'पीसीएस की फैक्ट्री' से इतने बने अफसर, विवि का नाम हुआ ऊंचा

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की तरफ से यूपीपीसीएस 2020 का परिणाम घोषित कर दिया गया है। आयोग की तरफ से घोषित किए परिणाम में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों का दबदबा रहा है। 'पीसीएस की फैक्ट्री' के नाम मशहूर इस विश्वविद्यालय से इस बार दर्जनों छात्र चयनित हुए हैं। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) से भी तमाम होनहार चमके और उन्होंने विवि का नाम रोशन किया है। आइए आपको बताते हैं कि आखिर किन छात्रों ने विश्वविद्यालय का नाम किया ऊंचा।
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इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीएससी की पढ़ाई करने वाले विकास कुमार का चयन रोजगार सेवक अधिकारी के पद पर हुआ है। विकास कुमार ने अमरनाथ झा और ताराचंद हॉस्टल में रहकर पढ़ाई की है और अब जारी हुए परिणाम में उनका चयन हुआ है। फिरोजाबाद जिले के नारखी गांव के रहने वाले विकास कुमार इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीएससी की। इस समय वह प्रयागराज में ही रहकर तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 24 जनवरी को उनकी परीक्षा थी और उसी दिन मेरे पिता दिनेश चंद्र इस दुनिया से अलविदा कह गए थे। विकास बताते हैं कि मुझे परीक्षा देने में किसी भी प्रकार की दिक्कत न हो सकें, इसीलिए मेरे दोस्तों ने मुझसे कुछ भी नहीं बताया था। बाबू जी को याद करते हुए विकास रो पड़े। अब चयन के बाद कहते हैं कि ईश्वर को शायद ये मंजूर नहीं था कि मेरे बाबू जी मुझे अफसर बनता देख सकें।
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डॉ. विकास बने सीडीपीओ
ऐसे ही इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे एक छात्र का चयन हुआ है। अर्थशास्त्र में पीएचडी करने वाले सर सुंदरलाल छात्रावास के डॉ. विकास कुमार शुक्ल बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) पर चयन हुआ है। विकास शुक्ल भदोही जिले के जंगीगंज स्थित दवनलपुर के रहने वाले है। विकास को चौथे प्रयास में यूपीपीएससी फतेह करने की सफलता मिली है। उन्होंने सफलता का श्रेय अपने पिता शिव जीत शुक्ल और मां सीता देवी के साथ ही अपने शिक्षकों और साथियों को दिया है। विकास के चयन पर इलाहाबाद विद्यालय छात्रावास के अधीक्षक डॉ. संतोष कुमार सिंह ने उन्हें बधाई दी है।
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सुशील ने भी मारी बाजी
ऐसे ही सुशील कुमार मिश्रा का चयन भी बेसिक शिक्षा अधिकारी के पद पर हुआ है। चित्रकूट के इटवा गांव के रहने वाले सुशील कुमार मिश्र ने सफलता अर्जित की है। सुशील कुमार इलाहाबाद विवि से परास्नातक करने वाले सुशील सर गंगा नाथ झा छात्रावास के अंतेवासी रहे हैं। इस समय सुशील कुमार मम्फोर्डगंज स्थित निगम चौराहा पर रहकर तैयारी कर रहे थे। आखिर अब उनका चयन बड़े पद पर हो ही गया है। बुंदेलखंड क्षेत्र के अति पिछड़े जिले से आने वाले सुशील के पिता वीरेंद्र कुमार मिश्र किसान और मां गृहिणी हैं।
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