिस्तान, अमेरिका, बेल्जियम और श्रीलंका में भी कई भारतीय मिशनों पर भी काम किया।
बताया गया है कि अब विक्रम मिस्री की जगह फ्रांस में भारत के राजदूत जावेद अशरफ को भारत का उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया जा सकता है। यह भी बताया गया है कि भारत के विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा को अमेरिका में भारत का राजदूत नियुक्त किया जा सकता है।
यहां से हुई है पढ़ाई
विक्रम मिसरी का जन्म 7 नवंबर 1964 को कश्मीरी हिंदू परिवार में हुआ था। विक्रम ने सिंधिया स्कूल ग्वालियर से अपनी स्कूलिंग की, यह स्कूल अपनी पढ़ाई के लिए पूरे देश में जाना जाता है। फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से इतिहास में ग्रेजुएशन की डिग्री ली। विक्रम ने XLRI-जेवियर लेबर रिलेशन्स इंस्टीट्यूट जमशेदपुर से एमबीए किया है।
एडवरटाइजिंग इंडस्ट्री में किया काम
जानकारी के मुताबिक विक्रम ने मास्टर्स के बाद एडवरटाइजिंग और एड फिल्म मेकिंग इंडस्ट्री में भी काम किया। एक एडवरटाइजिंग एजेंसी में अपने 3 साल दिए, लेकिन वह यूपीएससी क्रैक करके ऑफिसर बनना चाहते थे। विक्रम ने साल 1988 में यूपीएससी पास अपने इस सपने को हकीकत में बदल दिया। इसके बाद उनका चयन आईएफएस के लिए भारतीय विदेश सेवा के लिए हुआ।