किसानों के समर्थन में आए उपराष्ट्रपति धनखड़, कृषि मंत्री शिवराज सिंह से पूछे तीखे सवाल; केंद्र सरकार के प्रति जाहिर की नाराजगी

देश में किसानों का आंदोलन एक बार फिर से चर्चा में है। इसके साथ ही उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किसानों के मुद्दे को लेकर सीधे-सीधे सरकार पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। जाट नेता धनखड़ ने किसानों के मुद्दे को जिस तरह से कृषि मंत्री के सामने बेलाग लपेट के उठाया है इससे सत्यपाल मलिक याद आ गए हैं। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल रहे इस जाट नेता ने तो किसानों के मुद्दे पर सीधे पीएम मोदी को कटघरे में खड़ा कर दिया है। किसानों के मुद्दे पर जिस तरह से जाट नेता सवाल उठा रहे हैं, इससे बीजेपी के साथ केंद्र सरकार पर नैतिक दबाव पड़ना तो तय है।

किसान आंदोलन को लेकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर इशारा करते हुए कहा-

कृषि मंत्री जी, आपका एक-एक पल भारी है। मेरा आपसे आग्रह है और भारत के संविधान के तहत दूसरे पद पर विराजमान व्यक्ति आपसे अनुरोध कर रहा है कि कृपया करके मुझे बताइए कि किसान से क्या वादा किया गया था? और जो वादा किया गया था, वह क्यों नहीं निभाया गया? वादा निभाने के लिए हम क्या कर रहे हैं! बीते साल भी आंदोलन था, इस साल भी आंदोलन है। कालचक्र घूम रहा है। हम कुछ नहीं कर रहे हैं।

धनखड़ ने मुंबई में केंद्रीय कपास प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान के शताब्दी समारोह के अवसर पर ये बातें कहीं। कार्यक्रम में शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद थे। हालांकि, उन्होंने उपराष्ट्रपति के सवालों का जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा-

भारत अपने किसानों के बिना समृद्ध देश नहीं बन सकता।

मंगलवार को जिस समय धनखड़ कृषि मंत्री से सवाल कर रहे थे, उसी समय नोएडा के दलित प्रेरणा स्थल पर किसान अपनी मांगों को लेकर धरना दे रहे थे। यह संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर हो रहा था। यहां 163 से अधिक किसानों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। प्रेरणा स्थल भी खाली करा लिया गया।

आइए जानते हैं किसानों की मांगे…

  • किसानों को जमीन अधिग्रहण के बदले 10% अधिक साइज का प्लॉट दिया जाए।
  • 64.7% की दर से किसानों को मुआवजा मिले।
  • नए भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार, बाजार दर का 4 गुना मुआवजा दिया जाए।
  • भूमिधर, भूमिहीन किसानों के बच्चों को रोजगार और पुनर्वास के सभी फायदे दिए जाएं।

10 किसान संगठनों का आंदोलन

आंदोलन की अगुआई भारतीय किसान परिषद के सुखबीर खलीफा और भारतीय किसान यूनियन टिकैत के पवन खटना कर रहे हैं। आंदोलन में 10 संगठन शामिल हैं। ये संगठन भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) टिकैत, भाकियू महात्मा टिकैत, भाकियू अजगर, भाकियू कृषक शक्ति, भारतीय किसान परिषद, अखिल भारतीय किसान सभा, किसान एकता परिषद, किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा, जवान जय किसान मोर्चा, सिस्टम सुधार संगठन आगरा हैं।

आइए उपराष्ट्रपति द्वारा कही गई प्रमुख बातोंको जानते है…

1.भारतजल्दहीदुनियाकीपांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है, लेकिन विकसित राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए प्रत्येक नागरिक की आय में आठ गुना वृद्धि करनी होगी, जिसमें से अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों से आएगी।

2.पहली बार मैंने भारत को बदलते हुए देखा है। पहली बार मैं महसूस कर रहा हूं कि विकसित भारत हमारा सपना नहीं लक्ष्य है। दुनिया में भारत कभी इतनी बुलंदी पर नहीं था। जब ऐसा हो रहा है तो मेरा किसान परेशान और पीड़ितक्यों है?

