उरी अटैक: जब भारत ने दस दिन में लिया था आतंकी हमले का बदला
18 सितंबर 2016 के दिन ही आतंकियों ने जम्मू कश्मीर के उरी में हमला किया था। सुबह के साढ़े पांच बजे थे और घाटी में शांति थी, जैश-ए-मुहम्मद के चार आतंकवादियों ने पहले भारतीय सेना के ब्रिगेड हेडक्वॉटर्स पर हमला कर दिया था। इस हमले में करीब 19 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले में आतंकी बुरहान वानी मारा गया था।
इस हमले के बाद भारतीयों में दुख और गुस्सा बराबर का था और फिर देश ने एक ऐसा कदम उठाया जो पूरी दुनिया के लिए एक उदाहरण थी। भारत ने आतंक के खिलाफ बहुत कड़ा रूख अपनाया था। भारत ने इस हमले के बाद 11वें दिन यानी 29 सितंबर को पूरी प्लानिंग के साथ भारतीय सेना के जवानों ने 28-29 सितंबर की आधी रात पीओके में सीमा में 3 किलोमीटर अंदर घुसकर आतंकियों के कई ठिकानों को तहस-नहस कर डाला। इसी दिन भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक किया था। 28 सितंबर की आधी रात MI 17 हेलिकॉप्टरों के जरिए 150 कमांडोज को LoC के पास उतारा गया। यहां से 4 और 9 पैरा के 25 कमांडो पाकिस्तान की सीमा में दाखिल हुए और पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया। इस दौरान आतंकवादियों के 6 लॉन्च पैड्स पूरी तरह से ध्वस्त हो गए थे। इस कार्रवाई में 50 आतंकवादी ढेर हो गए और दो पाकिस्तानी सेना के जवान भी मारे गए।
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आतंक के खिलाफ भारत ने जो लड़ाई छेड़ी थी, उस पर कामयाबी तब मिली जब उसने पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश ए मुहम्मद के मुखिया मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करा दिया। हालांकि पाकिस्तान और चीन ने उसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित होने से बचाने की काफी कोशिशें की और यही कारण था कि भारत उसे लगभग एक दशक तक आतंकी घोषित नहीं करा सका, लेकिन 2019 मई में उसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कर दिया गया है। मसूद अजहर का नाम भारत में संसद, पठानकोट उरी और पुलवामा जैसे कई हमलों को अंजाम दिया था।
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