चुनाव के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले बढ़ने का ट्रेंड

जम्मू-कश्मीर में 18 अक्टूबर से अब तक करीब 5 आतंकी हमले हो चुके हैं इसमें 3 जवान शहीद हुए हैं। आतंकियों ने दूसरे राज्यों से काम के लिए आए 8 लोगों को भी मार दिया।

इससे पहले जम्मू में भी यही पैटर्न देखने को मिला था। लोकसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद 9 जून को जम्मू के रियासी में आतंकियों ने तीर्थ यात्रियों से भरी बस को निशाना बनाया था। हमले में 9 यात्रियों की मृत्यु हुई थी। इसके बाद लगातार एक महीने में जम्मू में 6 से 7 आतंकी हमले हुए। कठुआ, डोडा और राजौरी में आतंकियों ने आर्मी और स्टेट फोर्स को टारगेट किया।

चुनाव के बाद फोर्स कम होने का फायदा उठा रहे आतंकी: जीडी बख्सी

कश्मीर में बढ़े आतंकी हमलों को लेकर रिटायर्ड मेजर जनरल जीडी बख्शी कहते हैं, लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए जम्मू-कश्मीर में बड़ी संख्या में सिक्योरिटी फोर्स, पैरामिलिट्री, पुलिस, आर्मी और बाकी एजेंसियों की तैनाती की गई थी। चप्पे-चप्पे पर फोर्स मौजूद थी। करीब सभी इलाके सील थे। इस दौरान आतंकियों को हमला करने का मौका नहीं मिला।

जीडी बख्शी कहते हैं, ये लाइन ऑफ कंट्रोल से आने वाले नए घुसपैठिए हैं। उनकी लाइफ ज्यादा नहीं है। राजौरी के साउथ और पीर पंजाल रेंज के सुरक्षाबलों को हटा दिया गया था। इसी रास्ते से ये देश में दाखिल हुए होंगे।

उन्होंने कहा, पुलवामा हमले के बाद जैसे हमने बालाकोट एयर स्ट्राइक की थी, उसी तरह इसका जवाब देने की जरूरत है। सर्जिकल स्ट्राइक LoC के पार होनी चाहिए, न कि हमारी सीमा में ताकि इसके नतीजे गंभीर हों।

‘2003-04 की बात है, उस वक्त मैं जम्मू के किश्तवाड़ में सेक्टर कमांडर था। तब हमने आतंकवाद की कमर तोड़ दी थी। रीजन में आतंकी संगठनों के सभी टॉप कमांडर मारे गए थे। कुछ ही महीनों बाद फोर्स की कमी की वजह से आतंकवाद फिर शुरू हो गया।’

दोनों रीजन पर फोकस व दबाव की जरूरत: के. राजेन्द्र कुमार

जम्मू-कश्मीर के पूर्व DGP के. राजेंद्र कुमार कहते हैं, हमें जम्मू और कश्मीर दोनों रीजन में अलर्ट रहना चाहिए। अपने इंटेलिजेंस मजबूत करने के साथ ही ऑपरेशंस शुरू करने चाहिए। हमें घुसपैठ विरोधी नेटवर्क को मजबूत करने की जरूरत है, ताकि LoCपार करके आने वाले आतंकियों पर रोक लग सके।

के. राजेन्द्र कुमार ने कहा, हम किसी एक रीजन पर फोकस नहीं रख सकते। हम जम्मू में ऑपरेशन शुरू करते हैं, तब आतंकी कश्मीर में अपने स्लीपर सेल्स और लोकल टेररिस्ट को मजबूत कर बेस बनाने लगते हैं। इसलिए हमें दोनों रीजन पर बराबर फोकस और दबाव बनाकर रखना चाहिए। आतंकियों ने जम्मू में अटैक शुरू किए तो पूरा अटेंशन वहीं शिफ्ट हो गया। इससे कश्मीर में खालीपन पैदा हुआ।

सर्जिकल स्ट्राइक की सलाह देते हुए राजेन्द्र कहते हैं, कश्मीर में हिंसा और आतंकी गतिविधियां पाकिस्तान की साजिश का हिस्सा हैं। इसे रोकने के लिए हमें फिर से LoC के पार उसी तरह की सर्जिकल स्ट्राइक की जरूरत है, जैसी उरी और पुलवामा हमलों के बाद की गई।

हमलों के पीछे पाकिस्तान का हाथ, आतंकी नेटवर्क तबाह करेंगे: LG मनोज सिन्हा

घाटी में हमलों पर जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा कहते हैं, पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले कराने से बाज नहीं आ रहा है। घाटी में निर्दोषों के बहाए गए खून के एक-एक कतरे का बदला लिया जाएगा। हम आतंकी नेटवर्क को तबाह करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

LG ने कहा कि आतंकी नेटवर्क के खिलाफ फोर्सेज को और मजबूत करना सरकार की प्राथमिकता है। आर्मी, पुलिस और बाकी एजेंसियों के बीच कोऑर्डिनेशन बढ़ाकर ही ये हो सकेगा।

पिछले 5 सालों से ये आतंकी ग्रुप एक्टिव

मार्च, 2023 में राज्यसभा में सवालों का जवाब देते हुए सरकार ने UAPA के तहत बैन किए गए इन आतंकी संगठनों के नाम बताए और इससे जुड़ी जानकारी दी।

1. द रिजिस्टेंस फ्रंट(TRF): ये 2019 में अस्तित्व में आया। भारत सरकार का मानना है कि ये लश्कर-ए-तैयबा का प्रॉक्सी आतंकी संगठन है। ये आतंकी संगठन सुरक्षाबलों के जवानों की हत्या, निर्दोष नागरिकों की हत्या, आतंकी गतिविधियों के लिए सीमा पार से ड्रग्स और हथियार की तस्करी में शामिल रहा है। भारत सरकार ने इस गुट को UAPA के तहत बैन किया है।

2. पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट(PAFF): ये जैश-ए-मोहम्मद का प्रॉक्सी आतंकी संगठन है। ये भी 2019 में बना था। ये कश्मीर में युवाओं को आतंकी गुट में रिक्रूट करने और हथियारों की ट्रेनिंग देने का काम करता है। ये सुरक्षाबलों, राजनेताओं और लोगों को धमकियां जारी करता है। सरकार ने इसे UAPA के तहत बैन कर रखा है।

3. जम्मू एंड कश्मीर गजनवी फोर्स (JKGF):ये गुट 2020 में बना। इसका काम अलग-अलग आतंकी संगठनों जैसे-लश्कर और जैश के कैडर का इस्तेमाल कर टेरर एक्टिविटीज को अंजाम देना है। भारत सरकार ने इस गुट को भी UAPA के तहत बैन किया है।

4. कश्मीर टाइगर्स (KT): कश्मीर टाइगर्स भी जैश-ए-मोहम्मद का प्रॉक्सी टेरर ग्रुप है। कश्मीर टाइगर्स ने ही कठुआ में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली है।

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