3. यह समय मेरे लिए कष्टदायक है, क्योंकि मैं राष्ट्रधर्म से ओतप्रोत हूं। दुनिया में हमारी साख पहले कभी इतनी नहीं थी, भारत का प्रधानमंत्री आज विश्व के शीर्ष नेताओं में गिना जाता है।

4. मोदी ने दुनिया को संदेश दिया है कि समाधान केवल बातचीत से ही निकल सकता है। ऐसे में किसानों की समस्या दूर की जाए। विकसित राष्ट्र का दर्जा पाने के लिए प्रत्येक नागरिक की आय में आठ गुना वृद्धि करनी होगी।

5. कौन हैं वे लोग जो किसानों को कहते हैं कि उसके उत्पाद का उचित मूल्य दे देंगे? मुझे समझ नहीं आता कि कोई पहाड़ गिरेगा। किसान अकेला है जो असहाय है।

सत्यपाल मलिक ने पीएम मोदी को बताया था किसान विरोधी

जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल और जाट नेता सत्यपाल मलिक किसानों के मुद्दे पर मोदी सरकार पर हमलावर रहे हैं। मलिक लगातार किसानों की सभाओं में केंद्र की नीतियों की आलोचना करते रहे हैं। सत्यपाल मलिक केंद्र सरकार पर किसानों के खिलाफ षड्यंत्र रचने का आरोप भी लगा चुके हैं।अक्टूबर 2022 में उन्होंने कहा था-

सरकार फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी देने और कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने के अपने वादे से पीछे हट गई। किसानों से सरकार के खिलाफ और आंदोलन के लिए तैयार रहना चाहिए। उनकी नजर हमारे भोजन, जमीन और रोजगार पर है। समय किसी के लिए खड़ा नहीं होता, अगर आप आज खड़े नहीं हुए तो सालों तक भीख मांगते रहेंगे।

पंजाब, हरियाणा से लेकर पश्चिमी उप्र में किसानों की बीजेपी से नाराजगी

बीजेपी किसानों के मुद्दे को लेकर बैकफुट पर नजर आती है। सरकार की तरफ से किसानों की आय दोगुनी करने से लेकर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की बातें लगातार की जाती है। वहीं, कृषि कानून वापस लिए जाने के बाद किसानों से किए गए वादों को पूरा करने को लेकर सरकार की तरफ से उदासीनता भी साफ नजर आती है। चुनावों के दौरान बीजेपी किसानों के मुद्दे पर बैकफुट पर नजर आती है। पंजाब, हरियाणा से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी के प्रति किसानों की नाराजगी स्पष्ट तौर पर उभर कर आती है। ऐसे में उपराष्ट्रपति ने जिस तरह से किसानों के मुद्दे पर सरकार को लेकर सीधे-सीधे सवाल उठाए हैं, इससे पार्टी के साथ ही सरकार को जवाब देना होगा। उपराष्ट्रपति ने इस तरह से सीधे-सीधे विपक्ष को सरकार पर हमला करने का मौका दे दिया है।

विपक्ष को हमलावर होने का मिला मौका

विपक्ष ने उपराष्ट्रपति की तरफ से इस मुद्दे को उठाने के बाद सरकार पर तुरंत निशाना साधा है। कांग्रेस ने किसानों से जुड़े वादों को लेकर उपराष्ट्रपति के बयान पर कहा कि वह भी सरकार से यही सवाल पूछ रही है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी कब हकीकत का रूप लेगी! कांग्रेस महासचिव जयराम नरेश ने धनखड़ के बयान का हवाला देते हुए कहा-

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस यही सवाल लगातार पूछ रही है चेयरमैन सर। एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी कब हकीकत का रूप लेगी? एमएसपी तय करने के लिए स्वामीनाथन फॉर्मूला कब लागू होगा? जिस तरह पूंजीपतियों को कर्ज से राहत दी गई है उसी तरह का लाभ किसानों को कब मिलेगा?”

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