PFI पर पाबंदी लगाने की तैयारी में यूपी सरकार, गृह विभाग ने सरकार को भेजा प्रस्ताव
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर उत्तर प्रदेश के कई जिलों में हुए विरोध प्रदर्शन में एक संगठन का नाम आ रहा है। यह संगठन है पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI)। प्रदेश भर में कई जिलों के इस संगठन के कार्यकर्ता हिंसा को लेकर गिरफ्तार हुए है। प्रदेश भर में हिंसा फैलाने में इस संगठन का बहुत बड़ा हाथ बताया जा रहा है। अब ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार एक संगठन पर बहुत बड़ी कार्रवाई करने जा रही है। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) संगठन से जुड़े कई लोगों को लखनऊ सहित कई जिलों में गिरफ्तार किया गया है। इस संगठन की उत्तर प्रदेश मे लगातार बढ़ती सक्रियता को देखते हुए पुलिस और गृह विभाग ने इसको प्रतिबंध करने का प्रस्ताव सरकार को भेजा है।
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पुलिस की जांच में इस संगठन की सक्रियता काफी बढ़ गई है। पीएफआई (PFI) यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया नामक संगठन का नाम सामने आने के बाद अब यूपी में इस पर बढ़ी कार्रवाई करने की तैयारी है। यूपी पुलिस की जांच में ये भी सामने आया है कि पीएफआई में वो लोग भी शामिल हैं, जो सिमी संगठन को प्रदेश में प्रतिबंधित करने के बाद सक्रिय हुआ है। यूपी पुलिस का दावा है कि पीएफआई की भूमिका संदिग्ध है। पुलिस और सरकार ने दावा किया है कि प्रतिबंधित संगठन सिमी के लोग पीएफआई नाम के संगठन में शामिल हुए और इन लोगों ने नियोजित तरीके से हिंसा करने के लिए लोगों को उकसाया। वैसे, यह एक उग्र इस्लामी कट्टरपंथी संगठन है। यह संगठन दक्षिण भारत के कई राज्यों में काफी सक्रिय है, यही नहीं, चुनाव भी लड़ता है। यह संगठन उत्तर प्रदेश में पिछले 6 महीने से अधिक सक्रिय हुआ है। इस संगठन पर नागरिकता कानून पर विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़काने का शक है।
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यूपी की हिंसा में कई जगहों पर रहा हाथ
यूपी हिंसा में भी अब इस संगठन का नाम आया है। हिंसा की जांच कर रही पुलिस के मुताबिक संगठन के लोगों ने सोशल मीडिया के जरिये लोगों को उकसाने और भड़काने का काम किया। यूपी में कई जगहों पर पीएफआई से जुड़े जो लोग है, उन्हें गिरफ्तार किया गया है। यूपी पुलिस का कहना है कि उनके पास कई ऐसे दस्तावेज मिले हैं जो माहौल बिगाड़ने के लिए बांटे जा रहे थे। लखनऊ के आईजी रेंज एसके भगत ने बताया कि सिमी के बैन होने के बाद यह संगठन खड़ा हुआ है। लखनऊ में पीएफआई से जुड़े तीन लोगों को गिरफ्तार भी किए गए है। उनके पास से आपत्तिजनक वस्तुएं भी बरामद हुई हैं। आईजी भगत ने कहा कि पीएफआई की उत्पत्ति के बाद रेडिक्लाइज्ड लोग इसमें शामिल हुए हैं। राज्य के कई जिलों की पुलिस ने हिंसा में शामिल लोगों की पहचान के लिए शहरों में पोस्टर भी लगवाये हैं। इसमें कई जिले शामिल है चाहे रामपुर हो या गोरखपुर. संभल हो या फिरोजाबाद। यहां पर पिछले शुक्रवार को हुई हिंसा में लोगों की पहचान के लिए शहर दर शहर पोस्टर लगवाये जा रहे हैं।
जानें आप भी पीएफआई संगठन के बारे में
पीएफआई एक उग्र इस्लामी कट्टरपंथी संगठन है। इस संगठन की दक्षिण में काफी लोकप्रियता है। देश में इस्लामिक स्टूडेंट्स मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी सिमी पर प्रतिबंध लगाने के बाद अब देश के अलग-अलग हिस्सों में कई संगठन खड़े हुए। सिमी के बाद जो संगठन तैयार हुए है, उनमें पीएफआई, एसआईएफआई, एसडीपीआई और एफआईआर जैसे संगठन शामिल हैं। इस संगठन की बात की जाए, तो वर्ष 2006 में इसका गठन हुआ था। इस संगठन का रजिस्ट्रेशन 2010 में हुआ है। यह संगठन कई मामलों में संदिग्ध रहा है। यह संगठन उत्तर प्रदेश में भी पिछले 6 महीने से फैल रहा है। वैसे, पीएफआई दावा करता है कि वो एक ऐसा संगठन है जो लोगों को उनका हक दिलाने के लिए लड़ता है। यह संगठन सामाजिक हितों में लड़ता है और इसकी वेबसाइट पर कई वीडियो मिल जाएंगे, लेकिन हकीकत ये भी है कि पीएफआई का नाम गैरकानूनी कामों में भी आ चुका है।
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झारखंड में लग चुका है प्रतिबंध
झारखंड में पीएफआई को पिछले साल फरवरी में प्रतिबंधित भी कर दिया गया है। झारखंड की सरकार ने ये कदम तब उठाया जब राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की शिकायत मिली। इस संगठन को प्रतिबंध करने के बाद यह मामला कोर्ट चला गया था, जहां कोर्ट ने अगस्त में पीएफआई पर प्रतिबंध हटा दिया था। झारखंड की सरकार ने इसको एक बार फिर से दिसंबर 2018 में प्रतिबंध करने का आदेश दिया गया, जिस पर फरवरी 2019 में अमल करते हुए इनको प्रतिबंधित कर दिया गया। झारखंड सरकार का कहना था कि यह संगठन प्रदेश का सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का काम कर रहा है। इस संगठन ने वर्ष 2018 में केरल में जबरदस्त बवाल हुआ था और इसको प्रतिबंधित करने की मांग की गई थी।
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